सरकारी खरीदारों के लिए बनाये गये वेबपोर्टल ‘गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस’ (GeM) अब राष्ट्रीय बाँस मिशन (National Bamboo Mission, NBM) को जोड़ दिया गया है। उम्मीद है कि ऐसे तकनीक प्रयास से बाँस निर्मित उत्पादों की सरकारी खरीदारों तक पहुँच और बेहतर होगी। इससे न सिर्फ़ बाँस की खेती करने वाले उत्तर पूर्वी राज्यों, आदिवासी क्षेत्रों और जम्मू-कश्मीर के उन किसानों को लाभ होगा, जिनकी आजीविका से बाँस और इसके उत्पादों का सीधा नाता है। ज़ाहिर है, जब बाँस निर्मित वस्तुओं की बाज़ार में माँग बढ़ेगी तो इससे जुड़े शिल्पकारों, कारीगरों और कारोबारियों को भी ज़रूर फ़ायदा होगा।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने 3 जून 2021 को एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान बाँस के उत्पादों के लिए एक समर्पित विंडो ‘द ग्रीन गोल्ड कलेक्शन’ (https://gem.gov.in/national-bamboo-mission) का शुभारम्भ किया। ये इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म बाँस निर्मित उत्पादों के छोटे उत्पादकों और अच्छे विक्रेताओं तक भरोसेमन्द सरकारी खरीदारों की पहुँच बढ़ाएँगे। इससे सभी पक्षों को फ़ायदा होगा। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए बाँस से बनी वस्तुओं के निर्माताओं और कारोबारियों को उपरोक्त पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
‘गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस’ (GeM) पर मौजूद ‘द ग्रीन गोल्ड कलेक्शन’ के माध्यम से बाँस और इससे बने हस्तशिल्प, डिस्पोजेबल और कार्यालयों में उपयोग होने वाले उत्पाद खरीद-बिक्री के लिए प्रदर्शित रहेंगे। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के बाँस के कारीगरों, बुनकरों और कारोबारियों की सरकारी खरीदारों और बाज़ार तक सीधी पहुँच बनायी जा सके। फर्नीचर में बाँस के पोल से लेकर बाँस से बने उत्पाद, लाइफस्टाइल एवं डिकोर, किचनवेयर, औद्योगिक मशीनरी, खिलौने, अगरबत्ती/ खुशबूदार स्टिक्स, डिस्पोजेबल्स पानी की बोतल, योगा चटाई, चारकोल सहित तमाम वस्तुओं को पोर्टल पर अपलोड किया जाता रहेगा।