क्या आपने कभी सुना है कि पशुओं के गोबर से टाइल्स भी बनाया जा सकता है। जी हां गोबर से भी टाइल्स का निर्माण किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे उद्यमी है जो गोबर से टाइल्स बनाने का बिजनेस कर रहे हैं। गोबर से बनी टाइल्स के कई सारे फायदे होते हैं जैसे यह गर्मियों के मौसम में घर के तापमान को 6 से 7 डिग्री तक कम कर देता है।
अगर आप भी अपने घर में गोबर से बनी टाइल्स लगाते हैं तो आपको एयर-कंडीशनर लगाने की जरूरत नहीं होगी और साथ-साथ यह घर की सुंदरता में भी चार-चाँद लगाता है। इस बिजनेस को आप शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से शुरू कर सकते हैं।
आइए जानते हैं कि किस प्रकार से गोबर से टाइल्स बनाया जाता है।
गोबर से बनी टाइल्स के फायदे
गोबर से बने टाइल्स में सूक्ष्म छिद्र मौजूद होते हैं जिससे प्रदूषित वायु को सोख लिया जाता है। घर में कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मौजूद होते हैं जैसे मोबाइल फोन। इनसे निकलने वाले रेडिएशन को भी यह टाइल्स अवशोषित कर लेता है। अगर आप खाली पैर इन गोबर के बने टाइल्स पर चलेंगे तो यह आपको गर्मियों में भी ठंडक का अहसास दिलाएगा। गर्मियों के मौसम में आपको यह टाइल्स एयर-कंडीशनर की कमी नहीं खलने देगा और साथ ही बिजली की भी बचत होगी।
कमाएं अच्छा मुनाफा
इस बिजनेस को खासकर ग्रामीण क्षेत्र में शुरू करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बता दें कि हम घर बनाने के लिए जो आम टाइल्स का इस्तेमाल करते हैं उसमें उष्मा को अवशोषण करने की क्षमता नहीं होती है। इस व्यवसाय में आपको टाइल्स का निर्माण करके ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिक्री करनी होगी।
इतने लागत के साथ शुरू करें बिजनेस
अगर गोबर से टाइल्स बनाने का व्यवसाय शुरू करना है तो ग्रामीण क्षेत्र इसके लिए सबसे उचित जगह होगा। शहरी क्षेत्रों में इस व्यवसाय को शुरू करने में ज्यादा लागत आ सकती है क्योंकि शहरों में बिजली, पानी और जगह के लिए ज्यादा खर्च उठाना पड़ेगा। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए हमें एक फैक्ट्री किराए पर लेनी होगी जहां काम किया जा सके।
अगर खुद की जमीन हो तो लागत भी कम लगेगी। गोबर को अच्छी तरह से सुखाने के लिए और चुरा करने की मशीन भी लगानी पड़ेगी। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए करीब 50 हजार से 1 लाख रूपए तक की लागत आ सकती है।
टाइल्स बनाने की प्रक्रिया
सबसे पहले पशु के गोबर को लगभग 2 दिनों तक सुखाया जाता है। इसके बाद गोबर को चुरा करने की मशीन में डाला जाता है। शुद्धता प्रदान करने के लिए चूरे में चंदन पाउडर, कमल के पत्ते, नीलगिरी के पत्ते मिलाए जाते हैं। इस मिश्रण को आवश्यकतानुसार सांचे के आकार में डालना होता है और सांचों से ब्रिक्स तैयार करनी होगी जो सूखने पर टाइल्स का काम करेगी।