डॉक्टर या इंजीनियर बनने की दौड़ में युवाओं का मन खेती पर से हट गया था। लेकिन अब समय बदलने लगा है और युवा भी खेती की ओर ध्यान देने लगे हैं। वर्तमान समय में खेती से जुड़ी बहुत सी आधुनिक सुविधाएं हैं जिनका उपयोग करके युवा अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं।
इतना ही नहीं वे खेती का काम अपनी नौकरी छोडक़र कर रहे हैं। ऐसे युवाओं में एक नाम हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ तहसील की रडय़ाली पंचायत के दत्तोवाल गांव के रहने वाले अनुभव बंसल का है।
आइए जानते हैं नौकरी छोडक़र खेती को अपनाने वाले अनुभव बंसल की सफलता के बारे में-
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क्यों किया खेती का फैसला
खेती से जुडऩे से पहले अनुभव एक आईटी सेक्टर में नौकरी करते थे। जब वे अपने गांव में खाली पड़ी जमीनों को देखते थे तो उन्हें अच्छा नहीं लगता था। खेतीबाड़ी से किसानों का कोई मुनाफा नहीं हो पा रहा था। यह सब देखकर अनुभव ने सोचा कि यदि सही तरीके से आधुनिक सुविधाओं से काम लिया जाए, तो खेती से भी फायदा हो सकता है। बस, यही सोचकर उन्होंने नौकरी छोडक़र खेती करने का अपना मन बना लिया।
अनुभव बंसल ने देखा कि गांव के लोग शहर जाकर नौकरी कर रहे हैं, जिसकी वजह से ज्यादातर खेत खाली रहते थे। जो थोड़े बहुत किसान खेती कर भी रहे थे तो वे केवल मक्का, गेहूं तक ही सीमित थे। किसानों की बुरी हालत और कोई फायदा न होने के कारण लोगों का खेती पर से मन हटने लगा था।
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पिता ने दिया साथ
अनुभव बंसल ने जब नौकरी छोडक़र खेती करने का फैसला किया तो सभी ने उनके इस निर्णय को पागलपन बताया। लेकिन अनुभव ने हार नहीं मानी। वे खेती करने का मन बना चुके थे। उन्होंने 17 बीघा जमीन लीज पर लेकर उस पर खेती करना शुरू कर दी। अनुभव प्राकृतिक खेती मॉडल को अपनाने वाले सुभाष पालेकर से बेहद प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने भी खेती के लिए प्राकृतिक खेती मॉडल को अपनाया। उनका यह मॉडल काम कर गया।
इससे फसल बढिय़ा होने लगी। गांव के बाकि किसानों को भी यह तकनीक समझ आने लगी और वे भी इस मॉडल के साथ खेती करने लगे।
अनुभव बंसल ने जब खेती करने की ठानी तो उनके पिता बद्दी ने उनका साथ दिया। बद्दी एक इलेक्ट्रोनिक्स की नामी कंपनी चलाते हैं। लेकिन उन्होंने कंपनी चलाने की बजाय अनुभव का साथ देने का फैसला किया। इन दोनों के प्रयास से लोगों की सोच बदलने लगी और वे खेती की तरफ बढऩे लगे।
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हल्दी की खेती से की शुरुआत
अनुभव बंसल ने जब लीज पर 17 बीघा जमीन ली, तो उसमें से ढाई बीघा में हल्दी उगाई। इसके लिए उन्होंने हल्दी का 1000 किलोग्राम वाला बीज काम में लिया। इस बीज की वजह से हल्दी की उपज तीन गुना तक बढ़ गई। केवल हल्दी को बेचकर उन्होंने 5 लाख रुपये कमा लिए। अनुभव ने जमीन में कई और फसलें भी लगाई हैं। सभी फसलों से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है।
कितनी लगेगी लागत
अनुभव बंसल ने कम लागत में खेती करने के तरीकों को अपनाया। इससे लागत तो कम लगती थी लेकिन मुनाफा ज्यादा होता था। इस तरह बाकि किसान भी प्राकृतिक खेती मॉडल को अपनाकर कम लागत में खादों और दवाईयों का उपयोग करने लगे। इतना ही नहीं अनुभव और बाकि के किसान बाजार में जिन चीजों की डिमांड ज्यादा रहती है उन्हीं की खेती करते हैं।
जैसे हल्दी, अदरक, धनिया, भिंडी, मक्का, लहसुन, गोभी, ब्रोकली, माश, गेंहू आदि। इनमें से कुछ फसलें ऐसी हैं जो यदि नहीं बिक पाए, तो भी उन्हें प्रोसेस करके कुछ समय बाद बाजार में बेचा जा सकता है।