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क्या आपको भी यही लगता है कि आम का रंग सिर्फ़ हरा और पीला ही होती है, तो आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं, क्योंकि हमारे देश में रंगीन आम का भी उत्पादन हो रहा है और बड़े पैमाने पर इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बेचा जा रहा है। आम उत्पादन के मामले में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है, मगर कुछ साल पहले तक विदेशी बाज़ार में भारतीय आम की उतनी मांग नहीं थी, दरअसल, यूरोपीय देशों में लाल रंग के आम की डिमांड ज़्यादा रहती है, इसे देखते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने भी आम की रंगीन क्रॉस ब्रीड और हाइब्रिड किस्मों का विकास किया। जो न सिर्फ जल्दी फल देते हैं, बल्कि वो रंग-रूप और स्वाद में भी बेहतरीन होते हैं।
आम लोगों और किसानों को आम की ढेर सारी किस्मों और रंग के बारे में जानकारी देने के लिए ही पिछले 33 सालों से आम महोत्सव का आयोजन हर साल किया जाता है। जहां आम की सैकड़ों किस्में देखने को मिलती है। आम की रंगीन किस्मों के बारे में ICAR-CISH लखनऊ के पूर्व निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन ने बात की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।
अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में रंगीन आम की मांग (Colourful Mango Varieties)
आम की लोकप्रियता से तो हर कोई वाकिफ है, मगर अच्छा आम उसे ही माना जाता है जो स्वादिष्ट होने के साथ ही दिखने में भी सुंदर हो। डॉ. शैलेंद्र राजन बताते हैं कि पहले अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में लाल रंग के आम की बहुत मांग थी, लोगों को पता ही नहीं था कि भारत में मिलने वाली हरी, पीली किस्में भी बहुत स्वादिष्ट होती हैं। फिर धीरे-धीरे हमारे देश के वैज्ञानिकों के दिमाग में आया कि उन्हें ऐसी किस्में ज़रूर विकसित करनी चाहिए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में आधिपत्य जमाया जा सके। आम स्वादिष्ट हों और उनका रंग-रूप भी अच्छा हो यानि रंगीन आम, खासतौर से लाल रंग का, ताकि यूरोपीयन और यूएस के बाज़ार में भारत की पैठ बन सके। इस तरह आम की उन्नत क्रॉस ब्रीड किस्में विकसित करने का क्रम शुरू हुआ।
किस्में विकसित करने में लगता है लंबा समय (Long Time To Develop Varieties)
डॉ. शैलेंद्र राजन के ICAR-CISH लखनऊ के निदेशक रहने के दौरान भी आम की कई किस्मों के विकास का काम हुआ। इस बारे में उनका कहना है कि आम कि किस्में एक-दो दिन में नहीं बनतीं, इन्हें बनाने की प्रक्रिया लंबी है और ये लगातार चलती रहती है। अरुणिका किस्म हाइब्रिड 39 थी, यानी ये हाइब्रिड का 39वां पौधा था जिसे 1986 क्रॉस ब्रीड किया गया। अंबिका 558 यानि उससे पहले 500 से अधिक हाइब्रिड पौधे बन चुके थें। बहुत सारी हाइब्रिड किस्में जो विकसित की गई थीं, उनका उत्पादन शुरू हो चुका है और वैज्ञानिक इस बात का मूल्यांकन कर रहे हैं कि कौन से पौधे में कौन सा गुण आएगा, किससे किसानों को अधिक लाभ होगा, किस किस्म पर अधिक विश्वास किया जा सकता है। डॉ. राजन कहते हैं कि कोई किस्म निकालना, उसका मूल्यांकन करना और फिर उसे किसानों को देना ये तीनों चीज़ें बहुत मायने रखती हैं। क्योंकि एक किसान जो आम का पौधा लगा देता है उसे 2-3 साल इंतज़ार करना पड़ता है। हमारे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित हाइब्रिड पौधे 2-3 साल में फल देने लगते हैं, इनके पेड़ का आकार छोटा है, मगर फल हर साल लगते हैं और फल रंगीन होते हैं, साथ ही इनकी अलग पौष्टिकता होती है।
आम की मार्केटिंग के लिए ऐप्स (Apps For Marketing Mango)
इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी के इस दौर में लोगों को आम की अलग-अलग वैरायटी से रूबरू कराने के लिए कई ऐप्स बनाए गए हैं। डॉ. शैलेंद्र राजन का कहना है कि इन ऐप्स के ज़रिए लोगों को आम की यूनीक वैरायटी देखने और खरीदने को मिलती है। सामान्य तौर पर जो आम लोगों को देखना भी नसीब नहीं होते हैं, किसान उसे उगाकर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। हाइब्रिड रंगीन किस्में विकसित करने के पीछे मकसद किसानों के साथ ही ग्राहकों की भी मदद करना है। किसानों को इससे जहां अधिक उत्पादन करके, अधिक कीमत पर अपनी फसल बेचन के लिए प्रेरणा मिली, वहीं लोगों को अलग-अलग वैरायटी देखने और चखने को मिली। किसानों की फसल उत्पादन क्षमता बढ़ी और पौधों में बीमारी से लड़ने की क्षमता विकसित हुई।
मैंगो फेस्टिवल (Mango Festival)
दिल्ली में पिछले 33 सालों से मैंगो फेस्टिवल यानी आम महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, इसके बारे में डॉ. राजन कहते हैं कि इस फेस्टिवल की बदौलत आम की बहुत सी किस्में बची हुई हैं, ये न हो तो बहुत सी वैरायटी नष्ट हो जाएंगी। किसान अपने पौधों को बचाए रखता है क्योंकि उसे उम्मीद होती है कि उसके फल लोगों तक पहुंचेंगे और फेस्टिवल में अच्छी बिक्री होगी। इससे किसानों को तो फायदा होता ही है साथ ही लोगों को अधिक से अधिक वैरायटी देखने और चखने का मौका मिलता है। फेस्टिवल में आने से जानकारी भी बढ़ती है लोगों को सीखने का मौका मिलता है, उन्हें पता चलता है कि कौन सा पौधा कहां मिलेगा, पौधों कि कौन सी बीमारी होती है आदि। बच्चे भी आम की इतनी किस्में देखकर खुश हो जाते हैं। डॉ. राजन का कहना है कि 10 फीसदी लोगों को भी पता नहीं होगा कि हमारे देश में आम की इतनी किस्में हैं।
