मशरूम खाने में जितने स्वादिष्ट होते हैं, उतने ही गुणकारी भी होते हैं। यह एक ऐसा पौधा होता है, जिसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन और पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। फफूंद से बनने वाला यह पौधा एक छत्ते के आकार का होता है। पहले की तुलना में वर्तमान समय में मशरूम को काफी लोकप्रियता हासिल हो रही है।
अब तो ये लगभग हर सब्जी की दुकान और होटल में देखा जा सकता है। इसका उपयोग भी कई तरह की रेसिपी के रूप में होने लगा है। इसलिए जो लोग मशरूम की खेती करते हैं, उन्हें आर्थिक रूप से लाभ भी हो रहा है।
ये भी देखें : मोदी सरकार देगी 65000 करोड़ का पैकेज, फर्टिलाइजर सब्सिडी योजना से कृषकों को होगा लाभ
ये भी देखें : देश के युवाओं के लिए है ‘आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना’ ऐसे करें अप्लाई
ये भी देखें : कृषि के क्षेत्र में इन पदों पर निकली बंपर नौकरियां, ऐसे करें आवेदन
मशरूम की खेती करना आज के समय में काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। यदि आप किसान नहीं है, लेकिन मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो आसानी से कर सकते हैं। अच्छी पैदावार पाने के लिए आपको खेती का बहुत ख्याल रखना होगा। मशरूम बिकने पर आपको फायदा भी बहुत होगा।
वर्तमान समय में मशरूम की डिमांड देखते हुए हरियाणा, राजस्थान, यूपी जैसे राज्यों में ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि ठंडे राज्यों में भी मशरूम की खेती शुरू कर दी गई है। पूरे विश्व में मशरूम की सबसे ज्यादा डिमांड एशिया और अफ्रीका में होती है। यदि आप मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो इन बातों को जानना आपके लिए आवश्यक है।
ये भी देखें : मोती की खेती है मुनाफे का सौदा, ध्यान रखें ये बातें तो कर देगी मालामाल
ये भी देखें : लंदन में लाखों की नौकरी छोड़कर गांव में खेती कर रहा ये कपल, यूट्यूब पर हुआ फेमस
खेती के लिए जगह का चुनाव
मशरूम की खेती में कम तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए हमारे देश में मशरूम की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। यदि आपके पास ज़मीन नहीं है, तो आप कमरे में भी इसे उगा सकते हैं। इसको उगाने के लिए गेहूं व धान के भूसे या घास-फूस की जरूरत होती है। मशरूम की खेती में सबसे ज्यादा याद रखने योग्य बात यही है कि इसे सिर्फ नमी में ही उगाया जा सकता है।
मशरूम में कई तरह के कीड़े लग जाते हैं, इसलिए समय समय पर कीटनाशक का भी प्रयोग करते रहें। मशरूम की खेती अच्छी हो इसके लिए आप कई कार्बनिक अकार्बनिक यौगिकों, नाइट्रोजन पोषकों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
व्यापार के रूप में मशरूम
यदि आप किसान हैं, तो अपने खेत पर मशरूम की खेती कर सकते हैं। आप कोई कंपनी बनाकर भी मशरूम का व्यापार शुरू कर सकते हैं। बस, आपके पास इतनी जगह होनी चाहिए, जिसमें आप मशरूम आसानी से उगा सकें। यदि आप कमरे में खेती करते हैं, तो लकड़ी की मदद से कमरे को चारों ओर से इस तरह ढक दें कि वह बंद कमरे की तरह लगे। यकीन मानिए यह व्यापार आज के समय में बहुत लाभ देने वाला है।
यदि इसे आप अतिरिक्त आय के रूप में करते हैं, तो इसे छोटे स्तर पर ही शुरू करें। ताकि आपके काम पर असर ना पड़े। जो लोग बड़े स्तर पर मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए जगह और बीज दोनों ही ज्यादा मात्रा में चाहिए होंगे।
कैसे करें मशरूम की खेती
जो लोग घर पर ही मशरूम उगाना चाहते हैं, वे खेती की जगह को इस तरह से ढक दें कि वह बंद कमरे की तरह हो जाए। अब आपको सबसे पहले खाद की जरूरत होगी, जिसे आप गेहूं या धान के भूसे की मदद से बना सकते हैं। आप भूसे में से सभी प्रकार के कीटाणु निकाल दें। अन्यथा मशरूम की खेती में समस्या आ सकती है। अब 1500 लीटर पानी में 1.5 किलोग्राम फार्मलीन एवं 150 ग्राम बेबिस्टीन मिलाइए।
इसके बाद इस पानी में 1 क्विंटल गेहूं का भूसा डालकर अच्छी तरह मिला लें। फिर इसे कुछ समय के लिए ढककर रख दें। जिसके बाद यह खाद या भूसा मशरूम उगाने के लिए बेहतर रूप से तैयार हो जाएगा। इसके बाद इस भूसे को बाहर की तरफ हवा में अच्छी तरह फैला दें। ऐसा करने से इसकी नमी को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। बीच-बीच में भूसे को पलटते रहें। इसके बाद यह मशरूम की बुवाई के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा।
