अजोला की खेती Azolla Cultivation: अजोला पानी पर तैरने वाला एक फर्न यानी जलीय पौधा है। इसे पशुओं को चारे के रूप में खिलाया जाता है। इसमें फाइबर के साथ ही 25 से 30 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है। साथ ही नाइट्रोजन की भी भरपूर मात्रा होती है। पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण ही इसे ग्रीन गोल्ड और पशुओं का ड्राई फ्रूट्स भी कहा जाता है। दुधारु पशुओं को इसे देने से दूध का उत्पादन भी अच्छा होता है।
अजोला को पोल्ट्री के साथ ही दुधारु पशुओं यानी गाय-भैंसों को भी दिया जाता है।ये पशुपालकों के लिए चारे का अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
अजोला के क्या फ़ायदे हैं और इसे किस तरह उगाया जा सकता है ये जानने के लिए किसान ऑफ़ इंडिया की संवाददाता तेजस्विता उपाध्याय ने बात की हिना कौशर से, जो प्लांट प्रोटेक्शन की सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट हैं।
अजोला पशुओं को क्यों दिया जाता है?
हिना कौशर का कहना है कि ये ज़मीन पर उगने वाली फर्न की तरह ही है। इसमें पशुओं के लिए फाइबर और प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है। इसे मु्र्गियों से लेकर गाय-भैंस तक को दिया जा सकता है। इसकी ख़ासियत ये है कि इसमें प्रोटीन, नाइट्रोजन और फाइबर के साथ ही दूसरे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, तो दूसरे चारे में होते हैं।
हिना कौशर बताती हैं कि ऐसी जगहें जहां पानी इकट्ठा हो जाता है और जिस जगह का इस्तेमाल किसान नहीं कर पाते हैं, वहां गड्ढा खोदकर अजोला की खेती की जा सकती हैं।
कैसे उगाएं अजोला?
हिना कौशर बताती हैं कि अजोला (Mosquito ferns) उगाने के लिए किसान 1 मीटर से कम गहराई का गड्ढ़ा खोदें, इसे .75 मीटर गहरा रख सकता हैं और इसकी लंबाई 5 से 7 या 8 मीटर तक रख सकते हैं। गड्ढा खोदने के बाद उसमें प्लास्टिक शीट बिछाई जाती है, इसकी प्रक्रिया वॉटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाने जैसी ही है। फिर गड्ढे में पानी भर दें और उसमें थोड़ा सा फर्न फैला दें। इसका कोई बीज नहीं होता है।
ये फर्न 7-10 दिनों में ही दोगुने हो जाते हैं। फसल की कटाई करने के लिए सारे फर्न न निकालें, बल्कि इसका कुछ भाग निकालकर पशुओं को दें और बाकि छोड़ दें जिससे वह कुछ ही दिनों में दोगुना हो जाएगा और यह प्रक्रिया चलती रहेगी।
धान के खेत के लिए उपयोगी
धान के खेत में बहुत पानी की ज़रूरत होती है ये तो हम सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस एकत्रित पानी का इस्तेमाल अजोला की खेती के लिए किया जा सकता है। हिना कौशर बताती हैं कि धान के खेत में अजोला की खेती (Azolla Farming) आसानी से की जा सकती है। इससे वाष्पीकरण कम होता है और खेत में नाइट्रोजन की मात्रा स्थिर होती है, जिससे धान की अच्छी पैदावार होती है।
खेत में नाइट्रोजन की कम मात्रा डालनी होती है। अजोला की खेती से धान की जड़ों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। इसलिए किसान बिना टेंशन के धान के साथ अजोला उगा सकते हैं।
खराब होने से कैसे बचाएं?
हिना कौशर का कहना है कि खराब होने से बचाने के लिए इस बात का ध्यान रहे कि पानी में इनकी भीड़ न हो जाए। इसलिए समय-समय पर काटते रहें और इसका ध्यान रखें कि जड़ें ऊपर की ओर न हो। साथ ही पानी का लेवल भी बनाए रखना ज़रूरी है।
हरे चारे के रूप में अजोला का इस्तेमाल करते समय इस बात का ध्यान रहे कि इसे दूसरे चारे के साथ मिलाकर देने से ही फ़ायदा होगा। हिना का कहना है कि पशुओं की ज़रूरत ज़्यादा होती है इसलिए सिर्फ़ अजोला काफ़ी नहीं है। इसके साथ ही दूसरा चारा भी दिया जाना चाहिए तभी उन्हें पूरा पोषण मिलेगा। अजोला से न सिर्फ़ पशुओं की दूध की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि सही तरीके से इस्तेमाल करने पर दूध का उत्पादन भी बढ़ता है जिससे किसानों की आय में इज़ाफ़ा होता है।
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