खेती-किसानी से सम्बन्धित बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए केन्द्र सरकार ने 15 अगस्त 2020 को एक लाख करोड़ रुपये का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) बनाने की घोषणा की थी। इसकी प्रगति के बारे में केन्द्रीय कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने जो ब्यौरा दिया है उसके मुताबिक, फसल की कटाई के बाद की तमाम गतिविधियों को मज़बूती देने से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए अब तक 8,665 आवेदन आये हैं।
इसके ज़रिये 8,216 करोड़ रुपये के कर्ज़ की माँग की गयी। अभी तक 4,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की योजनाओं के लिए कर्ज़ को मंज़ूरी मिल चुकी है।
क्या है एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF)?
फ़िलहाल, AIF की मियाद 4 वर्षों के लिए है। इसके तहत, पहले साल यानी 31 मार्च 2021 को ख़त्म हुए वित्त वर्ष के लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड रखा गया तो अगले तीन वर्षों के लिए 30,000 करोड़ रुपये सालाना है। इस योजना के तहत खेती-किसानी से जुड़े ढाँचागत प्रोजेक्ट में 2 करोड़ रुपये तक के निवेश पर अधिकतम 7 साल के लिए ब्याज़ पर 3 प्रतिशत सालाना की सब्सिडी दी जाती है।
लेकिन यदि कर्ज़ की राशि 2 करोड़ रुपये से ज़्यादा है कि ब्याज़ पर 3 फ़ीसदी सब्सिडी की सुविधा 2 साल तक ही मिलेगी। यदि इस फंड के तहत 2 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज़ भी लिया जाए तो भी सब्सिडी का लाभ 2 करोड़ रुपये तक ही मिलेगा।
खेती से सम्बन्धित कारोबारों से जुड़े उपयुक्त उद्यमियों को CGTMSE यानी Credit Guarantee Fund Trust for Micro and Small Enterprises की ओर से 2 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट गारंटी की सुविधा भी दी जाती है। इसकी फ़ीस सरकार चुकाएगी। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का लाभ उठाने के इच्छुक निजी क्षेत्र के उद्यमियों के बारे में फ़ैसले लेने की ज़िम्मेदारी कृषि मंत्रालय के तहत काम करने वाली नैशनल मॉनिटरिंग कमेटी की होगी।
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कौन होंगे AIF के लाभार्थी?
किसान उत्पादक संगठन (Farmers Producer Organizations, FPO), प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (Primary Agricultural Cooperative Societies, PACS), कृषि क्षेत्र के उद्यमी और स्टार्ट-अप्स, मार्केटिंग कॉपरेटिव सोसाइटीज, स्वयं सहायता ग्रुप (Self Help Group, SHG), संयुक्त उत्तरदायी समूह (Joint Liability Group, JLG) बहु-उद्देशीय सहकारी संघ (Multi-purpose Cooperative Federation) और केन्द्रीय तथा प्रादेशिक सरकारों या स्थानीय निकायों की ओर से प्रायोजित सार्वजनिक-निजी साझीदारी (Public Private Partnership, PPP) वाली परियोजनाएँ।
कहाँ दिखा कैसा उत्साह?
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ, अभी तक की सबसे बड़ी आवेदक रही हैं। इसके बाद कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों और व्यक्तिगत किसानों का स्थान है। खेती में उपज के भंडारण, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के नेटवर्क को दमदार बनाने के लिए आसान शर्तों पर कर्ज़ मुहैया करवाने वाले इस एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के प्रति सबसे शानदार उत्साह आन्ध्र प्रदेश में दिखा है। वहाँ से 2,125 आवेदन आये हैं, जबकि मध्य प्रदेश से 1,830, उत्तर प्रदेश से 1,255, कर्नाटक से 1,071 और राजस्थान से 613 आवेदन मिले हैं।
कृषि मंत्रालय का कहना है कि इफ़को, हाफेड, नाफेड जैसी खेती-किसानी के कारोबार से जुड़ी संस्थाओं ने किसानों तक अपनी पहुँच बढ़ाने में ख़ासा काम किया है। इसी कोशिश की बदौलत देश में 150 से ज़्यादा किसान उत्पादक संगठन बनाये जा चुके हैं। इन FPO के क्रियाकलाप की वजह से किसानों की आमदनी में सुधार आया है। इसलिए खेती से जुड़े ढाँचागत प्रोजेक्ट के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है।
मसलन, कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक जैसे कामकाज को स्थापित करने के लिए कृषि मंत्रालय को 130 से ज़्यादा आवेदन मिले हैं। इसी तरह कम लागत में खेती, वैज्ञानिक खेती, जैविक खेती, सिंचाई की स्मार्ट सुविधा से जुड़ी ढाँचागत योजनाओं के लिए भी 200 से ज़्यादा आवेदन आये हैं।
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AIF के लिए कैसे करें आवेदन?
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) के लाभार्थियों के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग के पोर्टल पर जाकर आवेदन की जारी प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है। साथ ही इसी पोर्टल https://agriinfra.dac.gov.in पर अपने आवेदन पर हो रही सरकारी प्रगति की जानकारी भी पायी जा सकती है।
AIF के लिए उपयुक्त पोस्ट हार्वेस्ट मैनेज़मेंट प्रोजेक्ट
- ऑनलाइन मार्केटिंग समेत सप्लाई चेन सम्बन्धी सेवाएँ
- भंडारण के लिए बनाये जाने वाले बड़े गोदाम
- प्राथमित प्रोसेसिंग और पैकेज़िंग इकाईयाँ
- छँटनी और ग्रेडिंग इकाईयाँ
- कोल्ड स्टोरेज़ और कोल्ड चेन नेटवर्क
- लॉजिस्टिंक सुविधाएँ
- फसल को पकाने वाले चैम्बर्स
- वैक्सिंग प्लांट्स