प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून किसानों के जीवन में बदलाव लाने वाले अहम कदम साबित हो रहे हैं। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम- 2020 के तहत मध्यप्रदेश के एक एसडीएम द्वारा किए गए फैसले से महाराष्ट्र के किसान को उसके हक की पूरी राशि मिल गई है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में कृषि सुधार और किसानों के हितों के संरक्षण के लिए बनाए गए ये कानून निश्चित ही क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे, जिसका यह एक उदाहरण मात्र है।
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तोमर ने कहा कि महाराष्ट्र के किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने, किसानों की आय बढ़ाने एवं उनके जीवन स्तर में बदलाव लाने के उद्देश्य से सरकार की दूरगामी सोच के अनुरूप भारत सरकार ने नए कृषि कानून बनाए हैं, जिनके माध्यम से सिर्फ और सिर्फ किसानों के हितों का संरक्षण किया गया है।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना है, जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य प्लेटफार्म पर कृषि उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
यह है पूरा मामला
नए कानूनी प्रावधान होने के बाद, एक महत्वपूर्ण प्रकरण में महाराष्ट्र के भटाने (तहसील शिरपुर, जिला धुले) निवासी किसान जितेंद्र को मध्य प्रदेश के खेतिया (जिला बड़वानी) निवासी व्यापारी सुभाष से पानसेमल (बड़वानी) के एसडीएम ने, उसके द्वारा बेची गई मक्का की धनराशि दिलाई है। जितेंद्र द्वारा 270.95 क्विंटल मक्का व्यापारी सुभाष एवं अरुण को बेची गई थी।
इसके बदले क्रेता व्यापारी द्वारा कृषक को 3,32,617 रूपए का भुगतान नहीं करने पर कृषक द्वारा कृषक उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अध्यादेश- 2020 के अंतर्गत,एसडीएम को उसे राशि भुगतान कराने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था।
नए कानून से संबंधित केस होने से इसमें बड़वानी कलेक्टर ने भी दिशा-निर्देश दिए और किसान को व्यापारी से उसकी कृषि उपज का संपूर्ण भुगतान कराया गया।
किसानों से संबंधित विवाद के निपटारे के लिए नए एक्ट में नियम बनाए गए हैं। इसके अनुसार, किसान व व्यापारी के बीच व्यवहार से उत्पन्न कोई भी विवाद पहले सुलह बोर्ड के जरिये पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान द्वारा हल किया जाएगा। आपस में विवाद हल नहीं होने पर एसडीएम को भी आवेदन दिया जा सकता है, जो इसे निश्चित समय-सीमा में निपटाएगा।