अब आपको मशरूम की बुवाई करनी है। 16 बाई 18 का एक पॉलिथिन बैग लेकर उसमें पहले भूसा फिर उस पर बीज डालें। इसी तरह 3-4 परतें बना लें। बीज और भूसे का अनुपात हर परत में बराबर होना चाहिए। बैग के नीचे दोनों कोनों पर छेद कर लें। ऐसा करने से बचा हुआ पानी निकल जाएगा। फिर पॉलिथिन के बैग को कसकर बांध दें। इसे इतना कसकर बांधे कि बिल्कुल हवा ना पहुंच पाए। यह प्रक्रिया मिल्की मशरूम अर्थात बटन मशरूम में काम में ली जाती है।
जबकि ऑरेस्टर मशरूम उगाने के लिए भूसे और बीज को मिक्स करके बुवाई की जाती है। बुवाई के बाद पॉलिथिन में छोटे-छोटे छेद कर दिए जाते हैं, ताकि मशरूम के पौधे बाहर निकल सकें।
फसल का रख-रखाव कैसा हो
बुवाई करने के बाद लगभग 15 दिनों तक फसल को हवा लगने से बचाना पड़ता है। इसके लिए आप कमरे को बंद ही रखें। लगभग 15 दिनों बाद कमरे को खोलकर पंखा चला दें। अब कभी-कभी दीवारों पर पानी का छिड़काव करते रहें। तापमान का ध्यान अवश्य रखें। मशरूम की फसल उगाने के लिए 20 से 30 डिग्री का तापमान ठीक रहता है। 30 से 40 दिनों में आपकी फसल तैयार हो जाएगी।
कहां बेच सकते हैं फसल
आजकल होटल, दवाएं बनाने आदि क्षेत्रों में मशरूम का उपयोग होने लगा है। सूप हो या चाइनीज डिश, मशरूम के बिना ये अधूरी हैं। इसमें पाए जाने वाले लाभों के कारण मशरूम को मेडिकल क्षेत्र में भी काम में लिया जाने लगा है। इसकी डिमांड इतनी बढ़ गई है कि इसका निर्यात बाहर के देशों में भी किया जाता है। आप अपनी फसल को इनमें से किसी भी क्षेत्र में बेच सकते हैं।
सरकार की ओर से मदद
जो किसान छोटे स्तर पर मशरूम की फसल उगाना चाहते हैं, सरकार उनकी मदद कर रही है। इस फसल को किस तरह से तैयार किया जाए, इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आदि जानकारियों के लिए सरकार की ओर से प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इस तरह आप मशरूम उगाने की सभी तकनीकों के बारे में जान सकेंगे।
मशरूम के प्रकार
सालों पहले मशरूम के बारे में इतनी चर्चा नहीं होती थी। लोगों में इसे लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां भी थीं। लेकिन जब वैज्ञानिकों ने मशरूम के बारे में जाना, तो पता चला कि धरती पर मशरूम की लगभग 10,000 किस्में मौजूद हैं। लेकिन बिजनेस के तौर पर 5 किस्में ही अच्छी मानी जाती है। जैसे- बटन मशरूम, स्पेशली मशरूम, दवाओं वाली मशरूम, पैडी स्ट्रॉ, ऑएस्टर मशरूम। इन किस्मों में भी बटन मशरूम सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। इसे मिल्की मशरूम भी कहा जाता है।
मशरूम के गुण
मशरूम में कई प्रकार के गुण पाए जाते हैं। जैसे-
- मशरूम में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फोरस पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- मशरूम शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- इसमें मौजूद पोटेशियम, विटामिन सी व फाइबर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखते हैं, जिससे दिल स्वस्थ रहता है।
- यह स्तन व प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में भी काम आता है।
- मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- इसके सेवन से वजन भी कम होता है।
- मशरूम पेट की समस्याओं को दूर करता है।
- मुंहासों और एंटी एजिंग में भी मशरूम लाभकारी होता है।
- यह बालों के झड़ने की समस्या को रोकता है।
कैसे करें मशरूम का सेवन
- मशरूम को बटर के साथ ग्रिल करके खाया जा सकता है।
- इसका उपयोग सूप में भी किया जाता है।
- कई प्रकार के व्यंजन बनाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
ध्यान रखने योग्य बातें
आपको बता दें कि मशरूम खाने से कई तरह के फायदे होते हैं, लेकिन सभी मशरूम खाने योग्य नहीं होते। इनमें कुछ प्रजातियां जहरीली भी होती हैं। इसलिए बिना पर्याप्त जानकारी के मशरूम का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि मशरूम जंगली हो, तो वह सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। प्रदूषित वातावरण में पैदा होने वाले मशरूम घातक हो सकते हैं। हमेशा ताजे मशरूम ही खरीदें।
यदि आप मशरूम खाना शुरू कर रहे हैं, तो पहले कम मात्रा में ही खाएं। पीले, चिपचिपे, मुरझाए या कटे-फटे मशरूम नहीं खरीदने चाहिए। इनसे आपको फूड पोइजनिंग भी हो सकती है। जहरीली मशरूम खाने से जी घबराना, उल्टी आना, बेहोशी, शरीर में ऐंठन होना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं। मशरूम को काम में लेते समय ही धोना या काटना चाहिए। इसे तीन-चार दिनों से ज्यादा फ्रिज में नहीं रखना चाहिए।