किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता अर्पित दुबे की ख़ास सीरीज (भाग – 1):
एक महीने पहले मैंने ‘ऑर्गेनिक एकड़’ के फाउंडर लक्ष्य डबास से मिलने की पहल शुरू की थी। मेरे अंदर उत्सुकता थी कि उनके पास कई ज़रूरी जानकारियों का पिटारा होगा, जो किसानों के लिए बेहद मददगार हो सकता है। कुछ कोशिशों के बाद मेरी उनसे बात हुई और उन्होंने अपने फ़ार्म पर आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने बताया कि वो बहुत सुबह काम शुरू कर देते हैं। इसी मेहनत का नाम तो किसानी है। ख़ैर, कुछ भी हो मुझे तो मिलना ही था। 5 बजे दिल्ली से सटे गाँव जट खोर की ओर मैं निकल पड़ा। ये जगह दिल्ली में जहां में रहता हूँ, वहां से 45 किलोमीटर दूर थी।
पिताजी से सीखे खेती-किसानी के गुर
जट खोर में ‘ऑर्गेनिक एकड़’ का फ़ार्म है। वहाँ पहुंचकर मेरी लक्ष्य डबास से मुलाकात हुई। सबसे पहले मैंने उनसे ये पूछा कि उनका खेती में शुरू से ही मन था या कोई और कारण रहा? इस पर उन्होंने बताया कि खेती का पूरा श्रेय वो अपने पिता को देते हैं। वो अक्सर पिताजी से खेती-किसानी के गुर सीखने पहुंच जाते थे। उन्हीं के मार्गदर्शन में उनका परिवार पिछले 35 सालों से जैविक खेती (Organic Farming) कर रहा है।
बड़े भाई संभालते हैं मार्केटिंग की बागडोर
उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली में की है। इंजीनियरिंग पास आउट लक्ष्य ने कॉलेज खत्म होने के बाद मन बना लिया था कि वो खेती-किसानी में ही अपना करियर बनाएंगे। लक्ष्य डबास ने जब अपने इस फैसले के बारे में घर में बताया तो शुरू में सबने मना किया। फिर बाद में खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सबका ही सहयोग मिला।
लक्ष्य ने बताया कि उनके पिताजी ‘ऑर्गेनिक एकड़’ के मार्गदर्शक हैं। उनके बड़े भाई मृणाल डबास मार्केटिंग से जुड़ी ज़िम्मेदारी संभालते हैं और वो खुद प्रोडक्शन का कामकाज देखते हैं।
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एग्री-टूरिज़्म और एग्रो-एजुकेशन क्षेत्र में भी रखा कदम
Organic Acre के बिज़नेस मॉडल पर बात करते हुए लक्ष्य डबास ने बताया कि समय के साथ उन्होंने इसे और बेहतर बनाने की कोशिश की है। अब Organic Acre जैविक खेती के साथ ही एग्री-टूरिज़्म और एग्रो-एजुकेशन, के क्षेत्र में भी कदम रख चुका है यानी खेती – किसानी से जुड़ा पर्यटन और शिक्षा भी अब उनका लक्ष्य है । साथ ही अपने फ़ार्म को रेंट पर भी देते हैं। इसमें कोई ग्राहक अपने मन मुताबिक किसी भी सब्जी की खेती करवा सकता है।
इसके बाद मैंने उनसे पूछा कि पूरे साल खेती करते हैं या कोई तय समय है? इस पर उन्होंने बताया कि वो पूरे साल खेती करते हैं। साल में 5 से 6 फसलों की खेती एक बार में करते हैं। इसके लिए वो पहले से प्लानिंग करते हैं। इसके बाद मैं निकल पड़ा, उनके फ़ार्म में खेती के तरीकों के बारे में जानने के लिए।
कैसे करते हैं एक साथ कई फसलों की खेती (Companion Planting)?
लक्ष्य ने मुझे बताया कि इस समय वो 3 फसलों की खेती एक साथ कर रहें हैं और वो भी एक ही जगह पर। इसमें उन्होंने टमाटर, धनिया और गोभी की खेती एक साथ की हुई है। जब तक टमाटर पक कर तैयार होता, उससे पहले ही धनिया और गोभी की कटाई पूरी हो जाती। इसी विधि को Companion Planting कहते हैं। इसके फ़ायदों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि धनिया बाकी फसलों को कीड़ों से बचाने का काम करता है।
देसी तरीके से पॉलीहाउस (Polyhouse) कैसे बनायें?
आगे बढ़ते हुए मेरी नज़र उनके पॉलीहाउस पर पड़ी, जिसे उन्होंने देसी जुगाड़ (Desi Jugaad) से बनाया हुआ है। मैंने उनसे पूछा कि हमारे किसान साथी इसे कैसे बना सकते हैं और कितनी कीमत उन्हें खर्च करनी होगी? लक्ष्य ने बताया कि इसे तैयार करने में कुल खर्च 20 हज़ार रुपये के आस-पास आएगा।
ऐसे बनायें देसी जुगाड़ (Desi Jugaad) वाला पॉलीहाउस:
- इसको बनाने में PVC पाइप का इस्तेमाल करें। एक इंच और 0.5 इंच की पाइप रखें।
- सपोर्ट के लिए 2 फुट का सरिया गाढ़ें।
- नीचे से पाइपों के बीच 12 फ़ीट की दूरी रखें। इससे आपका पॉलीहाउस 7 फ़ीट ज़मीन से ऊंचा रहेगा।
- सपोर्ट के लिए 3 से 5 पाइपों का इस्तेमाल करें।
- बारिश के समय पानी को अंदर आने से रोकने के लिए बांस का इस्तेमाल करें और 25 से 30 फ़ीट की दूरी रखें
देसी जुगाड़ वाले पॉलीहाउस के हैं कई फ़ायदे
लक्ष्य ने बताया कि इस तरह से पॉलीहाउस बनाने के कई फायदे हैं। उदाहरण के तौर पर गर्मियों में तेज धूप के समय टमाटर लगाना मुश्किल होता है, जिसमें ये बेहद मददगार होगा। आपको बस इसके ऊपर हरा नेट लगाना है। इससे टमाटर की फ़सल एक से दो महीने पहले ही आ जाएगी। ऐसे ही सर्दियों में इसकी मदद से लौकी और तोरी की फसल आसानी से उगा सकते हैं। जब बाहर तापमान 15 से 20 डिग्री होगा तो ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट की मदद से अंदर तापमान 25 से 30 डिग्री तक ला सकते हैं, क्योंकि ये गर्मी को सोख लेता है।
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फसल के मुताबिक पॉलीहाउस के अंदर गर्मी चाहते हैं तो उसके लिए 200 micron UV treated पन्नी का इस्तेमाल कर सकते हैं। छांव या ठंडक करनी है तो काले या हरे रंग की नेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। फसलों को बारिश से बचाने के लिए इंसेक्ट नेट का उपयोग कर सकते हैं।
ऐसे ही कई और देसी जुगाड़ हैं, जो लक्ष्य अपने फ़ार्म Organic Acre में इस्तेमाल कर रहे हैं। लक्ष्य और उनके भाई मृणाल की कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई है। उनके बारे में मैं आपको आगे बताता रहूंगा।
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