कहते हैं कि मन में कुछ करने का जुनून हो तो कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी इंसान की मेहनत के आगे झुकना पड़ता है। एक ऐसे ही युवा प्रगतिशील किसान भूपेंद्र पाटीदार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कुछ अलग करने की ठानी और उसे पूरा करने के लक्ष्य पर लग गए। आज डेयरी व्यवसाय से जुड़े किसान उनसे राय लेने आते हैं। कई संस्थानों में जाकर वो बाकायदा, लेक्चर भी देते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में भूपेंद्र पाटीदार ने हमसे डेयरी क्षेत्र की कई बारीकियों को शेयर किया। पशुपालन करते हुए किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है, इसके बारे में विस्तार से बताया।
AC&ABC से ली ट्रेनिंग
भूपेंद्र मध्य प्रदेश खरगोन ज़िले के नांद्रा गाँव के रहने वाले हैं। बीएससी से ऐग्रिकल्चर की पढ़ाई करने के लिए कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन पारिवारिक परेशानियों के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। सब छोड़कर वो वापस अपने गाँव आ गए और खेती करनी शुरू कर दी। एक दो साल बाद खेती में उन्हें थोड़ा नुकसान झेलना पड़ा। फसल बर्बाद हुई और बाज़ार में दाम कम मिले। इसके बाद अतिरिक्त आय स्रोत की तलाश में वो लग गए। दोस्तों से बातचीत की और रिसर्च शुरूकर दी। इसी दौरान उन्हें एग्री क्लिनिक और एग्री बिजनेस सेंटर (AC&ABC) द्वारा मिलने वाली ट्रेनिंग के बारे में पता चला। वो दो महीने की ट्रेनिंग के लिए भोपाल चले आए।
शुरुआत में 20 दिन में ही 50 हज़ार का नुकसान
भूपेंद्र पाटीदार कहते हैं कि दूर से इंसान को कृषि से जुड़े हर क्षेत्र में मुनाफ़ा दिखता है, लेकिन जब चुनौतियां आती हैं तो असल तस्वीर सामने आ जाती है। ट्रेनिंग से वापस लौटने के बाद उन्होंने डेयरी व्यवसाय करने का प्लान किया। इसके बारे में अपने परिवारवालों को बताया। भूपेन्द्र का परिवार खेती से पहले दूध के व्यवसाय से ही जुड़ा था, लेकिन इसमें उन्हें नुकसान झेलना पड़ा था। इस वजह से परिवारवाले उनके इस फैसले के पक्ष में नहीं थे। भूपेंद्र पाटीदार ने डेयरी व्यवसाय को लेकर और रिसर्च की। उनकी दादी ने इस फैसले में उनका साथ दिया और फिर भूपेंद्र ने पाटीदार डेयरी के नाम से डेयरी की शुरुआत कर दी। उन्होंने एक लाख 40 हज़ार में दो भैंसें खरीदीं और दूध का काम शुरू कर दिया। इनमें से एक भैंस सही नहीं निकली। भूपेंद्र ने बातचीत में किसान ऑफ़ इंडिया ( Kisan of India ) को बताया कि वो भैंस बहुत बीमार रहने लगी। 20 दिन के अंदर ही 70 हज़ार में लाई गई भैंस को 20 हज़ार में बेचना पड़ा, यानी सीधे सीधे 50 हज़ार रुपये का नुकसान।
दोस्तों के साथ मिलकर 7 हाईटेक (7 Hi-Tech) की शुरुआत की
उनकी जगह कोई और होता तो शायद पीछे हट जाता, लेकिन भूपेंद्र जी-तोड़ मेहनत से बड़े स्तर पर इस बिज़नेस को आगे बढ़ाने में लग गए। उन्होंने बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया। AC&ABC से प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवाई। AC&ABC ही प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करके देता है। इस रिपोर्ट को फिर आप बैंक में दिखाते हैं। प्रोजेक्ट रिपोर्ट लेकर करीबन एक साल