दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं और सरकार के बीच सातवें दौर की मीटिंग शुरु हो चुकी है।हाल ही 30 दिसंबर को हुई छठे दौर की वार्ता में सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगे मान ली थी जो पराली दहन से जुडे अध्यादेश के उल्लंघन पर भारी जुर्माना और जेल की सजा और बिजली सब्सिडी को जारी रखने से संबंधित हैं। बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए सहमति बनी थी। इन्हीं को लेकर आज की मीटिंग रखी गई हैं।
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दिल्ली में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच आज किसान आंदोलन को 40 दिन हो चुके हैं। किसान नेताओं ने उम्मीद जताई कि आज इस मुद्दे पर सरकार के साथ सहमति बन जाएगी। भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि हम इसी उम्मीद के साथ आज वार्ता में शामिल होंगे कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और किसानों को उनकी फसल की कानूनी गारंटी देने के मसले पर अपना अंतिम निर्णय सुनाएगी। इस वार्ता को हम निर्णायक वार्ता के रूप में देख रहे हैं बाकी सोचने का काम सरकार का है। देखते हैं कि सरकार क्या फैसला लेती है।
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उल्लेखनीय है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि सोमवार को होने वाली वार्ता में अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोचरें से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश कर ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ ‘किसान गणतंत्र परेड’ करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 26 जनवरी के पहले स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है।
किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के विरोध में 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इस दौरान सरकार के साथ अब तक छह दौर की मीटिंग्स हो चुकी हैं।