केन्द्र सरकार ने एगमॉर्क जारी करने की ऑनलाइन प्रक्रिया को और आसान बना दिया है ताकि डिब्बा बन्द या पैकेज़िंग करके कृषि उत्पादों की मार्केटिंग करने वालों सहुलियत हो सके। इसके तहत नया एगमॉर्क निशान हासिल करने और इसके नवीनीकरण के तरीके को और आसान बनाया गया है। अभी तक 205 जिन्सों की गुणवत्ता को एगमॉर्क मानकों के दायरे में रखा गया है।
क्या हुआ है सुधार?
- पैकेज़िंग और ग्रेडिंग करने वाली इकाई के लिए न्यूनतम मात्रा की कोई शर्त नहीं होगी।
- अब एगमॉर्क निशान लेने के इच्छुक नये आवेदकों की उत्पादन स्थल का निरीक्षण करने की ज़रूरत ख़त्म हो गयी है। यहाँ तक कि निर्यातकों ने भी यदि खाद्य पदार्थों की जाँच यदि मान्यताप्राप्त प्रयोगशालाओं से करवायी है तो फिर उनके लिए संयुक्त आंकलन टीम (Joint Assessment Team) के निरीक्षण वाली पुरानी शर्त ख़त्म कर दी गयी है।
- एगमॉर्क निशान के इस्तेमाल के लिए जारी होने वाले प्राधिकार पत्र यानी Certificate of Authorization (CA) की मान्यता 5 साल तक मान्य रहेगी और इसका नवीनीकरण भी 5 वर्ष के लिए किया जाएगा।
- आवेदन और नवीनीकरण का सारा काम केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के विपणन और निरीक्षण निदेशालय यानी Directorate of Marketing & Inspection (DMI) के पोर्टल https://agmarkonline.dmi.gov.in/DMI/ पर जाकर ऑनलाइन किया जा सकेगा। यहीं फ़ीस भी भरी जा सकेगी और मंज़ूरी मिलने के बाद यहीं से सर्टिफ़िकेट डाउनलोड भी किया जा सकेगा।
क्यों ज़रूरी है एगमॉर्क?
किसी भी उत्पाद के उपभोक्ताओं को उसकी क्वालिटी का भरोसा देने के लिए अलग-अलग मानक तय हैं। जैसे, ISI मार्क, BES Star label, पेट्रोलियम उत्पादों का Bharat Stage (BS) वग़ैरह। ऐसा ही एक निशान है एगमॉर्क जिसे खाद्य पदार्थों के न्यूनतम स्तर के भरोसे के रूप में देखा जाता है। इसे मिलावट-रहित उत्पाद का प्रमाण माना जाता है।
इसीलिए एगमॉर्क निशान वाले उत्पादों को बेचना आसान होता है, जबकि एगमॉर्क-विहीन उत्पादों की गुणवत्ता संदिग्ध मानी जाती है। इस तरह खेती-किसानी से जुड़े व्यवसाय में एगमॉर्क हासिल करने से कमाई बढ़ाने में मदद मिलती है। लेकिन किसी भी उत्पादक के लिए एगमॉर्क निशान हासिल करना अनिवार्य नहीं है। ये पूरी तरह से स्वैच्छिक ही है।
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किन उत्पादों के लिए है एगमॉर्क?
खेत से निकलने बाद उपज की साफ़-सफ़ाई करके उसकी गुणवत्ता में यदि अपेक्षित इज़ाफ़ा कर लिया जाए तो उसके लिए एगमॉर्क निशान हासिल किया जा सकता है। फल, सब्ज़ियाँ, अंडा वग़ैरह इस श्रेणी में आते हैं। फूड प्रोसेसिंग से तैयार उत्पादों को भी ज़्यादा वक़्त तक इस्तेमाल के लायक बनाये रखने के लिए जब उपयोगी कैमिकल से लैस किया जाता है, तब वो एगमॉर्क के निशान का उपयोग कर सकते हैं। शहद, मसाले, घी, तेल, आटा, बेसन, जेम, सॉस, अचार, मुरब्बा वग़ैरह इस वर्ग में आते हैं।
कैसे पाएँ एगमॉर्क रजिस्टर्ड?
कृषि उत्पाद (श्रेणीकरण और चिन्हीकरण) क़ानून 1937 और 1986 में संशोधित अधिनियम के तहत पैकेज़िंग करने वाली कम्पनी या संस्था को एगमॉर्क के निशान का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया जाता है। इसके प्राधिकार पत्र (CA) के लिए व्यापारियों या संस्थाओं को DMI के निर्धारित फॉर्म में आवेदन करना पड़ता है। साथ ही पैकेज़िंग या प्रोसेसिंग कम्पनी का ब्लू प्रिंट, पैकिंग मैटीरियल का नमूना, उद्योग का प्रमाण पत्र, या ब्रॉन्ड का नमूना और इससे जुड़ा हलफ़नामा भी देना पड़ता है।
इन चीज़ों की जाँच-पड़ताल का काम सम्बन्धित राज्य सरकार करती है और फिर उसकी सिफ़ारिश के आधार पर केन्द्र सरकार की ओर से व्यवसायी को एगमॉर्क धारक होने का प्राधिकार पत्र जारी किया जाता है। इसके आवेदन की फ़ीस 2,000 रुपये और नवीनीकरण का शुल्क 500 रुपये है।
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खाद्य पदार्थों में मिलावट की पहचान करने और इसकी रोकथाम का दारोमदार भारतीय खाद्य निगम और गुणवत्ता की जाँच करने वाली प्रयोगशालाओं पर निर्भर है। राज्यों में इस काम में उसके माप-तोल विभाग की भी भूमिका होती है। बाक़ी विपणन और निरीक्षण निदेशालय (DMI) की मुख्य भूमिका केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल बनाने की है।
इसका मुख्यालय फ़रीदाबाद में है और ये देश भर में फैले अपने दफ़्तरों और 11 क्षेत्रीय एगमॉर्क प्रयोगशालाओं के ज़रिये प्राधिकार पत्र जारी करने का काम करता है।