तक भूपेंद्र ने बैंक के कई चक्कर लगाए। जब जिस समय बैंक वाले बुलाते, वो पहुंच जाते। भूपेंद्र बताते हैं कि 365 दिन में से करीब 200 दिन उनके बैंक के चक्कर ही लगते थे। उन्होंने हार नहीं मानी और बैंक जाना जारी रखा। इसके साथ ही उन्होंने अपनी डेयरी में दो भैंसें और बढ़ा लीं। इनसे निकलने वाले दूध को दूसरी डेयरी में बेच दिया करते। भूपेंद्र बताते हैं कि होता ये था कि फिर यही लोग इस दूध को ज़्यादा दामों में आगे बेच देते थे।
गाँव में पैदा किए रोज़गार के अवसर
इसके बाद भूपेंद्र ने अपने सात दोस्तों के साथ मिलकर 7 हाईटेक नाम से दूध डेयरी खोलने का फैसला किया। सबने मिलकर 15 से 20 हज़ार रुपये लगाए और लाख रुपये की लागत से गाँव में ही किराये पर जगह लेकर पूरा सेटअप चालू कर दिया। भूपेन्द्र कहते हैं कि शुरू से ही फोकस रहा कि हम कुछ ऐसा करें कि लोग शहर से गाँव में आयें। उन्हें रोज़गार की तलाश में बाहर नहीं, गाँव में ही अवसर मिले।
7 हाईटेक में अपनी भैंसों के दूध के साथ साथ-आस पास के छोटे किसानों से दूध और इसे बनने वाले प्रॉडक्ट्स जैसे छाछ, पनीर और दही खरीदने लगे। आज हज़ार से ऊपर किसान उनसे जुड़े हुए हैं। एक दिन का दूध कलेक्शन 1400 लीटर तक भी पहुंच जाता। बड़े-बड़े ऑर्डर आने लगें।
कोऑपरेटिव सोसाइटी के ज़रिए किसानों को देते हैं सस्ती दरों पर लोन
इसके बाद किसानों और युवाओं को और कैसे फ़ायदा पहुंचाया जाए, इसके लिए 7 हाईटेक ग्रुप ने 2018 में कोऑपरेटिव का गठन किया। इसके ज़रिए वो ज़रूरतमंदों लोगों को फ़ाइनेंस की सुविधा देते हैं। भूपेंद्र ने बताया कि शुरुआत में कोऑपरेटिव सोसाइटी खोलने का मुख्य उद्देश्य कम ब्याज दर में किसानों को मवेशी खरीद पर लोन का पैसा मुहैया कराना था। हर किसान 60 से 70 हज़ार का मवेशी नहीं खरीद सकता। कम ब्याज दर में ऐसे किसानों को पैसा उपलब्ध करवाते। आज इस कोऑपरेटिव सोसाइटी का टर्नओवर ही 7 से 8 करोड़ के आसपास है। आज सिर्फ़ जानवरों को ही नहीं, बल्कि दुकानदारों को भी ज़रूरत के हिसाब से लोन देते हैं।
भूपेंद्र से जानिए बैंक से लोन लेने की पूरी प्रक्रिया
भूपेंद्र ने किसान ऑफ़ इंडिया के हमारे पाठकों के साथ लोन आसानी से लेने के टिप्स भी साझा किये। वो बताते हैं कि जब उनका काम कुछ ज़ोर पकड़ने लगा तो इसी बीच बैंक से लोन का आवेदन भी मंजूर हो गया। खुद बैंक मैनेजर उनके घर आए। फिर उन्होंने पाटीदार डेयरी में भी ज़्यादा वक्त देना शुरू कर दिया। भूपेंद्र ने पुणे से जानवरों से दूध निकालने वाली मशीन खरीदी। इसके बाद मुर्रा नस्ल की 20 भैंसें खरीदीं। उनका ये पूरा प्रोजेक्ट 20 लाख का था। 20 लाख के प्रोजेक्ट में 4 लाख की वर्किंग कैपिटल बैंक को दिखानी पड़ती है और 16 लाख बैंक देता है। भूपेंद्र बताते हैं कि लोन देने की भी बैंक की अपनी प्रक्रिया होती है। मान लीजिए आपने बैंक में भैंस खरीदने के लिए एक लाख रुपये मुहैया कराने की ऐप्लिकेशन लगाई, तो लोन मंजूर कराने के लिए आपको पहले एक लाख रुपये का 20 फ़ीसदी बैंक में जमा कराना होता है। जैसे ही आप बैंक में एक लाख का 20 फ़ीसदी यानी कि 20 हज़ार रुपये डालते हो, वैसे ही भैंस बेचनेवाले के खाते में सीधा पैसा पहुंच जाता है।
डेयरी व्यवसाय में मवेशियों के रखरखाव पर कैसे दें ध्यान?
