बटन मशरूम (Button Mushroom): भारत की अधिकांश आबादी शाकाहारी है। ऐसे में कई पोषक तत्वों से भरपूर खुम्बी या मशरूम का इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है। अपने देश में दो तरह के मशरूम उत्पादक हैं। एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती करते हैं और दूसरे जो सारे साल मशरूम उगाते हैं।
व्यावसायिक रूप से मशरूम की तीन प्रजातियां-बटन मशरूम, ढींगरी (ओएस्टर) और दुधिया (मिल्की) मशरूम ज्यादा उगाई जाती हैं। इसमें से बटन मशरूम की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। इसकी खेती कर किसान भाई अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। तीनों प्रकार के मशरूम को घर के ही किसी नमी वाले स्थान या शेड में कम रोशनी में आसानी से उगाया जा सकता है।
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कब उगाना चाहिए बटन मशरूम
भारत में बटन मशरूम उगाने का उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च तक है। इन छह महीनो में दो फसलें उगाई जाती हैं। बटन मशरूम की फसल के लिए शुरुआत में 22 से 26 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इस तापमान पर कवक जाल बहुत तेजी से बढ़ता है। बाद में इसके लिए 14 से 18 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है। इससें कम तापमान पर कवक जाल का आकार धीरे गति से बढ़ता है। 18 डिग्री से अधिक तापमान भी मशरूम के लिए हानिकारक होता है।
खेती के लिए इस तरह करें तैयारी
बटन मशरूम की खेती के लिए विशेष विधि से तैयार की गई कम्पोस्ट खाद की आवश्यकता होती है। यह बाजार से भी आसानी से मिल जाती है। कम्पोस्ट तैयार होने के बाद लकड़ी की पेटी या रैक में इसकी 6 से 8 इंच मोटी परत बिछा देते हैं। यदि बटन मशरूम की खेती पॉलीथिन की थैलियों में करनी हो तो कम्पोस्ट खाद को बीजाई के बाद ही थैलियों मे भरें। इसके बाद थैलियों में हवा पास होने के लिए 2 मिलीमीटर व्यास के छेद थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कर दें।
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बीज की गुणवत्ता का उत्पादन पर बहुत असर होता है। इसलिए बीज एक माह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए। बीज की मात्रा कम्पोस्ट खाद के वजन के 2-2.5 प्रतिशत के बराबर लें। बीज को पेटी में भरी कम्पोस्ट पर बिखेर दें और उस पर कम्पोस्ट की 2 से 3 सेमी मोटी एक और परत चढ़ा दे।
बीजाई के बाद देखभाल जरूरी
बीजाई के बाद पेटी या थैलियों को घर के किसी कोने में रख दें। इन पर पुराने अखबार बिछाकर पानी से भिगो दें। कमरे में पर्याप्त नमी बनाने के लिए दीवारों पर भी पानी छिडकें। इस समय कमरे का तापमान 22 से 26 डिग्री सेल्सियस और नमी 80 से 85 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए।
अगले 15 से 20 दिनों में मशरूम का कवक जाल पूरी तरह से कम्पोस्ट में फैल जाएगा। इन दिनों मशरूम को ताजा हवा की जरूरत नहीं होती। इसलिए कमरे को बंद ही रखना चाहिए।
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मिट्टी की परत चढ़ाएं
गोबर की सड़ी हुई खाद या बाग की मिट्टी की बराबर मात्रा को छानकर अच्छी तरह से मिला लें। इस मिश्रण का 5 प्रतिशत फार्मलीन या भाप से निर्जीवीकरण कर लें। इस मिट्टी को परत चढ़ाने के लिए इस्तेमाल करें। कम्पोस्ट में जब कवक जाल पूरी तरह फैल जाए तो इसके ऊपर इस तरह तैयार की गई मट्टी की 4-5 सेमी मोटी परत बिछा दें।
परत चढाने के 3 दिन बाद से कमरे का तापमान 14-18 डिग्री सेल्सियस के बीच व आद्रता 80-85 प्रतिशत के बीच स्थिर रखें। यह समय फलनकाय बनने का होता है। इस समय बढ़वार के लिए ताजी हवा और प्रकाश की जरूरत होती है। इसलिए अब कमरे की खिड़कियां और रोशनदान खोलकर रखें।
मशरूम को कब तोडऩा चाहिए
मशरूम की बीजाई के 35-40 दिन बाद या मिट्टी चढ़ाने के 15-20 दिन बाद कम्पोस्ट के ऊपर मशरूम के सफेद फलनकाय दिखाई देने लगते हैं, जो अगले चार पांच दिनों में बटन के आकार में बढ़ जाते हैं। जब मशरूम की टोपी कसी हुई अवस्था में हो या उसके नीचे की झिल्ली साबुत हो तो खुम्बी को हाथ की अंगुलियों से हल्का दबाकर और घुमाकर तोड़ लेना चाहिए।
पैदावार और भंडारण
आम तौर पर 8 से 9 किलोग्राम मशरूम प्रतिवर्ग मीटर में पैदा होती है। 100 किलोग्राम कम्पोस्ट से लगभग 12 किलोग्राम मशरूमआसानी से मिल जाता है। तोडऩे के बाद इसे साफ पानी में अच्छी तरह से धोएं और बाद मे 25 से 30 मिनट के लिए उसे ठंडे पानी में भीगो दें। इसे ताजा ही इस्तेमाल करना श्रेष्ठ होता है, लेकिन फ्रिज में 5 डिग्री तापमान पर 4-5 दिनों के लिए इनका भंडारण भी किया जा सकता है।
किस मूल्य पर मिलता है
बटन मशरूम का खुदरा मूल्य 100-125 रुपए प्रति किलोग्राम रहता है। शादी के सीजन में इसका दाम 150 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाता है।
ध्यान देने योग्य बात
मशरूम का उत्पादन अच्छी कम्पोस्ट खाद और अच्छे बीज पर निर्भर करता है। इसलिए कम्पोस्ट बनाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। फसल में कीड़ा या बीमारी होने पर खुम्बी की फसल पूर्णतया या आंशिक रूप से खराब हो सकती है।