पशुपालन और मुर्गीपालन की तरह बटेर पालन (Quail Farming) लोकप्रिय भले न हो, मगर यह भी मुनाफ़े का व्यवसाय है। बटेर पालन में बहुत कम लागत आती है, इतना ही नहीं यह जल्दी बेचने लायक भी हो जाते हैं। इसका मांस और अंडा दोनों ही बेच सकते हैं। मुर्गी की तुलना में इसके मांस की मांग अधिक है, क्योंकि यह अधिक पौष्टिक होता है। वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के तहत बटेर का शिकार करना प्रतिबंधित है, लेकिन सरकार से लाइसेंस लेकर बटेर का पालन किया जा सकता है।
क्या है बटेर पालन?
बटेर एक तरह का जंगली पक्षी है, जिसे मांस और अंडे के लिए पाला जाता है, मगर बहुत कम संख्या में लोग इसे पालते हैं और इनकी संख्या भी दिनों-दिन कम होती जा रही है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में इसके स्वादिष्ट मांस की मांग बढ़ी है, जिससे इस व्यपसाय में अच्छी संभावनाएं हैं। जापानी बटेर को ही आमतौर पर बटेर कहा जाता है। यह कई तरह की होती हैं, ख़ासतौर पर पंख के आधार पर इन्हें अलग-अलग किस्मों में बांटा जा सकता है, जैसे फराओं, इंगलिश सफेद, टिक्सडो, ब्रिटश रेज और माचुरियन गोल्डन। किसानों की आमदनी बढ़ाने में जापानी बटेर बहुत मददगार है, क्योंकि यह मुर्गी से जल्दी तैयार हो जाती है और इसे ख़ास देखभाल की भी ज़रूरत नहीं होती। छत्तीसगढ़ की 34 साल की रुकमणी बाई भी खेती के साथ बटेर पालन से अतिरिक्त कमाई कर रही हैं।
जापानी बटेर की विशेषताएं
- मादा बटेर 45 दिन की उम्र में अंडे देना शुरू कर देती है और 60वें दिन तक पूर्ण उत्पादन की स्थिति में आ जाती है।
- बटेर जल्दी परिपक्व (Mature) हो जाते हैं मादा बटेर 6 से 7 सप्ताह में ही अण्डे देना शुरू कर देती है तथा बटेर की बाजार में 5 सप्ताह बाद ही बेचने की आयु हो जाती है।
- मादा बटेर औसतन सालाना 280 तक अंडे दे सकती है।
- इन्हें रखने के लिए मुर्गी से कम जगह चाहिए। एक मुर्गी की जगह पर 8-10 बटेर को रखा जा सकता है, क्योंकि यह छोटे होते हैं और दाना भी कम खाते हैं।
- इनका वज़न तेज़ी से बढ़ता है, जिससे मांस जल्दी तैयार हो जाता है।
- बटेर का अंडा और मांस बहुत पौष्टिक होता है।
खेती के साथ बटेर पालन
छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले के कोना गांव की रहने वाली रुकमणी बाई के पास खेती योग्य 3.5 एकड़ ज़मीन है। इसमें से 2 एकड़ में वह ट्यूबवेल से सिंचाई करती हैं। खेती के अलावा, अतिरिक्त आमदनी के लिए वह बटेर पालन का भी काम कर रही हैं।
रुकमणी ने ग्रामीण युवाओं के कौशल प्रशिक्षण (Skill Training of Rural Youth, STRY) के तहत 11 से 16 जनवरी, 2021 तक आयोजित एक हफ़्ते की ट्रेनिंग में हिस्सा लिया। इस दौरान ही उन्हें बटेर पालन से जुड़ी जानकारी और ट्रेनिंग मिली। STRY कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (MANAGE), हैदराबाद द्वारा SAMETIs के सहयोग से किया जाता है।
भलेसर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने छत्तीसगढ़ समेटी के सहयोग से इस सकिल बेस्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया था। इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में ग्रामीण युवाओं को वैज्ञानिक तरीके से मुर्गी पालन, बटेर पालन, व्यावसायिक पालन के लिए हेचरी मशीनें, और मृत्यु दर कम करने के लिए उचित प्रबंधन और टीकाकरण के बारे में जानकारियां दी गईं। ट्रेनिंग के दौरान युवाओं को आय बढ़ाने के लिए मार्केट से संपर्क स्थापित करने के महत्व को भी समझाया गया।
मेहनत से पाई सफलता
रुकमणी ने अपनी मेहनत और लगन से बटेर पालन के व्यवसाय में सफलता हासिल की और अब वह सालाना 45 हज़ार रुपये की कमाई कर रही हैं। इस काम में उन्हें परिवार और दोस्तों का भी साथ मिला। साथ ही कई सरकारी संस्थाओं ने भी उनकी मदद की। आप भी सरकार से लाइसेंस प्राप्त करके बटेर पालन को व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं।
अगर कोई बटेर पालन शुरु करना चाहता है या कोई तकनीकी जानकारी चाहता है तो बरेली, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में संपर्क कर सकता है। बटेर के चूजों को भी संस्थान द्वारा खरीद सकता है। ज़्यादा जानकारी के लिए आप 0581-2303223, 0581-2300204 नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।
- जानिए कैसे इंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि तकनीकों से खेती को नई दिशा दीइंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि में सुपर सीडर, ड्रोन सीडर और रोटावेटर का उपयोग करके मक्का, गन्ना, और धान की फसलें उगाई हैं।
- Food Processing से वंदना ने बनाया सफल बिज़नेस: दिल्ली की प्रेरणादायक कहानीदिल्ली की वंदना जी ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से पारंपरिक भारतीय स्वादों को नया रूप दिया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
- देवाराम के पास 525+ बकरियां, बकरी पालन में आधुनिक तकनीक अपनाईदेवाराम ने डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक छोटे स्तर से की थी, लेकिन वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बाद उनकी डेयरी यूनिट का विस्तार हुआ।