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केंद्र सरकार ने हरित क्रांति के जनक डॉ.एमएस स्वामीनाथन, चौधरी चरण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इसकी जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर ट्वीट कर के साझा की। किसान साथियों आइए जानते हैं डॉ.स्वामीनाथन के कृषि के क्षेत्र में दिए योगदानों के बारे में।
डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के बारें में
डॉ.स्वामीनाथन का कृषि में सर्वोच्च योगदान रहा है। स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। डॉ.स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को कुंभकोणम, तमिलनाडु में हुआ था। इनका पूरा नाम मोड कोंब सांबशिवन स्वामीनाथन हैं। स्वामीनाथन ने 20 सितंबर 2023 को 98 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली थी।
डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन कैसे आए कृषि की ओर?
स्वामीनाथन अपना करियर मेडिकल में बनाना चाहते थे, लेकिन 1942-43 के बंगाल में पड़े भीषण अकाल के बारे में जानने के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया। इस भयानक घटना का उन पर गहरा असर पड़ा। इस कारण कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अपना मन बना लिया । उन्होंने कृषि में अनुसंधान करने का फैसला लिया।
डॉ.स्वामीनाथन ने कृषि क्षेत्र में की पढ़ाई
डॉ.स्वामीनाथन ने कृषि के क्षेत्र में अध्ययन और रिसर्च की। स्वामीनाथन ने साल 1944 में मद्रास एग्रीकल्चर कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ़ साइंस की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1947 में आनुवंशिकी और पादप प्रजनन की स्टडी की। आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान आ गए। साल 1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री ली।
डॉ.स्वामीनाथन ने इन पदों पर रहकर दी अपनी सेवाएं
स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक के तौर पर काम किया। यहां उन्होंने आईसीएआर और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अहम भूमिका निभाई। इसके साथ खाद्य और कृषि संगठन परिषद के स्वतंत्र अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया। अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण और कृषि संगठनों में लीडर के तौर पर अहम भूमिका निभाई।
डॉ.स्वामीनाथन और हरित क्रांति
स्वामीनाथन देश में हरित क्रांति का जनक हैं। हरित क्रांति से उन्होंने केमिकल-जैविक तकनीक के इस्तेमाल से धान और गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी ला दी थी। 1960-70 के दशक में भारत कृषि के क्षेत्र में उन्नति की शुरुआत हुई, जिसके बाद से भारत के कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस परिवर्तन से फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। इस बढ़ोतरी से भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया।
किसानों के विकास के लिए दिए कई सुझाव
राज्यसभा सांसद रहे डॉ.स्वामीनाथन ने किसानों के विकास के लिए कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का सुझाव अपनी रिपोर्ट में दिया, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट कहा जाता है। इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि MSP औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 फ़ीसदी से ज्यादा होना चाहिए। डॉ स्वामीनाथन ने पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 के अधिनियम को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।
डॉ. स्वामीनाथन को मिलने वाले पुरस्कार
डॉ. स्वामीनाथन को कृषि के नोबेल प्राइज़ विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। ये सम्मान सबसे पहले इनको ही प्रदान किया गया था। ये सम्मान उनको 1987 में दिया गया। उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कारों क्रमशः 1967,1972 और 1989 में सम्मानित किया गया। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 1971 और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार 1986 में डॉ. स्वामीनाथन को सम्मानित किया जा चुका है।
किसानों के नेता चौधरी चरण सिंह
भारत सरकार ने आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। चौधरी चरण सिंह को किसानों का नेता कहा जाता है। चौधरी चरण का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के नूरपुर में हुआ था। उनका जन्मदिन 23 दिसंबर को भारत में किसान दिवस या राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
चौधरी चरण सिंह यूपी के सीएम , गृह मंत्री , सांसद, विधायक जैसे पदों पर रहे हैं। अगर इतिहास के पन्ने खंगाले जाएंगे तो 1952 में देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत थे। उनके द्वारा चौधरी चरण सिंह को कई किसानों से संबंधित जिम्मेदारियां सौंपी उनमें से एक जमींदारी प्रथा का उन्मूलन था जिसको बखूबी अंजाम दिया। भूमि संरक्षण कानून साल 1954 में पारित हुआ और रातों रात लाखों की संख्या में किसान मालिक बन गए। कृषि में तरह-तरह की छूट, आर्थिक मदद के तरीके भी उन्हीं की देन हैं। भारत सरकार में पहुंचे तो किसानों को समर्थन देने वाले नाबार्ड की स्थापना की।