5 किलो अनाज मुफ़्त: कोरोना महामारी की वजह से पनपे आर्थिक गतिरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तीसरे संस्करण के तहत अनाज का अतिरिक्त कोटा जारी करने का फ़ैसला हुआ है ताकि अन्त्योदय अन्न योजना (AAY) और बैंक खातों में सीधे मदद पाने वाले (DBT) लाभार्थियों को मई और जून में 5 किलो अनाज मुफ़्त दिया जा सके।
सरकार को उम्मीद है कि मुफ़्त अनाज से ग़रीबों की कठिनाइयाँ कुछ घट सकेंगी और उन्हें अनाज का संकट नहीं झेलना पड़ेगा।
79.88 करोड़ लाभार्थियों को राहत
केन्द्रीय कैबिनेट की 5 मई को हुई बैठक में तय हुआ कि गेहूँ और चावल की 80 लाख मीट्रिक टन की अतिरिक्त मात्रा का वितरण सरकारी राशन की दुकानों के ज़रिये किया जाएगा। इससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के करीब 79.88 करोड़ लाभार्थियों को राहत मिलेगी।
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25,333 करोड़ रुपये खर्च
मुफ़्त राशन के इस कोटे में राज्यों की हिस्सेदारी मौजूदा अनुपात के मुताबिक ही होगी। इस निर्णय से खाद्यान्न सब्सिडी के खाते का करीब 25,333 करोड़ रुपये खर्च होगा। इस रकम में करीब 37 हज़ार मीट्रिक टन चावल और करीब 26 हज़ार मीट्रिक टन गेहूँ की सरकारी लागत शामिल है।
कैबिनेट के राज्यों के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग को अपने स्थानीय हालात को देखते हुए मुफ़्त राशन को सरकारी गोदामों से उठाने और ग़रीबों के बीच बाँटने की समय-सीमा को लचीला रखने की छूट दी है, ताकि लॉकडाउन या अन्य मौसमी आपदाओं से भी PMGKAY का लक्ष्य प्रभावित नहीं हो। इसका मतलब ये हुआ कि यदि कोविड सम्बन्धी बाधाओं की वजह से राज्य मुफ़्त राशन के वितरण में कोई विस्तार ज़रूरी समझें तो वो ऐसा कर सकते हैं।
PMGKAY की अतीत
प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की शुरुआत कोरोना संकट को देखते हुए ही साल 2020 में की गयी थी। इसके पहले संस्करण के तहत केन्द्र सरकार ने मई, जून और जुलाई के तीन महीनों में ग़रीबों को 5-5 किलो मुफ़्त राशन देने की घोषणा की थी। ताकि कोरोना की वजह से प्रभावित हुई आर्थिक गतिविधियों से दुष्प्रभाव से ग़रीबों को राहत दी जा सके। PMGKAY के दूसरे संस्करण के तहत मुफ़्त अनाज की इस योजना की मियाद को अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर और नवम्बर, 2020 तक बढ़ाया गया था।
इसके बाद जब कोराना का प्रकोप घटने लगा और रोज़ी-रोज़गार की गतिविधियाँ बहाल होने लगीं तो PMGKAY को विराम दे दिया गया। लेकिन अब कोरोना की मौजूदा लहर की भयावहता और इसकी वजह से आर्थिक गतिविधियों के फिर से थम जाने की वजह से सरकार ने मई और जून के दो महीनों के लिए तीसरे संस्करण को लागू करने का फ़ैसला लिया।