मवेशियों के रखरखाव के लिए भूपेंद्र ने फ़ार्म में पानी के ऑटोमेटेड सिस्टम से लेकर फ़ॉगर तक लगाए। पानी के ऑटोमेटेड सिस्टम के ज़रिए जानवर जब उन्हें पानी की प्यास लगे तब पानी पी सकते हैं। भूपेंद्र बताते हैं कि इसमें हर दो भैंसों के बीच एक टबनुमा चैम्बर लगा होता है। इसमें एक लेवल तक पानी भरा होता है। मान लीजिए जानवर ने उसमें से पाँच लीटर पानी पी लिया, तो वो एक मिनट के अंदर-अंदर अपने आप फिर से भर जाएगा।
भूपेंद्र बताते हैं कि गर्मियों में उनके क्षेत्र का तापमान 45 डिग्री तक भी पहुंच जाता है। इन दिनों दूध का उत्पादन 100 से 60 प्रतिशत पर आ जाता है। 10 लीटर से सीधे 6 लीटर पर उत्पादन पहुंच जाता है। इसके लिए भूपेंद्र ने तापमान को कैसे कंट्रोल किया जाए, उसकी रिसर्च की। 45 से सीधा 35 डिग्री पर डेयरी फ़ार्म का तापमान लाने के लिए उन्होंने जानवरों के ऊपर लगे शेड पर फ़ॉगर सिस्टम लगवाए। फ़ॉगर में टाइमर सिस्टम लगा होता है। इससे शेड पर पानी की बौछार की जाती है, जिससे शेड के अंदर के तापमान को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। कंक्रीट का पक्का शेड बनाया। भूपेंद्र बताते हैं कि इन सब में ज़्यादा लागत ज़रूर आती है, लेकिन मवेशियों का रखरखाव होगा तभी वो अच्छा उत्पादन देंगे ।
मुर्रा नस्ल को ही क्यों चुना?
भूपेंद्र बताते हैं कि जब उनका परिवार डेयरी क्षेत्र में था, तब मुर्रा नस्ल ही उनके पास थी। उनके पिताजी और अन्य सदस्यों का मानना था कि मुर्रा नस्ल ही बेहतर है। वो उनके क्षेत्र के मौसम के हिसाब से ढल सकती है। शुरुआत में जहां उनके परिवार वाले डेयरी बिज़नेस के पक्ष में नहीं थे, बाद में उन्हें अपने परिवार का भी सहयोग मिला। लाखों का टर्नओवर और अच्छा मुनाफ़ा होने लगा। डेयरी उत्पादन से होने वाले मुनाफ़े को लेकर भूपेंद्र कहते हैं कि अगर कोई 20 मुर्रा नस्ल का पालन करता है, तो वो महीने का 30 से 40 हज़ार का मुनाफ़ा कमा सकता है। अगर प्रोसेसिंग से जुड़ते हैं तो ये मुनाफ़ा 60 से 70 हज़ार तक भी पहुंच सकता है।
किसानों की उपज को बाज़ार तक पहुंचाने का किया काम
ये सब करने के बीच ही पुणे की जिस फ़ार्मर किंग कंपनी से भूपेंद्र ने दूध निकालने वाली मशीन खरीदी थी, वहां से जॉब का ऑफ़र आया। अपने गाँव में रहते हुए कंपनी के प्रॉडक्ट्स को स्थानीय बाज़ार उपलब्ध कराना उनकी ज़िम्मेदारी थी। उन्होंने क्षेत्र के तीन युवाओं को भी अपने साथ जोड़ लिया। इन युवाओं का काम खरगोन जिले के रोज़ के 20 किसानों से मिलने का था। ये किसानों की समस्याओं को जान कर उनका समाधान करते। इस तरह क्षेत्र के तीन लड़कों को रोज़गार मिला। अभी भी इस कंपनी से भूपेंद्र जुड़े हुए हैं।
इसके अलावा अपने एक दोस्त और पार्टनर, जिनका नाम भी भूपेन्द्र है, उनके साथ मिलकर महिष्मति ब्रांड की शुरुआत की। इसका मकसद मसाले की खेती कर रहे किसानों को बाज़ार मुहैया कराना है। इसके ज़रिए वो किसानों से मिर्च, धनिया, हल्दी वगैरह खरीदते हैं और फिर उसे प्रोसेस और पैकेजिंग कर महिष्मति ब्रांड के नाम से बाज़ार में बेचते हैं।
