मुर्गीपालन (Poultry Farming): छोटे किसानों और ग्रामीण युवाओं की आमदनी बढ़ाने के साथ ही उनकी पोषण की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बैकयार्ड मुर्गी पालन (Backyard Poultry Farming) एक अच्छा विकल्प है। साथ ही देश में अंडे और चिकन की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी मुर्गी पालन को बढ़ावा देना ज़रूरी है। इसलिए वैज्ञानिक लगातार इसकी उन्नत नस्ल विकसित करते रहते हैं।
ऐसी ही एक नस्ल है कैरी निर्भीक जिसे केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI) ने विकसित किया है। बैकयार्ड मुर्गीपालन करने वाले किसानों के लिए ये नस्ल बहुत ही बेहतरीन है, क्योंकि ये उनकी कई समस्याओं का समाधान करके मुनाफ़ा बढ़ाने में मदद करती है।
बैकयार्ड के लिए बेस्ट
कैरी निर्भीक रंगीन और दोहरे प्रकार का देसी चिकन है, जिसका उत्पादन ख़ासतौर पर अंडे और मांस के लिए किया जाता है। इस नस्ल की ख़ासियत ये है कि ये बैकयार्ड मुर्गी पालन में आने वाली सभी समस्याओं को दूर करते है जैसे- शिकार की समस्या, प्रतिकूल जलवायु, खराब पोषण और उत्पादकता। दरअसल, ये पक्षी कठोर प्रकृति का है, इसका पंख रंगीन, शरीर हल्का, प्रतिरक्षा बेहतर और विकास दर अच्छी होने की वजह ये सभी समस्याओं से निपटने में सक्षम है। इसकी अंडे देने की क्षमता भी ज़्यादा है।

कैरी निर्भीक की अहम विशेषताएं
पक्षियों की ये नस्ल अपने उग्र और लड़ाकू स्वभाव के लिए जानी जाती है। इनका चलने का तरीका भी दूसरी मुर्गी से अलग होता है। ये शुद्ध देसी मुर्गी है। इनका रंग लाला और पीला होता है, गर्दन लंबी और टांगे मज़बूत होती हैं। सालाना ये मुर्गी 170 से 190 अंडे देती है। इसे घर के पीछे की थोड़ी सी जगह में भी पाला जा सकता है। जिन किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, वो भी कम खर्च में मुर्गी पालन की शुरुआत कर सकते हैं।

मज़बूत और बड़ी होती हैं
इस नस्ल की मुर्गी का मांस प्रोटीन से भरपूर होता है। कैरी निर्भीक मुर्गियां तेज़ तर्रार होने के साथ ही आकार में बड़ी और मज़बूत भी होती हैं। इस नस्ल के नर पक्षी का वज़न 20 हफ़्ते के अंदर 1850 ग्राम और मादा का वज़न तकरीबन 1350 ग्राम के आसपास हो जाता है। ये मुर्गियां 170-180 दिनों में 170 से 200 अंडें तक देती हैं।
मुर्गी पालन से जुड़ी कुछ अहम बातें
अगर आप बैकयार्ड में कैरी निर्भीक को पालने की सोच रहे हैं, तो उपलब्ध स्थान के अनुसार 5 से 25 पक्षियों के साथ शुरुआत कर सकते हैं। पक्षियों को पूरे दिन खुला छोड़ देना चाहिए, मगर रात में उनकी सुरक्षा के लिए साफ और हवादार आवास होना ज़रूरी है। इसे आप उपलब्ध स्थानीय समाग्री से तैयार कर सकते हैं। पक्षियों को लाने के बाद पहले दो-तीन दिन पर्याप्त भोजन दिया जाना चाहिए, जिसमें अनाज का मिश्रण शामिल है। आजकल कई किसान बड़े पैमाने पर इसका पालन कर रहे हैं और 2000 से 5000 पक्षियों को एकसाथ स्टॉल फीडिंग के साथ सीमित शेड में रखते हैं।

बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए कैरी निर्भीक नस्ल
बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए कैरी निर्भीक किसानों की पसंदीदा नस्ल है। इसलिए देश के लगभग 16 राज्यों के किसान इसे पाल रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में आम के किसानों ने बगीचे में विभिन्न कीटों से छुटकारा पाने के लिए आम की खेती के साथ मुर्गी पालन भी शुरू किया। इस तरह से उन्हें आमदनी बढ़ाने में मदद मिली। आम के साथ ही वो चिकन अंडे और मांस की बिक्री के लाभ अर्जित करने के साथ कीटनाशकों पर होने वाले खर्च की भी बचत कर रहे हैं।
कई ICAR संस्थानों की फार्मर्स फर्स्ट, मेरा गांव मेरा गौरव, RKVY, NLM, TSP, SCSP आदि परियोजनाओं के तहत किसानों ने कैरी-निर्भीक जर्मप्लाज़्मा का उपयोग करके बैकयार्ड मुर्गी पालन को अपनाया, जिससे न सिर्फ उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है, बल्कि पोषण संबंधी ज़रूरत भी पूरी हो रही है।
स्टोरी साभार: ICAR
