जैविक गुड़ बनाने की प्रक्रिया में लगती है कड़ी मेहनत, किसान जयराम गायकवाड़ का गुड़ क्यों है ख़ास?

मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के रहने वाले जयराम गायकवाड़ पिछले 22 साल से खेती कर रहे हैं। उनका फ़ार्म मॉडल देखने देश के कोने-कोने से किसान आते हैं। उनके द्वारा तैयार किये जाने वाले जैविक गुड़ की काफ़ी डिमांड रहती है। यहाँ मैं आपसे साझा कर रही हूँ उनसे हुई बातचीत के ख़ास अंश।

जैविक गुड़ organic jaggery

जैविक गुड़ का उत्पादन (Organic Jaggery Production) | किसान ऑफ़ इंडिया अपने पाठकों के लिए जम्मू से लेकर कर्नाटक, राजस्थान से लेकर असम, देश के अलग-अलग कोनों से किसानों की प्रेरक कहानियां लाता रहा है। एक ऐसे ही प्रगतिशील किसान जयराम गायकवाड़ से मिलने हमारी टीम मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले पहुंची।

दिल्ली से बैतूल तक की करीबन 15 घंटे की ट्रेन यात्रा और फिर बैतूल रेलवे स्टेशन से करीब 14 किलोमीटर की दूरी तय कर हम पहुंचे किसान जयराम गायकवाड़ के गाँव बघोली। चारों तरफ़ हरियाली, गायों के गले में बंधी घंटियों की आवाज़, हल्की बारिश की फुहार, मिट्टी से आती सौंधी खुशबू जैसे कई दृश्यों और अनुभवों से रूबरू हुई।

जयराम गायकवाड़ अपने क्षेत्र के जाने-माने किसान हैं। खेती में उन्हें उनके कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। आइए आपको मिलवाते हैं जयराम गायकवाड़ से और जानते हैं उनके खेती के सफर के बारे में।

jaivik gur जैविक गुड़ organic jaggery

अच्छा होगा खान-पान तो शरीर रहेगा स्वस्थ

जयराम गायकवाड़ के घर पहुंचते ही उन्होंने बड़े सत्कार से किसान ऑफ़ इंडिया टीम का अभिवादन किया। उन्होंने अपने बागान के आम खिलाए। न कोई केमिकल का छिड़काव, सीधा प्रकृति के स्पर्श से तैयार ये जैविक आम भरपूर मिठास से भरे थे। उनके पूरे परिवार से भी मुलाकात हुई। उनके माता-पिता 90 की उम्र पार कर चुके हैं। मैंने देखा कि कैसे उनके पिता बिना चश्मा लगाए अखबार पढ़ रहे थे। माँ भी अनाज छान रही थीं। बातचीत में जयराम गायकवाड़ ने बताया कि इसका कारण अच्छा और जैविक खान-पान है।

सालाना 35 लाख रुपये का मुनाफ़ा

जयराम गायकवाड़ पिछले 22 साल से खेती कर रहे हैं। उन्हें जैविक खेती का प्रमाण पत्र भी मिला हुआ है। जैविक खेती के दम पर उन्होंने अपना फ़ार्म मॉडल तैयार किया है। आज की तारीख में वो साल का करीबन 35 लाख तक का मुनाफ़ा कमा लेते हैं। ये उनकी कई साल की मेहनत और संयम का परिणाम है।

jaivik gur जैविक गुड़ organic jaggery

बहरहाल, फिर टीम उनका फ़ार्म मॉडल देखने उनके फ़ील्ड पर पहुंची। अपनी कुल 30 एकड़ ज़मीन में से 10 एकड़ ज़मीन पर वो परंपरागत यानी जैविक खेती करते हैं। उन्होंने अपनी जैविक गुड़ की प्रोसेसिंग यूनिट, वर्मीकम्पोस्ट यूनिट, बायोगैस प्लांट और गौशाला हमें दिखाई। 5 एकड़ में वो मुख्य रूप से गन्ने की जैविक खेती करते हैं। इसके अलावा, 2 एकड़ में वर्मीकम्पोस्ट यूनिट, गौशाला और गोबर गैस प्लांट लगाए हुए हैं। डेढ़ एकड़ में गेहूं और बाकी बचे डेढ़ एकड़ में जैविक सब्जियां उगाते हैं।

जैविक गुड़ बनाने की प्रक्रिया में साफ़ सफ़ाई का पूरा ध्यान

पहले वो हमें अपनी जैविक गुड़ की प्रोसेसिंग यूनिट पर लेकर गए। उन्होंने दिखाया कि कैसे वो गुड़ बनाने की पूरी प्रक्रिया के दौरान साफ़ सफ़ाई का पूरा ख्याल रखते हैं। जैविक गुड़ बनने की पूरी प्रक्रिया उनकी निगरानी में होती है। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि ग्राहक उनकी प्राथमिकता है। वो साफ-सफाई के साथ किसी तरह का समझौता करना पसंद नहीं करते। इन दिनों गन्ने का मौसम नहीं है इसलिए यूनिट तो बंद थी, लेकिन मशीनें देख कर समझ आ गया कि साफ़ सफ़ाई का पूरा ध्यान रखा जाता है।

jaivik gur जैविक गुड़ organic jaggery
गुड़ तैयार करते हुए जयराम गायकवाड़

 

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जैविक गुड़ की अच्छी मांग

उनके इस गुड़ की अच्छी-ख़ासी डिमांड है। ये बाज़ार में 60 से 70 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिकता है। 5 से 10 किलो के ढेले में जैविक गुड़ की बिक्री होती है। ग्राहक ट्रकों में भर-भरकर गुड़ सीधा यूनिट से ही ले जाते हैं। ज़्यादातर जैविक गुड़ यूनिट में ही बिक जाता है। एक बार में 30 क्विंटल गन्ने के रस से गुड़ तैयार किया जाता है। एक बड़ी सी कढ़ाई में गन्ने का रस डाला जाता है। कढ़ाई को चूल्हे पर चढ़ाने के बाद 2 से 3 घंटे लगातार चूने के बाद जैविक गुड़ तैयार होता है।

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गुड़ बनाने में कड़ी मेहनत

गुड़ बनाने की इस पूरी प्रक्रिया में कड़ी मेहनत लगती है। गन्ने से रस निकालने के बाद जो अवशेष ‘चीपा’ बच जाता है, उसे चूल्हे के लिए बतौर लकड़ी के इस्तेमाल किया जाता है। कैसे वो गुड़ तैयार करते हैं, इससे जुड़ी वीडियो हम आपके लिए जल्द लेकर आएंगे।

jaivik gur जैविक गुड़ organic jaggery

 

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इस बैतूल सीरीज़ में जयराम गायकवाड़ के अन्य फ़ार्म मॉडल्स के बारे में भी मैं आपको जल्द ही बताऊंगी। उनसे मेरी वर्मीकम्पोस्ट यूनिट, बायोगैस प्लांट और डेयरी फ़ार्म को लेकर भी बातचीत हुई। ये बातचीत जल्द ही मैं आपसे शेयर करूंगी। ये लेख आपको कैसा लगा मुझे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर बताएं। खेती के बारे में आपका कोई अनुभव हो तो वो भी आप साझा कर सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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