रंग और स्वाद में बेहतरीन रंगीन आम की खेती को बढ़ावा देने के पीछे कृषि वैज्ञानिकों का मकसद, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में आम की बिक्री में भारत की स्थिति को मज़बूत करना था। शायद आपको पता नहीं होगा कि भारत दुनिया में आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके बाद चीन, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और मैक्सिको का नंबर आता है।
आम की लोकप्रिय किस्में (Popular Varieties Of Mango)
भारत को अगर फलों के राजा आम का देश कहा जाए तो गलत नहीं होगा, यहां आम की लगभग 1500 किस्में उगाई जाती हैं, मगर कुछ किस्में ऐसी है जिनका स्वाद लोगों की ज़ुबान पर हमेश चढ़ा रहता है और आम का सीज़न आते ही लोग इसे खाने के लिए बेताब रहते हैं।
हापुस- भारत के सबसे लोकप्रिय आम की सूची में पहला नंबर आता है महाराष्ट्र के हापुस यानी अल्फांसो आम का। बिना रेशे वाला ये आम बहुत स्वादिष्ट और मीठा होता है।
केसर- गुजरात के केसर आम के गूदे का रंग केसर की तरह होता है, इसलिए इसका नाम केसर पड़ा। खाने में ये भी बहुत स्वादिष्ट होता है।
दशहरी- उत्तरप्रदेश का दशहरी आम भी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। अपनी मिठास के लिए ये प्रसिद्ध है।
हिमसागर- पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले मे उगाया जाने वाले हिमसागर भी बेहतरीन किस्म का आम है।
चौसा- यह आम भी लोगों के बीच मशहूर है जो उत्तरप्रदेश और बिहार में उगाया जाता है।
बादामी- कर्नाटक में उगाए जाने वाली आम की एक प्रमुख किस्म है बादामी।
लंगड़ा- मॉनसून के समय मिलने वाला लंगड़ा आम भी अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह वाराणसी के साथ ही पश्चिम बंगाल और बिहार में भी उगाया जाता है।
आम की खेती और किस्मों पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
सवाल: आम की खेती के लिए कौन सी जलवायु उपयुक्त है?
जवाब: आम की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। आम के पेड़ को गर्मी पसंद है, और इसे अच्छी उपज के लिए 25-30°C तापमान की आवश्यकता होती है। ठंड और पाला आम के पेड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सवाल: आम की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी होती है?
जवाब: आम की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का pH स्तर 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
सवाल: आम के पेड़ को कितना पानी देना चाहिए?
जवाब: आम के पेड़ को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, खासकर शुरुआती वर्षों में। गर्मियों में अधिक पानी देना चाहिए, लेकिन मानसून के दौरान पानी कम कर देना चाहिए। परिपक्व पेड़ों को फल आने के समय अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
सवाल: आम की कौन सी किस्में भारत में लोकप्रिय हैं?
जवाब: भारत में आम की कई लोकप्रिय किस्में हैं, जिनमें दशहरी, अल्फांसो (हापुस), लंगड़ा, केसर, बदामी, और तोतापुरी प्रमुख हैं।
सवाल: आम की खेती के लिए कौन-कौन सी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं?
जवाब: उन्नत किस्मों में आम्रपाली, मल्लिका, अरुणिमा, और सुंदरी जैसी किस्में शामिल हैं, जो अधिक पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं।
सवाल: आम की खेती में कौन-कौन सी बीमारियाँ और कीट समस्या उत्पन्न कर सकते हैं?
जवाब: आम की खेती में आमतौर पर मिलिबग, आम की फफूंदी, मिज कीट, और गुम्मोसिस जैसी बीमारियाँ और कीटों की समस्या हो सकती है। इनके लिए उचित कीटनाशक और जैविक नियंत्रण उपायों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
सवाल: आम के पेड़ को फल देने में कितना समय लगता है?
जवाब: आम के पेड़ को फल देने में आमतौर पर 3-6 साल का समय लगता है, यह किस्म और देखभाल पर निर्भर करता है।
सवाल: आम के पेड़ की छंटाई कब और कैसे की जानी चाहिए?
जवाब: आम के पेड़ की छंटाई सर्दियों के अंत या वसंत की शुरुआत में की जानी चाहिए। छंटाई करते समय सूखी, रोगग्रस्त, और आपस में क्रॉस होने वाली शाखाओं को हटाना चाहिए।
सवाल: आम के पेड़ को खाद कब और कैसे देना चाहिए?
जवाब: आम के पेड़ को साल में दो बार खाद देना चाहिए, एक बार मानसून के बाद और दूसरी बार वसंत में। उर्वरक में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश का संतुलित मिश्रण होना चाहिए।
सवाल: आम की फसल कब और कैसे काटी जाती है?
जवाब: आम की फसल सामान्यतः मई से जुलाई के बीच काटी जाती है। फलों को तब तोड़ा जाना चाहिए जब वे पूरी तरह से पकने के करीब हों और हल्का पीला रंग दिखाने लगें। फसल काटते समय फलों को चोट से बचाने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।