कैसे करें करेले की खेती?
करेला की देसी और हाईब्रिड, दोनों किस्म के बीज बाज़ार में आसानी से मिल जाते हैं। अलग-अलग किस्मों की उपज और उसके पकने का वक़्त अलग-अलग होना स्वाभाविक है। करेले की खेती में प्रति एकड़ 3 से 4 किलो बीज की ज़रूरत पड़ती है। बुआई से पहले बीजों को एक दिन के लिए पानी में भिगोना चाहिए। बुआई के लिए खेत की अच्छी जुताई करके करीब दो फ़ीट पर क्यारियाँ बनाकर इसकी ढाल के दोनों और करीब एक से डेढ़ मीटर की दूरी पर बीजों को रोपना चाहिए। हरेक जगह 2-3 बीजों को ज़मीन में एक-डेढ़ इंच नीचे रोपना चाहिए। करेला के पौधों को नर्सरी में भी तैयार करके उसकी रोपाई की जाती है। लेकिन तैयार पौधों को भी बीजों की तरह ही खेत में लगाया जाता है। फसल के शुरुआती दौर में निराई-गुड़ाई करके खेत को खरपतवारों से मुक्त रखने से करेला की उपज अच्छी मिलती है। करेला को साधारण सिंचाई की ही ज़रूरत होती है। फूल या फल बनने के दौर में खेत में नमी अच्छी रहनी चाहिए। लेकिन खेत को जल भराव से बचाना चाहिए। करेला का पौधा बेल के रूप में बढ़ता है। इसीलिए इसकी बेलों को सहारा देने के लिए इसे सुतली से बाँधकर बाँस के ढाँचों पर फैलाना चाहिए ताकि बेलों का विकास तेज़ी से होता रहे। वर्ना फसल ख़राब होने का खतरा रहता है। करेला को उस समय तोड़ना चाहिए जब उसके बीज कच्चे हों।खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल
करेला की रोपाई से पहले खेत को तैयार करते वक़्त गोबर की खाद या कम्पोस्ट का इस्तेमाल भी करना चाहिए। करेला की फसल जल्द रोगग्रस्त होती है। इसकी जड़ों से लेकर बाक़ी हिस्सों में कीड़े भी लगते हैं। रेड बीटल, माहू रोग और सुंडी रोग से करेला की फसल ज़्यादा प्रभावित होती है। इसे वायरसों के प्रकोप से भी बचाना ज़रूरी है। इसीलिए कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही कीटनाशक या रासायनिक खाद का इस्तेमाल करके फसल का उपचार करते रहना चाहिए।करेले की उन्नत किस्में
कल्याणपुर बारहमासी, पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, अर्का हरित, प्रिया को-1, एस डी यू- 1, कल्याणपुर सोना, पूसा शंकर-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हरा और सोलन सफ़ेद जैसी किस्मों से करेला की अच्छी पैदावार होती है। ये किस्में देश के अलग-अलग इलाकों में प्रचलित हैं। ये भी पढ़ें: पंडाल तकनीक से करेले की खेती (Bitter Gourd Farming), तमिलनाडु के एन. विजयकुमार ने किया उन्नत तकनीकों का इस्तेमालसम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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