कोरोना लॉकडाउन को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने सहकारी बैंकों से लिये गये ब्याज़-रहित फसली कर्ज़ को लौटाने की मियाद एक बार फिर बढ़ाकर 31 मई कर दिया है। किसानों को राज्य के सहकारी बैंक ब्याज़-रहित फसली कर्ज़ देते हैं। इसके ब्याज़ की भरपाई राज्य सरकार करती है।
इस ब्याज़-रहित फसली कर्ज़ को यदि किसान 28 मार्च तक नहीं चुकाते हैं तो उन्हें 13 फ़ीसदी ब्याज़ भी भरना पड़ना है।
खरीद में हुई देरी की भरपाई
कोरोना की वजह से इस बार रबी फसलों की खरीदारी देर से शुरू हुई। सभी किसान अभी तक अपनी उपज बेच नहीं पाये हैं। लाखों किसानों के खातों में अभी तक उपज की रकम पहुँचा नहीं है। इसीलिए अब दूसरी बार ब्याज़-रहित कर्ज़ चुकाने की मियाद को बढ़ाया गया है। इसके बदले सहकारी बैंकों को 31 करोड़ रुपये की भरपाई सरकार करेगी।
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देरी पर 13% ब्याज़
मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को खरीफ तथा रबी फसल के लिए सहकारी बैंक से 3 लाख रुपये तक का ब्याज़-रहित फसली कर्ज़ लेने की सुविधा देती है, बशर्ते कि कर्ज़ को तय वक़्त तक चुकता कर दिया जाए। वर्ना, उन्हें आख़िरी तारीख़ के बाद की अवधि के लिए मूलधन और उस पर लागू 13 प्रतिशत की उच्च दर पर ब्याज़ भरना पड़ता है।
सहकारी बैंक की ओर से इस कर्ज़ को प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी यानी PACS (Primary Agriculture Credit Societies) के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। ये योजना वर्ष 2012-13 से जारी है। इसके लिए केन्द्र सरकार 5% अनुदान देती है तो राज्य सरकार ने साल 2018-19 तक 6 प्रतिशत और उसके बाद 5.5 फ़ीसदी अनुदान देती है।
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KCC से तुलना
राज्य सरकार की ब्याज़-रहित कर्ज़ योजना किसानों के बहुत मददगार है। ये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से भी ज़्यादा आकर्षक है, क्योंकि 3 लाख रुपये तक का कर्ज़ तो किसानों को KCC से भी मिल सकता है, लेकिन इस कर्ज़ को साल भर में चुकाया जाए तो किसानों को ब्याज़ की रकम पर 3 प्रतिशत की छूट मिलती है और प्रभावी ब्याज़ दर 4 प्रतिशत रह जाती है।
लेकिन इसी शर्त को यदि ब्याज़-रहित फसली कर्ज़ के मामले में पूरा कर दिया जाए तो ये 4 प्रतिशत ब्याज़ से भी मुक्ति मिल जाती है।