मौजूदा दौर में किसानों को बीज, खाद और सिंचाई वग़ैरह जैसी खेती के लिए अनिवार्य चीज़ों की लिस्ट में फसल बीमा को भी शामिल रखना चाहिए। फसल बीमा करवाने के लिए किसानों को जो प्रीमियम यानी किस्त भरनी पड़ेगी, उससे भले ही खेती की लागत बढ़ जाती है, लेकिन किसानों को चाहिए कि वो फसल बीमा को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानें जितना के खेती के लिए बीज, खाद और सिंचाई है।
क्यों ज़रूरी है फसल बीमा?
सही मायनों में किसानों की दो चुनौतियाँ ऐसी हैं जो उन्हें तबाह कर देती है और जिनका उनके पास कोई समाधान नहीं होता। पहली चुनौती है, मौसम की मेहरबानी से हुई बम्पर फसल और दूसरी चुनौती है मौसम के कहर या प्राकृतिक आपदाओं की वजह से तबाह हुई फसल। बम्पर फसल किसान को तब तक ही खुशी देती है, जब तक कि वो खेतों में लहलहा रही होती है, क्योंकि बाज़ार में बम्पर फसल वाली उपज का कभी सही दाम नहीं मिलता। उन फसलों के मामले में तो बिल्कुल नहीं, जिन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जोड़ा नहीं गया है।
दूसरी ओर है बाढ़, सूखा, ओला वृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाएँ, जो किसानों को पूरी तरह से तबाह कर देती हैं। बम्पर फसल की मार से किसानों को सिर्फ़ मार्केटिंग का बेहतर नेटवर्क ही उबार सकता है, जो किसानों की पहुँच से ख़ासा दूर होता है लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के मार से बचाव के लिए किसान को ख़ुद कमर कसकर आगे आना चाहिए और फसल बीमा से ज़रूर जुड़ना चाहिए। फसल बीमा का पालिसी ज़रूर खरीदनी चाहिए।
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स्वैच्छिक है फसल बीमा
वैसे तो केन्द्र और राज्य सरकारों ने सभी किसानों की सभी फसल को बीमा योजना से जोड़ने की नीति बनायी होती और वहीं कृषि क्षेत्र या किसानों के कल्याण के लिए खर्च होने वाली रकम से बीमा की किस्तें भरती तो ये सबसे बेहतर होता। लेकिन फ़िलहाल, फसल बीमा को किसानों के स्वैच्छिक ही बनाकर रखा गया है।
यानी, जो किसान चाहें वो किस्तें भरें और फसल बीमा का लाभ उठाएँ और जो किस्तें भरने की दशा में नहीं हैं ‘राम भरोसे’ ही रहें। आमतौर पर खेती-किसानी के लिए बैंकों से कर्ज़ लेने पर किसानों को फसल बीमा से भी जोड़ा जाता है और उन्हें बीमा की किस्तें भी भरनी पड़ती हैं, लेकिन किसानों को लिखित आवेदन देकर फसल बीमा से बाहर निकलने का विकल्प भी दिया जाता है।
31 जुलाई तक करवाएँ फसल बीमा
बैंकों से कर्ज़ नहीं लेने वाले किसान भी फसल बीमा करवाने के हक़दार हैं। इच्छुक किसानों को बैंकों या किसान ग्राहक सेवा केन्द्र या बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि से अपनी फसल का बीमा करवाना चाहिए। इस साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए 31 जुलाई तक का वक़्त निर्धारित है।
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कितनी होगी फसल बीमा की किस्त?
फसल बीमा के तहत हर्ज़ाना पाने की कुल रकम और इसके लिए चुकाये जाने वाली किस्त की राशि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भी हो सकती है। इसलिए सही जानकारी को स्थानीय स्तर पर ही हासिल करना चाहिए। लेकिन मोटे तौर पर खरीफ की फसलों के लिए हर्ज़ाना (बीमित) की कुल रकम का 2% और रबी की फसलों के लिए 1.5% किस्त भरना पड़ता है।
कैसे करवाएँ फसल बीमा?
फसल बीमा के लिए ऑनलाइन या ऑफ़लाइन, दोनों माध्यमों से आवेदन कर सकते हैं। ऑफ़लाइन आवेदकों को अपने नज़दीकी बैंक या बीमा कम्पनी के दफ़्तर में जाकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फॉर्म लेना होगा और फिर उसे भरकर तथा ज़रूरी काग़ज़ातों को संलग्न करके वही जमा करवाना होगा। इसके दो से तीन हफ़्ते के भीतर किसानों को बीमा की पालिसी दे दी जाती है।
फसल बीमा योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करने वाले किसानों को इसके सरकारी पोर्टल https://pmfby.gov.in/ पर जाकर सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन और अकाउंट बनाना होगा। फिर अपने अकाउंट से लॉगिन करके फसल बीमा का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होगा। इसके बाद ज़रूरी दस्तावेज़ों को अटैच करके सब्मिट बटन क्लिक करना होगा।
फसल बीमा के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
- · आवेदक किसान का फोटो पहचान पत्र – जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, या वोटर आईडी।
- · पासपोर्ट साइज फोटो
- · जिस खेत की फसल का बीमा करवाना है उसके मालिकाना हक़ या लीज़ के काग़ज़ात जिसमें खसरा और खाता नम्बर लिखा हो।
- · खेत में हुई फसल की बुवाई का पटवारी या सरपंच की ओर से जारी प्रमाणपत्र
- · आवेदक किसान के बैंक खाते का ब्यौरा। बीमा कम्पनी से मिलने वाला मुआवज़ा इसी खाते में आएगा।
प्रति एकड़ बीमा की रकम और किस्त (रुपये)