गहत की खेती: उत्तराखंड में गहत की फसल बनी ब्रांड, भारत समेत वैश्विक रूप से बढ़ी मांग

भारत में एक बहुमूल्य फसल का उत्पादन होता है जो अपनी परम्परागत तरीके के लिए भी जानी जाती है। इसका […]

गहत की खेती

भारत में एक बहुमूल्य फसल का उत्पादन होता है जो अपनी परम्परागत तरीके के लिए भी जानी जाती है। इसका नाम गहत (Horse gram Farming) है जो देव भूमि उत्तराखंड में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल है। भारत में गहत की फसल का इतिहास काफी पुराना है। दुनियाभर में कुल 240 प्रजातियों में से 23 प्रजातियां सिर्फ भारत में उगती हैं। लेकिन गहत का मुख्य स्रोत अफ्रीका माना जाता है। 

भारत समेत विश्व में कहां-कहां होता है गहत का उत्पादन (Horse gram Farming) 

गहत को अंग्रेजी में Horse gram, हिन्दी में कुलध, तेलुगू में उलावालु, कन्नड़ में हुरूली, तमिल में कोलू, संस्कृत में कुलत्थिका, गुजराती में कुल्थी और  मराठी में डुल्गा के नाम से जाना जाता है। भारत में गहत के कुल उत्पादन का 28 फीसदी कर्नाटक, 18 प्रतिशत तमिलनाडु, 10 फीसदी महाराष्ट्र, 10 प्रतिशत ओडिशा व 10 प्रतिशत आंध्र प्रदेश में होता है।

गहत फसल भारत के अलावा चीन, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, श्रीलंका  इंडोनेशिया में भी उत्पादित होती है। भारत में गहत अधिकतर असिंचित दशा में उगाते हैं। उत्तराखण्ड में गहत उत्पादन परम्परागत तरीके से होता है।  क्योंकि गहत की फसल (Horse gram Farming)  में सूखा सहन करने की क्षमता पाई जाती है।

कई बीमारियों में फायदेमंद है गहत 

गहत की फसल (Horse gram Farming)  में प्रोटीन व कार्बोहाईड्रेड प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। जिसकी वजह से ये भारत समेत पूरे विश्व में पौष्टिक पदार्थ के रूप में इस्तेमाल में लाई जाती है। गहत में कैल्शियम और कैल्शियम फास्फेट शरीर में स्टोन को गलाने व बनने से रोकने में इस्तेमाल किया जाता है।

आयुर्वेदिक औषधियों में भी गहत की दाल इस्तेमाल में लाई जाती है। इसमें फाइटिक एसिड, फिनोलिक एसिड की अच्छी मात्रा होती है जो  कफ, गले के इन्फेक्शन समेत बुखार व अस्थमा में भी इस्तेमाल की जाती है। गहत के बीज में प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेटेज 1-बीटा एन्जाइम को रोकने की ताकत रखते हैं। जो शरीर में कार्बोहाईड्रेड को कम करके शुगर को घटाने में मदद करते हैं।  इन्सुलिन रेजिसटेंस लेवल भी कम होता है।  

किस मौसम में होता है गहत फसल (Horse gram Farming) का उत्पादन

उत्तराखंड में परम्परागत रूप से ही गहत फसल की खेती की जाती है। इसकी प्रकृति गरम होती है जिसकी वजह से सर्दियों में और ठंडे स्थानों पर ज़्यादा इस्तेमाल में लाई जाती है। गहत फसल (Horse gram Farming) की मुख्य 2 प्रजातियां पाई जाती हैं। पहली जंगली और दूसरी खेती में इस्तेमाल करने वाली।

गहत फसल (Horse gram Farming) को दाल के रूप में प्रयोग किया जाता है जो कि गरीबों का भोजन माना जाता है। गहत लाल, सफेद, काला व भूरे रंग की होती है। उत्तराखण्ड में गहत फसल की काफी डिमांड रहती है। जिसकी औषधीय गुणों को देखकर कई बड़ी कंपनियां शोध करके प्रोडक्ट्स तैयार कर रही हैं।  

गहत उत्पादन को बढ़ावा देने में सरकार का सहयोग 

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गहत की खेती (Horse gram Farming) होती है। लेकिन लोगों के पलायन से इसकी खेती सिमट रही है। जिससे गहत के उत्पादन में कमी आई है। इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार और विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा की ओर से अल्मोड़ा के गांव कसून, भटगांव और ज्योली गांन का चयन किया गया।

यहां पर गहत फसल (Horse gram Farming) को लेकर जागरुकता बढ़ाई गई। क्योंकि पहले गहत को एक फसल के रूप में नहीं लिया जाता था। इसे मानसून में मडुआ के साथ उगाते थे। वैज्ञानिकों ने गहत उत्पादन के लिए किसानों को इसके उत्पादन के फायदे और नई किस्मों के बारें में जानकारी दी।

गहत की खेती (Horse gram Farming) के वैज्ञानिक और व्यवसायिक तरीकों को बताकर इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी की गई। उत्तराखण्ड में गहत को एक ब्रांड के तौर पर पेश किया गया। जिसका फायदा ये हुआ कि भारत समेत वैश्विक रूप से इसकी मांग बढ़ी है। 

गहत की फसल की खेती से जुड़े अक्सर पूछे जानें वाले सवाल-

सवाल 1- गहत की फसल  का उत्पादन कहां-कहां होता है?

जवाब- भारत में गहत के कुल उत्पादन का 28 फीसदी कर्नाटक, 18 प्रतिशत तमिलनाडु, 10 फीसदी महाराष्ट्र, 10 प्रतिशत ओडिशा व 10 प्रतिशत आंध्र प्रदेश में होता है। गहत फसल भारत के अलावा चीन, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, श्रीलंका  इंडोनेशिया में भी उत्पादित होती है। 

सवाल 2- गहत की फसल  को और किन नामों से जाना जाता है ?

जवाब- गहत को अंग्रेजी में Horse gram, हिन्दी में कुलध, तेलुगू में उलावालु, कन्नड़ में हुरूली, तमिल में कोलू, संस्कृत में कुलत्थिका, गुजराती में कुल्थी और  मराठी में डुल्गा के नाम से जाना जाता है।

सवाल3- कौन-कौन से मौसम में होता है गहत की फसल का उत्पादन  

जवाब- उत्तराखंड में परम्परागत रूप से ही गहत फसल की खेती की जाती है। इसकी प्रकृति गरम होती है जिसकी वजह से सर्दियों में और ठंडे स्थानों पर ज़्यादा इस्तेमाल में लाई जाती है। 

सवाल4- कितने तरह की होती है गहत की फसल?

जवाब- गहत फसल की मुख्य 2 प्रजातियां पाई जाती हैं। पहली  जंगली और दूसरी खेती में इस्तेमाल करने वाली। गहत फसल को दाल के रूप में प्रयोग किया जाता है जो कि गरीबों का भोजन माना जाता है। गहत लाल, सफेद, काला व भूरा रंग की होती है। उत्तराखण्ड में गहत फसल की काफी डिमांड रहती है।  

सवाल5- किस रोग में सबसे ज़्यादा फायदा करती है गहत?

जवाब- गहत की दाल गुर्दे की पथरी में काफी फायदा पहुंचाती है। गहत की दाल किडनी की पथरी को गला सकती है।  इसमें प्रोटीन की मात्रा भी पाई जाती है, जो कमजोर लोगों के लिए फायदेमंद होती है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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