किसानों की आमदनी और उन्हें लाभ पहुंचाने की दिशा में केंद्र और राज्य सरकारों समेत कृषि वैज्ञानिक लगातार नए प्रयोग और तकनीकों पर काम करते रहते हैं। इस कड़ी में हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविध्यालय (CCSHAU) ने टिश्यू कल्चर विधि के ज़रिए कई पौधे तैयार किए हैं। इस तकनीक से तैयार किए गए लाखों पौधे अब तक किसानों को बांटे भी जा चुके हैं।
6 महीने में ही 50 हज़ार पौधे तैयार
टिश्यू कल्चर विधि की खासियत है कि इस तकनीक से एक पौधे के छोटे से भाग से 6 महीने में ही 50 हज़ार पौधे तैयार हो जाते हैं। CCSHAU के आणविक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विभाग की विशेष प्रयोगशाला में इन पौधों का उत्पादन किया जा रहा है।
अभी हाल ही में CCSHAU पहुंचे हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला का ज़ायजा लिया और टिश्यू कल्चर विधि से पौधों को तैयार करने वाली टीम की सराहना भी की।
रोग रहित होते हैं पौधे
CCSHAU टिश्यू कल्चर विधि से ऐसे पौधों को तैयार कर रहा है, जिन पौधों में बीज नहीं बनते या फिर बीज का उत्पादन कम रहता है। CCSHAU के कुलपति प्रोफेसर बी. आर. काम्बोज के अनुसार, टिश्यू कल्चर विधि में पौधों के एक छोटे से भाग से बहुत ही कम समय में रोग रहित हज़ारों पौधों का उत्पादन किया जा सकता है।
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किसानों को बांट चुके हैं करीब 5 लाख पौधे
इस समय CCSHAU विभाग गन्ने के अलावा, एलोवेरा और अन्य औषधीय के रोग रहित पौधे सस्ती दरों पर किसानों को दे रहा है। अभी तक गन्ना, केला और अन्य औषधीय पौधों के करीब 5 लाख पौधे किसानों को मुहैया करवाए जा चुके हैं।
टिश्यू कल्चर विधि से तैयार पौधों की खासियत
टिश्यू कल्चर विधि से तैयार पौधे न सिर्फ़ रोग रहित होते हैं, बल्कि आनुवंशिक रूप से भी उन्नत होते हैं। इस तकनीक की मदद से अच्छी प्रजाति के पौधों के अस्तित्व को बचाया जा सकता है, साथ ही सीमित समय में उसके हज़ारों पौधे बनाए भी जा सकते हैं। इस विधि की मदद से बिना सीज़न के पौधों को भी तैयार किया जा सकता है।
क्या है टिश्यू कल्चर विधि
टिश्यू कल्चर विधि में किसी भी पौधे की जड़, पत्ती या तना का छोटा स टुकड़ा लेकर उसको कांच की बोतल में रख दिया जाता है। फिर कई तरह के हॉर्मोन के प्रभाव से ये पौधे तैयार किए जाते हैं। इस विधि में शुरुआत में पौधे बोतल के अंदर ही रखे जाते हैं, फिर पॉलीहाउस में इन्हें तैयार किया जाता है। उसके बाद ही इनका रोपण किया जाता है।