पिछले साल नवंबर 2020 से जारी किसान आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान कर दिया गया है। 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से किसानों की घर वापसी शुरू हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के कई राज्यों के किसान दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर, दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए थे।
19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानून वापसी की घोषणा की थी। इस ऐलान के साथ ही आंदोलनकारी किसानों से घर वापसी की अपील भी की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “आप खेतों में लौटें, परिवार के बीच लौटें, आइए मिलकर एक नयी शुरुआत करते हैं।”
आज संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने किसान आंदोलन स्थगित करने का ऐलान कर दिया। किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन को स्थगित किया गया है। हर महीने SKM की बैठक होगी। अगर सरकार अपने प्रस्तावों ज़रा सा भी दाएं-बाएं होती हैं तो फिर से आंदोलन करने का फैसला लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 15 जनवरी, 2022 को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। राजेवाल ने आगे कहा कि वो उन सभी लोगों को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने इस लंबी लड़ाई में समर्थन दिया।
SKM Press Bulletin
378th day, 9th Dec 2021SKM formally announces the lifting of the morchas at Delhi Borders on national highways and various other locations in response – Current agitation stands suspended – Battle has been won; the war to ensure farmers’ rights, will continue pic.twitter.com/V3aGXjTVIN
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) December 9, 2021
19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। इसके बाद 21 नवंबर को किसानों ने 6 मांगों के साथ एक चिट्ठी लिखी थी। दो हफ़्ते तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। फिर 7 दिसंबर को सरकार की ओर से एक प्रस्ताव आया, जिसमें हमनें कुछ बदलाव बताए थे। 8 दिसंबर को बदलावों पर गौर करते हुए सरकार की ओर से फिर एक प्रस्ताव आया। फिर 9 दिसंबर को कृषि सचिव संजय अग्रवाल की ओर से चिट्ठी आई, जिसके बाद किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया गया।
किसानों की मांगों पर सरकार की ओर से आया ये जवाब:
1.) MSP पर माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्वयं और बाद में माननीय कृषि मंत्री जी ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है, जिस कमेटी में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलित होंगे। यह स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधि में SKM के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। कमेटी का एक मैनडेट यह होगा कि देश के किसानों को एम.एस.पी. मिलना किस तरह सुनिश्चित किया जाए। सरकार वार्ता के दौरान पहले ही आश्वासन दे चुकी है कि देश में MSP पर खरीदी की अभी की स्थिति को जारी रखा जाएगा।
2.) जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि तत्काल प्रभाव से आंदोलन संबंधित सभी केसों को वापस लिया जाएगा।
2A) किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए आंदोलन संबंधित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को अन्य राज्य भी वापस लेने की कार्रवाई करें।
3) मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
उपर्युक्त (ऊपर दिए गए) दोनों विषयों (क्रमांक 2 एवं 3) के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है।
4) बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/ संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा।
5) जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा 14 एवं 15 में क्रिमिलन लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी है।
उपरोक्त प्रस्ताव से लंबित पांचों मांगों का समाधान हो जाता है। अब किसान आंदोलन को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं रहता है।
अतः अनुरोध है कि उक्त के आलोक में किसान आंदोलन समाप्त करें।
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