मोती की खेती (Pearl Farming in Hindi): मोती एक कुदरती रत्न है जो की हमें सीप से मिलता है। भारत ही नहीं, दुनिया में भी मोतियों की मांग हर दिन बढ़ती जा रही है लेकिन अत्यधिक दोहन और प्रदूषण के कारण इनका उत्पादन घटता ही जा रहा है। इस कमी को देखते हुए देश-विदेश के बहुत से किसानों ने मोतियों की खेती आरंभ कर दी है।
मोती की खेती करना थोड़ा कष्टसाध्य तो है परन्तु उससे मिलने वाले मुनाफे को देखते हुए यह किसानों के लिए बहुत लाभप्रद सौदा है।
मोती की खेती से हम लाखों की कमाई कर सकते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि पैसों की खेती यानि मोती की खेती कैसे की जाए, इसके बारे में हम आज पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।
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कैसे करें मोती की खेती
भारत सरकार द्वारा पूरे देश में पर्ल कल्चर तकनीक का प्रशिक्षण देकर मोती की खेती को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है और ये उसका ही परिणाम है कि देश के कई जागरूक किसानों को अच्छी आमदनी मिल रही है।आपको बता दें विश्व में मोती उत्पादन के मामले में सबसे आगे चीन और जापान है। भारत में मोती की खेती सबसे ज्यादा दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य और बिहार के दरभंगा जिले में की जाती है।
मोती तीन प्रकार के होते हैं
- केवीटी
- गोनट
- मेंटलटीसू
कब कर सकते हैं मोती की खेती
मोती की खेती के लिए सबसे सही समय शरद ऋतु माना जाता है। इस मौसम के दौरान हम अक्टूबर महीने से लेकर दिसंबर महीने तक मोती की खेती कर सकते हैं।
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कैसे बनता है मोती
मोती बनना पूरी तरह से एक प्राकृतिक प्रकिया है। जब सीप में बाहर से मौजूद कण जैसे रेत, कीट आदि घुस जाते हैं जो वापस बाहर नहीं निकल पाते। उनके चारों तरफ सीप के अंदर एक चमकीली परत जमा होती जाती है जो की कुछ समय के बाद मोती में बदल जाती है।
मोती का उत्पादन कुल 6 प्रमुख चरणों में होता है, जानिए इन चरणों के बारे में
- सबसे पहला काम अच्छी किस्म के सीपों को जमा करना है।
- दूसरा इन्हें प्रयोग करने के अनुकूल बनाना।
- फिर सर्जरी की जाती है।
- अच्छी देखभाल की आवश्यकता होती है।
- तालाब में उपजाया जाता है।
- अंत में मोतियों का उत्पादन होता है।
ये है मोतियों के उत्पादन की पूरी प्रक्रिया
1. अच्छी किस्म के सीपों को जमा करें
सबसे पहला काम किसी भी तालाब या नदी से सीपों को जमा करना है। हम इन्हें बाजार से भी खरीद भी सकते है और पानी के बरतन या बाल्टियों में रख सकते हैं। इसका नॉर्मल आकार 8 सेंटीमीटर से ज्यादा होता है।
2. इस्तेमाल से पहले सीपों को तैयार करना
इन सीपों को 3 दिन के लिए किसी बर्तन में पुराने पानी में भर कर दीजिए जिससे ये सीप ढीली होने लगती हैं और इसमें होने वाली सर्जरी का काम आसान हो जाता है।
3. सर्जरी
तीसरी और सबसे अहम चरण का काम इन सीप के अलग-अलग हिस्से जिसमें सतह का केंद्र और सतह की सर्जरी का होता है। इसके लिए हमें बीड की जरूरत होती है, ये सभी सीप अन्य कैल्शियम युक्त सामग्री से बनते हैं।
4. देखभाल
अब बारी आती है, सीपों की देखभाल की। इन्हें नायलॉन बैग में 10 दिनों तक एंटी-बॉयोटिक और नैचुरल चारे पर रखा जाता है। रोज देखकर हमें इसमें मौजूद मृत सीपों को बहार निकलना होता है।
5. तालाब में उपजाना
तालाब में एक मीटर की गहराई में नायलॉन के एक बैग में 2 सीप भर कर इसे बांस या फिर पीवीसी की पाइप से जोड़ कर छोड़ दिया जाता है।
6. मोतीयों का उत्पादन
मोतियों की पालन अवधि लगभग 8-10 माह होती है। इस समय सीमा के खत्म होने के बाद सीपों को निकाल लिया जाता है। अन्दर से निकलने वाला पदार्थ बीड के चारों तरफ जमने लगता हैं जो अन्त में मोती बनकर निकलता है। इस प्रकार मोतियों की खेती की जाती है।