Best Hybrid Tomato Variety: गर्मियों में टमाटर की संकर किस्म की खेती से उत्पादन होगा बेहतर

ज़्यादा तापमान की वजह से टमाटर के वानस्पतिक विकास में कमी आती है। फूलों पर फल कम बनते हैं और फूल गिरने लगते हैं। फूलों का अगला हिस्सा जल जाता है। फलों का आकार छोटा होता है और उनकी संख्या में भी कमी आती है।

टमाटर की संकर किस्म Best Hybrid Tomato Variety

आलू, प्याज के बाद जिस सब्ज़ी की सबसे ज़्यादा खपत है वो है टमाटर। मगर टमाटर की खेती गर्मियों में प्रभावित होती थी, इसलिए कृषि वैज्ञानिकों ने टमाटर की ऐसी किस्म विकसित की है जिससे किसान गर्मियों में भी बंपर पैदावर ले सकते हैं। टमाटर एक महत्वपूर्ण सब्ज़ी फसल है। इसकी खेती मुख्य रूप से राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश में की जाती है। इस लेख में हम आपको टमाटर की संकर किस्म के बारे में बताएंगे।

टमाटर की उन्नत खेती के लिए दिन का तापमान 21-24 डिग्री सेंटीग्रेड और रात का तापमान 16-20 डिग्री सेंटीग्रेड अच्छा माना जाता है। अधिक तापमान से टमाटर की फसल प्रभावित होती है इसलिए उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम में टमाटर की खेती प्रभावित होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दिन का तापमान 37-42 डिग्री तक जाता है।

ऐसे में अधिक तापमान की वजह से टमाटर के वानस्पतिक विकास में कमी आती है। फूलों पर फल कम बनते हैं और फूल गिरने लगते हैं। फूलों का अगला हिस्सा जल जाता है। फलों का आकार छोटा होता है और उनकी संख्या में भी कमी आती है। फल का वज़न भी कम होता है और उनका रंग अच्छी तरह से विकसित नहीं होता है। इन समस्याओं के कारण टमाटर की पैदावर कम होती या कई बार बिल्कुल नहीं होती, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

गर्मियों के लिए टमाटर की किस्म (Best Tomato For Summer)

टमाटर की पैदावर कम होने से बाज़ार में इसकी कीमत भी अधिक हो जाती है, ऐसे में भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने टमाटर की संकर किस्म वी.आर.एन.टी.एच-18283 (काशी अद्भुत) विकसित की है, जो गर्मियों में भी अच्छा उत्पादन देती है।

टमाटर की संकर किस्म काशी अद्भुत-VRNTH-18283 (Best Hybrid Tomato Variety)

टमाटर की संकर किस्म काशी अद्भुत ज़्यादा तापमान में भी अच्छा उत्पादन देती है। दूसरी किस्मों की तुलना में इसमें फूलों की संख्या अधिक होती है। फूल कम गिरते हैं। प्रति पौध फलों की संख्या अधिक होती है। फलों का आकार बड़ा होता है।  इनका वज़न भी ज़्यादा होता है और उत्पादन 40-50 टन प्रति हेक्टेयर रहती है।

उत्तर भारत में जब मई जून में तापमान 38-40 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है, तो उस समय ये किस्म उगाना किसानों के लिए फ़ायदेमंद है। दूसरी संकर किस्मों की तुलना में उच्च तापमान में इसका उत्पादन 2.0-2.5 गुना ज़्यादा होता हैF।

तीन तुड़ाई के बाद भी फलों का वज़न ज़्यादा कम नहीं होता है। ज़्यादा तापमान में भी फलों का रंग एक समान लाल होता है और इसकी भंडारण क्षमता भी अच्छी है। ऐसे में उत्तर भारत के किसानों के लिए ये किस्म किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि गर्मी के मौसम में भी उन्हें बेहतरीन गुणवत्ता वाली फसल मिल जाती है जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती है।

गर्मी के मौसम में मैदानी इलाकों में तापमान बढ़ने की वजह से टमाटर का उत्पादन कम होता है। इसकी वजह से पहाड़ी राज्यों से आने वाले संकर प्रजाति के टमाटर पर निर्भरता बढ़ जाती है। इसी कारण टमाटर महेंगे हो जाते हैं। ऐसे में काशी अद्भुत किस्म के आने से टमाटर की कीमतें तो नियंत्रित रहेंगी ही, इससे किसानों को भी मुनाफ़ा होगा, क्योंकि ये किस्म 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है।

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टमाटर की नर्सरी कैसे तैयार करें? (How To Prepare Tomato Nursery?

