जय प्रकाश गहलोत पिछले 5 साल से कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग / अनुबंध खेती (Contract Farming) के जरिए शुगर फ्री आलू की खेती कर रहे हैं। जय प्रकाश राजस्थान के कोटा जिला स्थित अर्जुनपुरा गांव के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि चिप्स बनाने वाली एक कंपनी ने उनके गांव के किसानों से शुगर फ्री आलू उगाने के लिए संपर्क किया था।
चिप्स कंपनी पहले साल दो-एक किसानों को ही इसके लिए राजी कर सकी लेकिन फायदा होता देख गांव के दूसरे किसान भी शुगर फ्री आलू उगाने की कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग से जुड़ते चले गए। आज स्थिति यह है कि कोटा के अर्जुनपुरा के अलावा मानपुरा और इटावा क्षेत्र सहित बारां के अंता व बूंदी जिले में भी शुगर फ्री आलू उगाया जाने लगा है।
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नए कृषि कानूनों से पहले उठा रहे लाभ
2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य के तहत केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को भी शामिल किया है लेकिन राजस्थान के कोटा में किसान काफी पहले से इसका लाभ उठा रहे हैं।
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अर्जुनपुरा के किसानों को कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए शुगर फ्री आलू की खेती ऐसी रास आई कि वे अन्य फसलों से मुकाबले इसे ज्यादा पसंद करने लगे। किसान बताते हैं कि उपज का 80 प्रतिशत माल चिप्स कंपनी खरीद लेती है। बचा हुआ 20 प्रतिशत आलू बीज के काम आता है। एक बीघा में लगभग 50 क्विंटल आलू की पैदावार होती है। हाड़ौती में करीब 300 से 500 बीघा में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के तहत आलू उगाया जा रहा है।
फसल से पहले हो जाता है करार
परमानंद सैनी भी कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग करते हैं। वह बताते हैं कि कंपनी किसानों से फसल के पहले ही करार कर लेती है यानी फसल तैयार होने के बाद भाव क्या मिलेगा। बीज भी कंपनी ही देती है। फसल तैयार होने के बाद कंपनी खेतों में ट्रक भेजकर आलू लेकर चली जाती है। किसानों को भुगतान ऑनलाइन किया जाता है।
अनुबंध होने के बाद नुकसान कंपनी उठाएगी
किसान जय प्रकाश कहते हैं कि इस वर्ष चिप्स कंपनी ने आलू का भाव 10.80 रुपए प्रति किलो तय किया है। अगर फसल तैयार होने के बाद बाजार में आलू की थोक कीमत 5 रुपए प्रति किलो ही रहे तो भी किसानों को अनुबंध के हिसाब से भुगतान मिलेगा।