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के बाढ़ पीड़ितों को दी राहत, किसानों को मक्का खेती का भी मंत्रकृषि मंत्री ने पंजाब (Punjab) के बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए बड़ी राहत राशि की घोषणा की, साथ ही देश के किसानों के लिए मक्का जैसी ऑप्शनल फसलों को बढ़ावा देने और एग्रीकल्चर रिसर्च (Agricultural Research) को खेतों तक पहुंचाने का ऐतिहासिक रोडमैप भी पेश किया।
- भारत की समुद्री शक्ति को मिली नई दिशा: NITI Aayog की ‘ब्लू इकॉनमी’ रिपोर्ट से खुलेगा लाखों लोगों के रोज़गार और एक्सपोर्ट का दरवाज़ानीति आयोग (NITI Aayog) ने ‘India’s Blue Economy: Strategy for Harnessing Deep-Sea and Offshore Fisheries’ नाम से एक ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की है, जो देश के गहरे समुद्री संसाधनों (deep sea resources) के दोहन का रोडमैप पेश करती है।
- Rajya Millet Mission Yojana: उत्तराखंड में शुरू हुई खरीफ फ़सलों की ख़रीद, किसानों को मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य का फ़ायदाकिसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए राज्य मिलेट मिशन योजना (Rajya Millet Mission Yojana) के तहत व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इस साल खास बात ये है कि सरकार ने पौष्टिक अनाजों (Millets) को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
- अलीगढ़ में कपास की खेती का बढ़ता रुझान, रक़बा 200 हेक्टेयर बढ़ाअलीगढ़ में कपास की खेती का रक़बा 200 हेक्टेयर बढ़ा। बढ़ते दामों और मुनाफ़े से किसान पारंपरिक फ़सलों से हटकर कपास की ओर बढ़ रहे हैं।
- Harvest Of The Sea-Mariculture: भारत की समुद्री खाद्य सुरक्षा और Blue Economy का रोडमैप, 25 लाख टन का टारगेटमेरीकल्चर यानी समुद्री खेती (Harvest of the Sea- Mariculture) में Central Marine Fisheries Research Institute (CMFRI) के निदेशक डॉ. ग्रिन्सन जॉर्ज ने हाल ही में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, साल 2047 तक भारत को अपना Mariculture प्रोडक्शन में आज के वक़्त के 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 25 लाख टन तक पहुंचाना होगा।
- PM Krishi Dhan Dhanya Yojana: उत्तर प्रदेश के 12 पिछड़े ज़िलों के लिए कृषि क्रांति का ऐलान, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर Focusप्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM Krishi Dhan Dhanya Yojana) के तहत उत्तर प्रदेश के 12 जिलों को चुना गया है, जिन्हें कृषि के हर पहलू में आत्मनिर्भर बनाने का टारगेट है।
- बागवानी से किसानों को मिला नया रास्ता, अमरूद की खेती बनी तरक्क़ी की मिसालअमरूद की खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म बाज़ार में लोकप्रिय होकर किसानों के लिए वरदान बनी।
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेशप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यक्रम में 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का शुभारंभ, लोकार्पण और शिलान्यास किया। ये कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित हुआ, जिसमें दो बड़ी योजनाओं- पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की गई।… Read more: प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश
- सिमरता देवी की मेहनत ने बदली खेती की परंपरा प्राकृतिक खेती से मिली नई राहसिमरता देवी ने प्राकृतिक खेती अपनाकर ख़र्च घटाया, आमदनी बढ़ाई और गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखाई।
- योगी सरकार की सख्ती : उत्तर प्रदेश में अब सैटेलाइट से ट्रैक होगी पराली, Digital Crop Survey में लापरवाही बर्दाश्त नहीं !योगी सरकार ने पराली जलाने की समस्या (Problem of stubble burning) से निपटने के लिए इस बार ‘Zero tolerance’ का रुख अपनाया है।पराली प्रबंधन (stubble management) के साथ-साथ योगी सरकार डिजिटल क्रॉप सर्वे अभियान को लेकर भी पूरी तरह सक्रिय है। इस अभियान का उद्देश्य खेत स्तर तक वास्तविक फसल की जानकारी जुटाना है
