तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने की माँग को लेकर बीते 28 नवम्बर से जारी किसान आन्दोलन ने 8 जुलाई को पेट्रोल और डीज़ल की लगातार बढ़ती क़ीमतों के विरोध में भी प्रदर्शन करने का फ़ैसला लिया है। 2 जुलाई को हरियाणा के सोनीपत ज़िले में सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 67 किसान संगठनों ने बीजेपी सरकार के जन-विरोधी फ़ैसलों के ख़िलाफ़ भी आवाज़ बुलन्द करने का फ़ैसला लिया है। इसी सिलसिले में किसान नेताओं ने व्यापारियों, मज़दूरों और अन्य कर्मचारी संगठनों से भी प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है।
क्या-क्या होगा प्रदर्शन में?
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे बेमियादी धरना-प्रदर्शन के तहत ही अब पेट्रोलियम उत्पादों की दिनों-दिन बढ़ रही क़ीमतों को लेकर भी देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। 8 जुलाई के प्रदर्शन के तहत आन्दोलनकारी स्कूटर, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर और रसोई गैस के सिलेंडरों के साथ सड़कों के किनारे प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन के दौरान यातायात को बाधित नहीं किया जाएगा। बाक़ी बीजेपी के नेताओं के प्रति विरोध का मौजूदा रवैया जारी रखा जाएगा।
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किसानों का बयान
संयुक्त किसान मोर्चा लगातार बयान जारी करके भी कहता रहा है कि जब तक तीनों केन्द्रीय कृषि क़ानून वापस नहीं लिये जाते, तब तक किसान आन्दोलन जारी रहेगा। मोर्चा के नेताओं बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शनपाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, हन्नान मूल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिन्दर सिंह उग्राहां, शिवकुमार शर्मा ‘कक्का’, युद्धवीर सिंह और योगेन्द्र यादव की ओर से जारी बयान में किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज़ मामलों को भी वापस लेने की माँग दोहरायी गयी है।
बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद, हरियाणा के हिसार और चंडीगढ़ में शान्तिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों पर थोपे गये सभी मामले झूठे हैं और बीजेपी सरकारों की ओर से निर्दोष लोगों को पुलिस-कचहरी के जाल में फँसाने के लिए बनाये गये हैं। इस बीच, दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (शाहजहाँपुर, टीकरी, सिंघु और ग़ाजीपुर) पर किसानों को आन्दोलन जारी है।