रबी फसलों की बुवाई का सीज़न चल रहा है। धान और गन्ना कटने के बाद से ही गेहूं, चना, मटर, सरसों, जौं, मसूर जैसी कई रबी फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है। देश के किसान मुख्य रूप से डाय अमोनियम फ़ॉस्फेट (DAP) का खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, कुछ किसान म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) का भी छिड़काव करते हैं। अभी किसानों को इन दोनों उर्वरकों की भारी किल्लत का सामना कर पड़ रहा है।
पिछले करीब डेढ़ महीने से किसान खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े हैं। घंटों के इंतज़ार के बाद भी खाद नहीं मिल पा रही है। DAP के लिए कई जगह हंगामा और लाठीचार्ज की घटनाएं हो चुकी हैं। आलम ये है कि कई जगहों पर पुलिस-प्रशासन की निगरानी में किसानों को डीएपी और यूरिया बांटी जा रही है।
DAP की किल्लत: अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में दाम में आई उछाल है वजह
DAP की किल्लत की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसके रॉ मटेरियल यानी कच्चे माल की कीमतों का बढ़ना है। फ़ॉस्फ़ोरिक एसिड, अमोनिया आदि की बढ़ती कीमतों के कारण खाद की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। विदेश में जब दाम बढ़ते हैं तो भारत में कंपनियां डीएपी, एनपीके ( NPK ) के दाम बढ़ा देती हैं। अप्रैल 2021 में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे और तैयार माल की कीमत बढ़ने की वजह से कई उर्वरक कंपनियों और संस्थाओं ने DAP की कीमत में 500 से 700 रुपये की बढ़ोतरी की थी। इस वजह से किसानों को 1200 रुपये वाली डीएपी 1500 रुपये , 1475 रुपयेवाली एनपीके 1800 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक में खरीदनी पड़ रही थी। किसानों को राहत देते हुए सरकार ने डीएपी पर अक्टूबर में सब्सिडी का पैसा भी बढ़ाया। 24,231 रुपये से बढ़ा कर 28000 करोड़ रुपये की सब्सिडी कर दी। DAP खाद पर सब्सिडी को 1212 रुपये से बढ़ाकर 1662 रुपये प्रति बोरी कर, किसानों को DAP की एक बोरी पहले की ही तरह 1,200 रुपये में ही मुहैया कराने की व्यवस्था की गई।
इस बीच इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसान अब MOP और DAP की किल्लत होने की वजह से अन्य दूसरे विकल्पों का रुख कर रहे हैं। कई किसान जटील खाद (Complex Fertilizers) का इस्तेमाल कर रहे हैं। Complex Fertilizers की बिक्री में भी ज़बरदस्त उछाल दर्ज किया गया है। DAP और MOP की जगह किसान खाद के रूप में Complex Fertilizers और सिंगल सुपर फ़ॉस्फेट (SSP) का इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले 2021 में इनकी बिक्री में 50 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा देखा गया है।
50 फ़ीसदी तक हुई Complex Fertilisers और SSP की बिक्री
Complex Fertilisers को नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर की एक तय मात्रा तैयार कर बनाया जाता है। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर महीने में इस खाद की खुदरा बिक्री 18.48 लाख टन थी, जो इस बार करीब 50 प्रतिशत तक बढ़कर 27.7 लाख टन तक पहुंच गई। वहीं पिछले साल अक्टूबर-नवंबर महीने में SSP की बिक्री 9.5 लाख टन थी, जो 2021 में बढ़कर 15.78 लाख टन हो गई।
Complex fertilisers में यूरिया, DAP, और MOP की तुलना में पौधों के लिए ज़रूरी पोषक तत्व कम पाए जाते हैं। हालांकि, इन Complex fertilisers में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients) की उचित मात्रा होती है, जो इसे एक संतुलित उर्वरक बनाता है। SSP में भी DAP के मुकाबले 16 फ़ीसदी ही फ़ॉस्फेट पाया जाता है, लेकिन इसमें 11 प्रतिशत सल्फर होता है, जो डीएपी में मौजूद नहीं होता।
एक तरफ़ जहां SSP और Complex fertilisers की बिक्री में भारी बढ़ोतरी हुई है तो दूसरी तरफ DAP और MOP की बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। विशेषज्ञ इसके पीछे का कारण बताते हुए कहते हैं कि आसमान छूती वैश्विक कीमतों के कारण आयात पर असर पड़ा है और माल की भी उपलब्धता नहीं है।
Complex fertilisers और SSP की बिक्री में उछाल एक अच्छा संकेत
फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के महानिदेशक सतीश चंदर ने कहा कि Complex fertilisers और SSP की बिक्री में उछाल एक अच्छा संकेत है। जब उर्वरकों और कच्चे माल (रॉक फॉस्फेट, सल्फर, फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया और liquefied natural gas) की वैश्विक कीमतें आसमान छू रही हैं। अब एक संतुलित फसल पोषण ही आगे का रास्ता है।
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