जीरे की खेती: सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जीरे की ये नयी किस्म साबित हो सकती है गेम चेंजर

जीरे की खेती में पुराने किस्मों के इस्तेमाल से किसानों को अधिक लागत और कीट लगने जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नयी किस्म CZC-94, 30 से 40 दिन पहले ही तैयार हो जाती है। जानिए इस किस्म के बारे में और ज़रूरी जानकारियां।

जीरे की खेती

पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा जीरे का उत्पादन हमारे ही देश में होता है। विश्व का 70 प्रतिशत जीरा भारत में ही पैदा होता है। देश के दो राज्य गुजरात और राजस्थान जीरे के सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं। लेकिन जीरे की खेती में पुराने किस्मों के इस्तेमाल से किसानों को अधिक लागत और कीट लगने जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए वैज्ञानिकों ने जीरे की उन्नत किस्म विकसित की, जो सिर्फ़ 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म का नाम CZC-94 है। जीरे की CZC-94 किस्म को जोधपुर स्थित ICAR-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है।

जीरे की खेती cumin cultivation
तस्वीर साभार: ICAR

 CZC-94 की ख़ासियत 

भारत न सिर्फ़ जीरे के उत्पादन, बल्कि निर्यात में भी आगे है। पिछले दशक में जीरे का निर्यात 10 गुना बढ़ा है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जीरे की बढ़ती मांग जीरे की खेती कर रहे किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। ऐसे में पुरानी किस्म की बजाय नई किस्म के उत्पादन से मुनाफ़ा अधिक कमाया जा सकता है। CZC-94 किस्म पुरानी किस्म की तुलना में 30-40 दिन पहले ही तैयार हो जाती है और फसल भी अच्छी होती है जिससे किसानों को मुनाफ़ा अधिक होगा।

लागत में आएगी कमी

वैज्ञानिकों ने नई विकसित किस्म CZC-94 और पुरानी किस्म GC 4 की तुलना करने पर पाया कि पुरानी किस्म जहां 120-135 दिनों में तैयार होती है, वहीं नई किस्म 90 से 100 दिनों में ही तैयार हो जाती है। इतना ही नहीं,  CZC-94 किस्म को कम समय में तैयार होने के कारण सिंचाई की भी कम ज़रूरत पड़ती है। नई किस्म CZC-94 जल्दी तैयार हो जाती है, तो इसमें कीटनाशकों का छिड़काव भी कम करना पड़ता है। नई किस्म में 2 से 3 बार ही कीटनाशक स्प्रे करना पड़ता है।

जीरे की खेती cumin cultivation
तस्वीर साभार: ICAR

जीरे की खेती: सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जीरे की ये नयी किस्म साबित हो सकती है गेम चेंजरजीरे की खेती के लिए मौसम

जीरे की खेती के लिए ठंडी शुष्क जलवायु अधिक उपयुक्त होती है। जीरे की पुरानी किस्म की पैदावार जहां फरवरी-मार्च में अचानक से तापमान बढ़ने पर कम होने लगती हैं। वहीं नई किस्म पर तापमान बढ़ने का असर नहीं पड़ता है और यह अधिक उपज देती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि जब पुरानी किस्म में फूल आना शुरु होते हैं, तब तक नई किस्म पूरी तरह से तैयार हो जाती है। 

कैसे करें बुवाई?

जीरे की बुवाई छिड़काव करके की जा सकती है। इस तरीके में बीज अधिक लगते हैं। ऐसे में यदि किसान लाइन में जीरे की बुवाई करें तो बीज की मात्रा आधी हो जाएगी। यानी बीज कम लगने पर खर्च भी कम हो जाएगा और लाइन से बुवाई करने पर निराई-गुड़ाई में भी कम समय लगेगा और मज़दूरी का खर्च भी बचेगा।

जीरे की खेती cumin cultivation
जीरे की नयी किस्म CZC-94 (तस्वीर साभार: ICAR)

जीरे की खेती: सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जीरे की ये नयी किस्म साबित हो सकती है गेम चेंजरट्रायल के बाद बाज़ार में आई नई किस्म

केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने जीरे की नई किस्म CZC-94 पर कई ट्रायल किए। रबी सीज़न 2021-22 में शुष्क क्षेत्रों के 15 जीरा उत्पादक किसानों ने जीरे की किस्म CZC-94 की खेती की। ट्रायल में संतोषजनक परिणाम मिले। मौजूदा किस्मों की तुलना में कम समय में तैयार होने वाली इस किस्म से किसान आश्वस्त दिखे। इस किस्म को फिर लॉन्च किया गया। 

जीरे की खेती cumin cultivation
ट्रायल में मिले अच्छे परिणाम (तस्वीर साभार: ICAR)

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