भारतीय कृषि की दुर्दशा और पिछड़ेपन को दूर करने में MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब केंद्र सरकार ने खरीफ़ फसलों की MSP को लेकर एक और बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी दी कि सरकार ने 2022-23 के लिए कई खरीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। मोदी सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs, CCEA) की बैठक में ये मंजूरी दी गई। इसके तहत 17 खरीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की गई है।
खरीफ विपणन सत्र 2022-23 में किसानों को मिली भारत सरकार की सौगात
माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2022-23 विपणन मौसम के लिए सभी अधिदेशित खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दे दी है pic.twitter.com/mVBBCYLYy8
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) June 8, 2022
अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि सरकार कई फसलों को एमएसपी के दायरे में लेकर आई है। कृषि बजट भी बढ़कर 1 लाख 26 हजार करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा-
“बुवाई के समय एमएसपी की जानकारी हो जाने से किसानों का मनोबल भी बढ़ता है और उन्हें फसल के दाम भी अच्छे मिलते हैं। इसी दिशा में इस बार खरीफ की सभी 14 फसलों और उनकी वैरायटीज सहित 17 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है।”
किन फसलों की कितनी बढ़ी MSP (प्रति क्विंटल का मूल्य):
फसल | MSP 2021-22
(पहले) |
MSP 2022-23 (अब) |
MSP में वृद्धि |
धान (सामान्य) | 1940 | 2040 | 100 |
धान (ग्रेड ए) | 1960 | 2060 | 100 |
ज्वार (हाईब्रीड) | 2738 | 2970 | 232 |
ज्वार (मालदंडी) | 2758 | 2990 | 232 |
बाजरा | 2250 | 2350 | 100 |
रागी | 3377 | 3578 | 201 |
मक्का | 1870 | 1962 | 92 |
तूर (अरहर) | 6300 | 6600 | 300 |
मूंग | 7275 | 7755 | 480 |
उड़द | 6300 | 6600 | 300 |
मूंगफली | 5550 | 5850 | 300 |
सूरजमुखी बीज | 6015 | 6400 | 385 |
सोयाबीन (पीला) | 3950 | 4300 | 350 |
तिल | 7307 | 7830 | 523 |
रामतिल | 6930 | 7287 | 357 |
कपास (मध्यम रेशा) | 5726 | 6080 | 354 |
कपास (लंबा रेशा) | 6025 | 6380 | 355 |
कैसे तय होती है MSP?
MSP देश की कृषि मूल्य नीति का एक अभिन्न हिस्सा है। इसका मक़सद किसानों के लिए उनकी फ़सल का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है। MSP का निर्धारण भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CAPC) की सिफ़ारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों तथा केन्द्रीय मंत्रालयों के उपयुक्त विभागों से विचार-विमर्श करने के बाद किया जाता है। MSP तय करने के लिए CAPC की ओर से जिन कारकों पर ग़ौर किया जाता है उनमें किसान की उत्पादन लागत, घरेलू एवं अन्तरराष्ट्रीय क़ीमतें, माँग-आपूर्ति की स्थिति, विभिन्न फ़सलों के बीच मूल्य-समानता, कृषि एवं ग़ैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें जैसे अनेक पहलू शामिल होते हैं। सभी तरह के सरकारी सलाह-मशविरे के बाद केन्द्र सरकार की ओर से हरेक ख़रीफ़ और रबी सीज़न की बुवाई से पहले MSP की घोषणा की जाती है।
क्या है MSP?
MSP यानी कृषि उपज का ऐसा न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसे सुनिश्चित करने की गारंटी सरकारों की ओर से किसानों को दी जाती है। इसके पीछे का तर्क ये है कि बाज़ार में फ़सलों की क़ीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर नुकसानदायक असर नहीं पड़े और उन्हें न्यूनतम मूल्य की गारंटी मिले। क्योंकि दरअसल होता ये है कि जब किसानों की उपज के बाज़ार में पहुँचने का मौसम होता है तब बाज़ार पर हावी माँग और पूर्ति की शक्तियों की वजह से किसानों से उनकी उपज ऐसे औने-पौने दाम में नहीं खरीदी जा सके, जिससे किसानों को घाटा हो।
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