कृषि विधेयकों को लेकर किसानों का आंदोलन आज लगातार 34वें दिन भी जारी है। इस मुद्दे पर बात करने के लिए सरकार ने किसान नेताओं को 30 दिसंबर की दोपहर 2 बजे के समय का प्रस्ताव रखा है। पहले किसान नेताओं की तरफ से यह बातचीत आज मंगलवार को प्रस्तावित की गई थी परन्तु सोमवार को सरकार की ओर से कृषि सचिव ने पत्र लिखकर किसान संगठनों को 30 दिसंबर को बातचीत के लिए निमंत्रण दिया।
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उल्लेखनीय है कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले लगभग 40 से अधिक किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले एक माह से धरना दे रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
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इस मुद्दे पर अब तक किसानों और सरकार के बीच पांच मीटिंग्स हो चुकी हैं परन्तु कोई नतीजा नहीं निकला। एक तरफ जहां किसान संगठन कानूनों को पूरी तरह वापस लेने पर अड़े हुए हैं, वहीं सरकार चाहती है कि कानूनों में जरूरी संशोधन कर दिए जाएं। अब अगली मीटिंग के लिए किसान संगठनों ने चार सूत्रीय एजेंडा प्रस्तावित किया है जो निम्न प्रकार हैं-
- तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि
- सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसएपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी है।
- किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव।