पपीता उत्पाद (Papaya Products): पपीता एक ऐसा फल है, जिसका इस्तेमाल कच्चे और पके दोनों रूप में किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्ज़ी भी बनाई जाती है, जबकि पका पपीता ऐसे ही खाया जाता है। ये बहुत स्वादिष्ट होता है, मगर पपीता जल्दी खराब होने वाला फल है। ऐसे में किसानों को फल खराब होने से काफ़ी नुकसान उठाना पड़ता है।
दरअसल, बाज़ार की सुविधा न होने, मांग में कमी या गांव से शहरों तक जल्दी पहुंच पाने की सुविधा न होने की वजह से किसानों की 25 से 30 प्रतिशत तक फसल खराब हो जाती है। इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा, एक किलो फल जहां किसान, व्यापारियों को 10 से 15 हज़ार रुपये में बेचते हैं, वहीं बाज़ार में ये 40-50 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है।
यानी किसानों की बजाय मुनाफा व्यापारियों को होता है। ऐसे में किसान एक तो सीधे अपनी उपज की बिक्री से अधिक लाभ कमा सकते हैं और दूसरा है इसका मूल्य संवर्धन उत्पाद तैयार करना, जिससे फसल के खराब होने से पहले ही दूसरे उत्पाद बनाकर किसान उसे बेच सकते हैं।
सेहत का खज़ाना है पपीता
पपीते में ढेर सारे पौष्टिक तत्व होते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें पाया जाने वाला एंजाइम पेपिन, पाचन को दुरुस्त रखता है और आंतों के स्वास्थ बनाए रखने में मदद करता है। जो लोग वज़न कम करना चाहते हैं उनके लिए भी पपीते का सेवन बहुत लाभदायक है। इसके अलावा, पपीते में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन सी, ई और ए, डायट्री फाइबर, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे कई मिनरल्स भी होते हैं।
पपीते के सेवन से दिल भी सेहतमंद बना रहता है, क्योंकि ये कोलेस्ट्रोल को जमा होने से रोकता है, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है। रोज़ाना पपीता खाने से हमारा इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है और मेटाबॉलिज़्म भी स्वस्थ बना रहता है।
पीपते से बनाएं मूल्य संवर्धन उत्पाद
पपीते की खेती महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात में सबसे अधिक की जाती है। पूरे विश्व में पीपते का सबसे अधिक उत्पादन भारत में ही होता है, मगर इससे किसानों को ज़्यादा मुनाफ़ा नहीं मिल पाता, क्योंकि उनकी सीधे बाज़ार तक पहुंच नहीं होती और दूसरी वजह ये है कि फल जल्दी खराब होने लगता है। ऐसे में किसान मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाकर इस समस्या का हल निकाल सकते हैं। इसे बनाना बहुत ही आसान है।
पपीते का जैम
पपीते का जैम बनाने के लिए आपको एक किलो पका हुआ पपीता, 750 ग्राम शक्कर और 10 ग्राम सिट्रिक एसिड की ज़रूरत होगी। सबसे पहले पपीते को धोकर, छील लें और काटकर उसका बीज निकाल लें। पीपते को काटकर चीनी मिलाकर मिक्सर में पीस लें और इसमें सिट्रिक एसिड डालकर धीमी आंच पर 103 डिग्री सेल्सियस तक गर्म कर लें। ध्यान रखें कि यह जैम की तरह गाढ़ा हो जाए। फिर से आंच से उतारकर ठंडा कर लें और कांच के जार में भरकर रखें। इस तरह से तैयार करने पर जैम लंबे समय तक चलता है। इसे ठंडे और सूखे स्थान पर रखें।
पपीते की चेरी
रंग-बिरंगी चेरी बच्चों को बहुत पसंद आती है। चेरी बनाने के लिए 500 ग्राम कच्चा पपीता, 3 कप पानी, 2 कप चीनी और थोड़े रंग की ज़रूरत होगी। पहले पीपते को छीलकर धो लें और दो भागों में काटकर बीज निकाल लें। फिर से बारीक टुकड़ों में काट लें। गैस पर एक बर्तन में पानी रखें और उसमें पपीता डालकर आधा पक जाने तक उबालें। फिर से छान लें। अब एक बर्तन में 2 कप चीनी और 3 कप पानी डालकर चीनी को घुलने तक पकाएं और फिर इसमें पपीते की चेरी डालकर अच्छी तरह से पकाएं। इससे एक तार निकलने तक इसे पकाएं, फिर चेरी को अलग-अलग बर्तन में निलाकल लें और मनपसंद रंग डालकर रंग-बिरंगी चेरी तैयार कर लें। चेरी को 24 घंटे के लिए छलनी में सूखने दें, फिर एयरटाइट कंटेनर में भरकर रखें।
पपीते का थालीपीठ
ये महाराष्ट्र का पारंपरिक व्यज़ंन है, जिसे कई तरह के आटे को मिलाकर बनाया जाता है। कच्चे पपीते से भी थालीपीठ बनाया जा सकती है। इसके लिए एक छोटे साइज़ के पपीते को कद्दूकस कर लें और लहसुन की 2-3 कलियों को पीस लें। फिर इसे एक बर्तन में निकालकर एक छोटी चम्मच हल्दी, आधा छोटी चम्मच हींग, एक चम्मच ओटस्, एक छोटी चम्मच जीरा, एक चम्मच कटी हरी मिर्च या लालमिर्च, स्वादानुसार नमक, एक कटोरी बाजरे का आटा, आधा कटोरी बेसन और आधा कटोरी गेहूं का आटा डालकर अच्छी तरह मिलाएं और आटा गूंध लें।
गूंधते समय पानी का बहुत कम इस्तेमाल करें, क्योंकि पपीते में नमी होती है। फिर इससे थालीपीठ बेलकर गरम तवे पर थोड़ा सा तेल डालकर दोनों तरफ़ से सेंक लें।
इन उत्पादों के अलावा, पपीते की जेली, कतरी और कैंडी भी बनाई जा सकती है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।
- जानिए कैसे इंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि तकनीकों से खेती को नई दिशा दीइंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि में सुपर सीडर, ड्रोन सीडर और रोटावेटर का उपयोग करके मक्का, गन्ना, और धान की फसलें उगाई हैं।
- Food Processing से वंदना ने बनाया सफल बिज़नेस: दिल्ली की प्रेरणादायक कहानीदिल्ली की वंदना जी ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से पारंपरिक भारतीय स्वादों को नया रूप दिया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
- देवाराम के पास 525+ बकरियां, बकरी पालन में आधुनिक तकनीक अपनाईदेवाराम ने डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक छोटे स्तर से की थी, लेकिन वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बाद उनकी डेयरी यूनिट का विस्तार हुआ।