राज्य सरकार से मिला पुरस्कार, लोगों को देते हैं सलाह
डेयरी के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर भूपेंद्र को राज्य सरकार की ओर से सफल उद्यमी के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया है। पूरे भारत से इस अवॉर्ड के लिए 50 लोगों को चुना गया था। मध्य प्रदेश से दो लोग थे, जिनमें डेयरी क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए उन्हें ये सम्मान मिला। आज भूपेन्द्र डेयरी क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवाओं को ट्रेनिंग भी देते हैं। उन्हें डेयरी व्यवसाय के गुर सिखाते हैं। साथ ही नाबार्ड द्वारा आयोजित मीटिंग में भी जाते हैं।
अपने क्षेत्र में डेयरी क्षेत्र में किया सराहनीय काम
किसानों को सलाह देते हुए भूपेन्द्र कहते हैं कि क्वालिटी दोगे तो मांग अपने आप बढ़ेगी। किस्मत के भरोसे बैठकर कुछ नहीं होगा। परिस्थितियों से लड़कर मेहनत करनी होगी, भागदौड़ करनी होगी। भूपेन्द्र ने बताया कि जब उन्होंने डेयरी व्यवसाय की शुरुआत की थी तो उनके क्षेत्र में डेयरी कम थीं और अब एक ही गाँव में चार-चार डेयरी हैं। उन्होंने कई को डेयरी यूनिट खुलवाने में मदद की और आज भी करते हैं।
सब सही चल ही रहा था कि 2019 में अचानक भूपेंद्र ने अपने पिता को खो दिया। पिता की आकस्मिक मौत से उन्हें धक्का लगा। उन्होंने अपना लोन क्लियर कराया और मवेशियों को बेच दिया। आज वो अपनी डेयरी के लिए हज़ारों छोटे किसानों से दूध और इसके बाई-प्रॉडक्ट्स खरीदते हैं। भूपेंद्र बताते हैं कि आज भी कोई ज़रूरतमंद उनसे डेयरी क्षेत्र से जुड़ी राय लेने आता है, तो वो सब काम छोड़कर उनसे बात करते हैं। भूपेंद्र कहते हैं कि उनकी एक राय से अगर किसी के घर पैसे आएं, उसकी ज़िंदगी में अच्छा बदलाव आए, यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- जैविक खेती कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसान नितिन चंद्रकांत गायकवाड, जानिए उनकी सफलता की कहानीमहाराष्ट्र के नितिन चंद्रकांत गायकवाड द्वारा अपनाई गई जैविक खेती, जो किसानों को रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक तरीकों से खेती करने की प्रेरणा देती है।
- कृषि में नई तकनीक से क्रांति ला रहे हैं किसान प्रीतम सिंह, जानिए उनकी कहानीप्रीतम सिंह, हरियाणा के पानीपत जिले के निवासी, ने कृषि में नई तकनीक अपनाकर अपनी खेती की उत्पादकता बढ़ाई और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया।
- जैविक खेती में अग्रणी किसान जयकरण का सफर और खेती में किए गए बदलावहरियाणा के जयकरण जैविक खेती के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं, जो यूट्यूब चैनल के जरिए किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से प्रेरित कर रहे हैं।
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।