Millet (बाजरा) यानी मोटे अनाज, जो कभी हमारे देश के पारंपरिक भोजन का हिस्सा था, लेकिन अब पिज्ज़ा, बर्गर और मैगी के ज़माने में ये अनाज हमारी थाली से गायब हो गए हैं। मगर धीरे-धीरे इसकी अहमियत लोगों को समझ आ रही है, इसलिए अब इसे भोजन में शामिल करने की कोशिश की जा रही है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी Millet (बाजरा) को बढ़ावा देने की बात कही है जिससे किसानों की आमदनी में सुधार हो। मिलेट्स को एक मिशन की तरह बढ़ावा देने की प्रधानमंत्री की पहल पर कई लोग आगे आएं और मिलेट्स से बने उत्पादों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
ऐसे ही एक शख्स हैं डॉक्टर सुमित सोनी, जो पेशे से फिज़ियोथेरेपिस्ट है, मगर अब वो बेकरी चला रहे हैं और बाजरे से बनी कुकीज़ और केक लोगों तक पहुंचा रहे हैं। सुमित सोनी ने अपने इस खास सफर और बाजरे को बढ़ावा देने की अपनी पहल पर चर्चा की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुन्देली से।
क्यों चुना बेकरी बिज़नेस?
डॉ. सुमित सोनी कहते हैं कि वो शुरू से ही अपनी सेहत को लेकर जागरूक रहे हैं और एक्सरसाइज़ से लेकर अपनी डायट तक का बहुत ख़्याल रखते हैं। उनका मानना है कि हेल्दी लाइफ़स्टाइल के लिए हेल्दी डायट अपनाना ज़रूरी है। इसलिए उन्होंने अपने भाई के साथ बेकरी की शुरुआत की, जहां वो नये-नये तरह के एक्सपेरिमेंट्स करते रहते हैं। जैसा कि उन्होंने बाजरे से केक बनाकर किया। उनका बनाया बाजरा संसद भवन तक पहुंच गया। उन्होंने एक दिन में ही 60 किलो बाजरा केक बनाकर संसद तक पहुंचाया और जिसका स्वाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने चखा।
बाजरा कुकीज़
सुमित सोनी की बेकरी RDZ 1983 बेकरी नाम से है, जो बाजरे से कई तरह की कुकीज़ बना रही है। लोगों के बीच इसे पॉपुलर बनाने के लिए वो कुकीज की एक वैरायटी मे तिल की कोटिंग कर रहे है जबकि दूसरे में काजू की। इसके अलावा, वो चॉकलेट, नमकीन और जीरा कुकीज़ बनाने की तैयारी में भी हैं जिससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक ये पहुंचे।
किसानों को किस तरह होगा फ़ायदा
सुमित कहते हैं कि राजस्थान में बाजरे की खेती अच्छी होती है, मगर किसान इसे उगाना नहीं चाहतें, क्योंकि ये जल्दी बिकता नहीं है और चूंकि ये सीज़नल है, तो सिर्फ़ सर्दियों में ही इस्तेमाल होता है। तभी तो कई किसान बाजरे को चारे के रूप में पशुओं को खिला देते हैं, तो कई अपनी ज़मीन पर खेती की बजाय दूसरे काम करने लग जाते हैं। लेकिन बाजरे के अगर उत्पाद बनाकर बेचे जाएं, तो इससे किसानों को फ़ायदा होगा। उन्होंने कहा कि आज उनके राज्य में बाजरे के उत्पादों की पॉपुलैरिटी के कारण ही राज्य में बाजरे की कीमत 8 रुपये से बढ़कर 20-22 रुपये प्रति किलो तक पहुंची है।
ज़्यादा बिक्री से किसानों को ज़्यादा फायदा
सुमित कहते हैं कि हम अपने प्रॉडक्ट्स को जितने बड़े लेवल पर बेचेंगे किसानों को उतना ही ज़्यादा फ़ायदा होगा। अगर ये पूरी दुनिया में बिकता है, तो उनके लिए भी बहुत अच्छा है, क्योंकि मान लीजिए 200 पैकेट बिस्किट बनाने में 4-5 किलो बाजरा लगता है, लेकिन जब ये बड़े लेवल पर बनेगा तो ज़ाहिर है कि हमें अधिक बाजरे (Millets) की ज़रूरत होगी और हम किसानों से अच्छी कीमत पर बाजरा खरीदेंगे ताकि उन्हें भी फ़ायदा हो।
सेहत के लिए वरदान है बाजरा
डॉक्टर सुमित का कहना है कि बाजरा सेहत के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद है। ये वज़न कम करने में मदद करता है और पेट को भी स्वस्थ रखता है। साथ ही वो बताते हैं कि राजस्थान के किसान इसलिए मज़बूत होते हैं क्योंकि वो पूरे साल बाजरा खाते हैं।
सुमित सोनी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए अपने उत्पादों को पॉकेट फ्रेंडली बना रहे हैं। उसकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग पर ख़ास ध्यान दे रहे हैं। जिस तरह उन्होंने (बाजरा) के साथ एक्सपेरिमेंट किया है, वैसे ही अगर दूसरे लोग भी मिलेट्स के साथ करें, तो यकीनन किसान ज़्यादा मिलेट्स की खेती के लिए प्रेरित होंगे।