भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढुनी ने सरकार को किसान आंदोलन के शक्ल में आगे और विस्तार होने और दिल्ली की सभी बॉर्डर को सील करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अंजाम तक जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानून के विरोध में किसानों का विरोध प्रदर्शन सोमवार को पांचवें दिन जारी रहा।
इसी सिलसिले में यहां मीडिया को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन चोटी पर है और हरियाणा में सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है। इससे पहले उन्होंने कुंडली बॉर्डर पर बड़ी तादाद में पहुंचे किसानों को संबोधित किया। दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर 26 नवंबर से ही किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार जब तक हमारी बात नहीं मानेगी तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा और यह सरकार के गले की फांस बनेगा। भारतीय किसान यूनियन नेता ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि किसानों की बात नहीं मानने पर आंदोलन का शक्ल और बड़ा बनेगा और दिल्ली की तरफ जाने वाले अन्य मार्गों को सील करने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ेगा।
गुरनाम सिंह ने कहा, “एक बात हम मोदी जी (प्रधानमंत्री) को साफतौर पर बता देना चाहते हैं कि शायद वह यह सोच रहे हैं कि बातचीत के लिए समय लंबा देंगे तो संख्याबल कम हो जाएगा और सर्दी में परेशान होकर वे (किसान) भाग जाएंगे, लेकिन रिपोर्ट लेकर देख लें, हमारी संख्या कल से आज ज्यादा है और कल और ज्यादा होगी।”
उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून से कॉरपोरेट को फायदा होगा और सारा एग्रोबिजनेस उनके पास चला जाएगा। गुरनाम सिंह ने कहा कि इससे न सिर्फ किसानों को, बल्कि देश में सभी वर्गों को नुकसान होगा। इसलिए यह आंदोलन सिर्फ किसानों का नहीं है, बल्कि सभी वर्गों का है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में सरकार की सख्ती के बावजूद किसानों का आंदोलन चोटी पर है और प्रदेश के सभी वर्गो का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने बताया कि खाप पंचायतों ने किसानों को समर्थन दिया है और अन्य समुदाय के लोग भी किसान आंदोलन से जुड़ने लगे हैं, इसलिए आंदोलन का शक्ल धीरे-धीरे बड़ा बनता जा रहा है।
मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नए कृषि कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 शामिल हैं। प्रदर्शन कारी किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसके अलावाना उनकी कुछ अन्य मांगें भी हैं।