एक हेक्टेयर में खेती के लिए काशी अद्भुत के 150-200 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करने की ज़रूरत है। प्रति किलो बीज को 2 ग्राम फंगीसाइड कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें। जिस मिट्टी में बुवाई करनी है उसमें प्रति वर्ग मीटर 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा डालें।

बीजों की बुवाई जनवरी के पहले या दूसरे हफ़्ते में करें। बीजों को गमले, प्लग ट्रे या बीज बेड बनाकर बुवाई करें। नर्सरी बनाने के लिए जीवाश्म वाली बलुई दोमट मिट्टी की ज़रूरत होती है जिसमें 10 ग्राम डाई अमोनियम फास्फेट और 1.5-2.0 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिलाएं।

बीज़ों की बुवाई पंक्तियों में करें। पंक्ति से पंक्ति के बीच 5-6 सेंमी. की दूरी रखें और पौधे से पौधे के बीच 1-2 सेंमी. की दूरी रखें। बुवाई के बाद क्यारियों को सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट से ढक दें। इसके बाद हल्की सिंचाई करें। बुवाई के 30-35 दिन बाद पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।

खेत की तैयारी (Land Preparation For Tomato Farming)

टमाटर की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पी.एच. मान 6.0-6.7 तक होना चाहिए। रोपाई से पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर लें। उसके बाद 3-4 बार कल्टीवेटर चलाकर मिट्टी भुरभुरी करें और खेत को समतल बना लें।

टमाटर की फसल में खाद-उर्वरक (Tomato Fertilizing Tips)

खाद और उर्वरक का इस्तेमाल मिट्टी की जांच के बाद ही करें। आमतौर पर प्रति हेक्टेयर 20-30 टन सड़ी हुई गोबर की खाद, 326 किलो यूरिया, 173 किलो डाई अमोनियम फॉस्फेट और 166 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश की ज़रूरत पड़ती है। यूरिया की आधी मात्रा और डाई अमोनियम फॉस्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय डालें। यूरिया की बची हुई मात्रा को दो भागों में बांट लें और रोपाई के 25-30 दिन बाद और दूसरी मात्रा 45-50 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें।

टमाटर की खेती में सिंचाई और निराई-गुड़ाई (Irrigation & Weed Management In Tomato Farming)

गर्मी के मौसम में लगाई जाने वाली टमाटर की फसल को ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत होती है। पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद करें। उसके बाद 5-7 दिनों के अंतराल पर ज़रूरत के हिसाब से सिंचाई करें। समय पर सिंचाई करना ज़रूरी है वरना पौधों का विकास सही तरह से नहीं होगा। फूल गिरने लगेंगे और फलों की संख्या भी कम हो जाती है। चूंकि गर्मियों के मौसम में ज़्यादा सिंचाई की जाती है, इसलिए खरपतवार की समस्या भी अधिक होती है। इसलिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहनी चाहिए। अच्छी फसल के लिए 2-3 निराई-गुड़ाई की ज़रूरत पड़ती है। काशी अद्भुत की प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता 40-45 टन है।

टमाटर की अन्य उन्नत किस्में (Popular Tomato Varieties)

टमाटर की कई उन्नत किस्में हैं। टमाटर की देसी किस्मों में पूसा शीतल, पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ और सोनाली प्रमुख हैं। टमाटर की हाइब्रिड किस्मों में पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 प्रमुख हैं।

टमाटर की फसल में ध्यान रखें ये बातें (Tomato Growing Tips)

-टमाटर की फसल के लिए काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी अच्छी होती है। वैसे टमाटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है, लेकिन हल्की मिट्टी में भी टमाटर की खेती की जा सकती है।
-इसकी अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 होना चाहिए क्योंकि इसमें मध्यम अम्लीय और लवणीय मिट्टी को सहन करने की क्षमता होती है।
-कई तरह के कीटों और मिट्टी से होने वाले रोगों से बचाने के लिए बीज को उचारित करना ज़रूरी हैं।
-टमाटर की फसल गर्मियों में लगाने पर 6 से 7 दिनों के अंतर में सिंचाई करनी चाहिए।
-सर्दियों में टमाटर की फसल लगाने पर 10-15 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए।
-टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना ज़रूरी है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुंचाएंगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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