एक तरफ केंद्र और राज्य सरकारें जहां किसानों के हित में कदम उठाने की बात करती हैं, वहीं देश का टमाटर उगाने वाला किसान अपनी फसल को सड़क पर फेंकने को मजबूर है। महाराष्ट्र के नासिक और औरंगाबाद जिले के किसान अपनी फसल का उचित दाम न मिलने की वजह से परेशान हैं। हताश टमाटर उत्पादक किसानों ने नागपुर-मुंबई राजमार्ग के किनारे कई टन टमाटर फेंक दिए।
कौड़ियों के दाम में बिक रही टमाटर की फसल
इस साल महाराष्ट्र में टमाटर की फसल तो अच्छी हुई लेकिन किसानों को कौड़ियों के भाव अपनी फसल का दाम मिल रहा है। थोक बाज़ार में व्यापारी किसानों से टमाटर 200 रुपये से 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रहे हैं यानी सिर्फ़ 2 से 3 रुपये प्रति किलो के भाव पर किसान टमाटर बेचने पर मजबूर हैं। पिछले तीन हफ्तों में टमाटर की औसत थोक कीमतों में लगभग 65 फ़ीसदी तक की गिरावट आई है।
#WATCH Nashik farmers threw crates of tomatoes on the road yesterday after prices crashed to Rs 2-3 per kg in the wholesale market#Maharashtra pic.twitter.com/SBMqgSGfFH
— ANI (@ANI) August 27, 2021
थोक व्यापारी मालामाल, हताश हैं किसान
एक किसान हज़ारों लाखों रुपये लगाकर अपनी फसल लगाता है, इसके बावजूद उसे अपनी लागत का भी पैसा नहीं मिलता। उधर थोक व्यापारी सस्ते दामों पर टमाटर खरीद बढ़े दाम पर खुदरा व्यापारियों को बेच कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, अकेले नासिक में लगभग 10 लाख किसान टमाटर की खेती करते हैं, जो देश के उत्पादन का लगभग 20 फ़ीसदी हिस्सा है। इसके बावजूद किसानों की ऐसी दुर्दशा ज़मीनी हकीकत को सामने रखती है।
क्या है टमाटर उत्पादक किसानों की समस्या का हल
टमाटर की फसल में मंदी की मार झेल रहे क्षेत्र के किसानों की मदद के लिए ज़्यादा से ज़्यादा फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जाने की ज़रूरत है। टमाटर एक ऐसा कच्चा माल है, जिसका उपयोग कई प्रोसेसिंग उत्पादों जैसे केचप,प्यूरी, पेस्ट, सूप पाउडर में किया जाता है। इन उत्पादों का सेवन सभी आयु वर्ग के लोग करते हैं और इसकी मांग हमेशा बाज़ार में रहती है। ऐसे में ज़रूरी है कि सरकार ऐसे स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जो इन क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग उनिट्स प्लांट लगा सकें। इससे उनकी फसल की खपत तो होगी ही साथ ही फसल का दाम भी अच्छा मिलने की उम्मीद है। सरकारी या निजी क्षेत्र के फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स के साथ-साथ उत्पादक किसान अपना एक संघ बनाकर भी इसकी स्थापना कर सकते हैं।