मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के एक किसान की अरबी की फसल से किस्मत बदल गई। वे हर साल अरबी बेचकर करीब 60 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई करते हैं। महज 12 वीं तक पढ़े रामचंद्र ने पिता का हाथ बंटाने के लिए खेती की शुरूआत की थी। परंपरागत खेती में फायदा होते न देख उन्होंने करीब 20 साल पहले प्रयोग के तौर पर अरबी की खेती शुरू की। दूसरी फसलों के मुकाबले कहीं गुना ज्यादा मुनाफा देख उन्होंने बड़े स्तर पर अरबी की खेती करना शुरू कर दी। वे आज 20 एकड़ में अरबी की फसल ही लगाते हैं।
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खंडवा जिले के कालंका गांव में रहने वाले रामचंद्र पटेल बताते हैं कि पिताजी अकेले खेती संभाल नहीं पाते थे। घर की माली हालत खराब थी, इसलिए खुद खेती करना शुरू की। परंपरागत खेती में बहुत फायदा होते न देख उन्होंने एक बोरी प्रयोग के तौर पर अरबी की फसल लगाई। अच्छा उत्पादन हुआ तो मनोबल और बढ़ गया। इसके बाद पूरे 10 एकड़ में अरबी की खेती शुरू कर दी। आज उनके पास करीब 30 एकड़ भूमि है, जिसमें से 20 एकड़ में वे सिर्फ अरबी ही उगाते हैं। इस सीजन में उन्होंने कुल 3200 बोरी अरबी का उत्पादन कर करीब 60 लाख रुपए की कुल कमाई की है।
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जैविक खेती से बाद कई गुना बढ़ा उत्पादन
किसान रामचंद्र पटेल बताते हैं कि करीब छह साल पहले जैविक खेती शुरू की। इससे फसल के उत्पादन पर अच्छा असर पड़ा है। वे कहते हैं कि अरबी में कई चिकित्सीय गुण होते हैं। काली अरबी की खासतौर से डिमांड होती है। इस साल उन्होंने 3 हजार बोरी अरबी का उत्पादन किया था। वे अरबी की सप्लाई नासिक, मुंबई और गुजरात तक करते हैं। किसान रामचंद्र के खेती में प्रयोगों को देखने आसपास के कई गांवों के लोग आते हैं।