- खाद्य सुरक्षा से आत्मनिर्भरता तक: 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी लॉन्च करेंगे कृषि क्रांति के दो महाअस्त्रप्रधानमंत्री मोदी किसानों की ख़ुशहाली और देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) को नई दिशा देने वाली दो बड़ी स्कीम- ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (PM Dhan-Dhaanya Yojana and Self-Reliance in Pulses Mission) की शुरुआत करेंगे।
- Bhavantar Yojana: भावांतर योजना में सोयाबीन रजिस्ट्रेशन शुरू, 5328 रुपये MSP का वादा, बागवानी किसानों को भी फ़ायदामध्य प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसानों (soybean producing farmers) के लिए भावांतर योजना (Bhavantar Yojana) के तहत MSP पर फसल बिक्री के रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू हो चुका है।
- Chatbot In Punjabi Language: धुंए में घिरे पंजाब में पराली प्रबंधन की चुनौती और नई उम्मीद बना पंजाबी भाषा का Chatbot‘सांझ पंजाब’ (‘Sanjh Punjab’) नामक एक गठबंधन ने एक ऐसी रिपोर्ट और टेक्नोलॉजी पेश (stubble management) की है, जो इस समस्या के समाधान (Chatbot in Punjabi Language) की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकती है।
- Stubble Management: केंद्र और राज्यों ने कसी कमर, अब पराली प्रबंधन पर जोर, लिया जाएगा सख़्त एक्शनधान की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष (stubble management) को जलाने के पीछे किसानों की मजबूरी है। अगली फसल (गेहूं) की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है और पराली हटाने की पारंपरिक विधियां महंगी और वक्त लेने वाली हैं। इससे निपटने के लिए अब सरकार ने जो रणनीति बनाई है
- Shepherd Community: भारत की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक ताने-बाने में ग्रामीण जीवन की धड़कन है चरवाहा समुदायचरवाहा समुदाय (shepherd community) की भूमिका सिर्फ पशुपालन (animal husbandry) तक सीमित नहीं है। वे एक पुल की तरह काम करते हैं। जो हमारी परंपरा को आज के वक्त के साथ जोड़ते हैं, प्रकृति के साथ coexistence बढ़ाते हैं। देश की खाद्य सुरक्षा की नींव मजबूत करते हैं।
- खेत से बाज़ार तक बस एक क्लिक! Kapas Kisan App लाया क्रांति, लंबी कतारों और भ्रष्टाचार से मुक्तिकेंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘कपास किसान’ (Kapas Kisan App) मोबाइल ऐप लॉन्च करके देश की कपास खरीद प्रोसेस में एक डिजिटल क्रांति (digital revolution )की शुरूआत की
- प्राकृतिक खेती और सेब की बागवानी से शिमला के किसान सूरत राम को मिली नई पहचानप्राकृतिक खेती से शिमला के किसान सूरत राम ने सेब की खेती में कम लागत और अधिक मुनाफे के साथ अपनी पहचान बनाई है।
- 1962 Mobile App: पशुपालकों का स्मार्ट साथी,Animal Husbandry Revolution का डिजिटल सूत्रधार!Digital India के इस युग में, पशुपालन (animal husbandry) के क्षेत्र में एक ऐसी स्मार्ट क्रांति की शुरुआत हुई है, जो किसानों और पशुपालकों की हर समस्या का समाधान उनकी उंगलियों के इशारे पर ला देना चाहती है। इस क्रांति का नाम है-1962 Mobile App- पशुपालन का स्मार्ट साथी।
- Pulses Atmanirbharta Mission: 11,440 करोड़ रुपये का दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, भारत की आत्मनिर्भरता की ओर ऐतिहासिक छलांगकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (Pulses Atmanirbharta Mission) को मंजूरी दे दी है। ये मिशन, जो 2025-26 से 2030-31 तक चलेगा, देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
- Makhana Revolution In Bihar: बिहार में शुरू हुई मखाना क्रांति, गरीब का ‘Superfood’ बन रहा है वैश्विक धरोहरमखाना महोत्सव 2025 (Makhana Festival 2025) का मंच सिर्फ एक उत्सव का प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि बिहार की अर्थव्यवस्था (Economy of Bihar) के एक नए युग का सूत्रपात (Makhana Revolution In Bihar) बन गया।