रेनगन से सिंचाई (Raingun Irrigation System): भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारे किसान भाइयों की खुशी हमारे लिए सर्वोपरि होनी चाहिए। अब एग्रीकल्चर सेक्टर में भी नई तकनीकों के जरिए खेती बाड़ी का काम किया जा रहा है जिससे किसानों का समय भी बचता है और कम लागत में ही उन्हें अधिक मुनाफा भी मिल रहा है।
हमारे देश के ऐसे राज्य जहां पानी की काफी कमी रहती है वहां किसानों के लिए खेती करना मुश्किल से भरा काम होता है। वैसी जगहों पर किसानों की परेशानियों को खत्म करने के लिए रेनगन का इस्तेमाल किया जा रहा है। रेनगन को वाटर गन भी कहा जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि इस विधि से सिंचाई करने के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है। आईये इस रेनगन नामक कृषि यंत्र के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं।
क्या है रेनगन?
रेनगन नामक इस कृषि यंत्र से फसलों को बारिश की तरह पानी मिलता है। रेनगन से सिंचाई करने पर न केवल पानी की बचत होती है बल्कि समय की भी बचत की जा सकती है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सूखे वाले इलाकों में किसानों को सिंचाई के लिए रेनगन का इस्तेमाल करना चाहिए।
कैसे होती है रेनगन से सिंचाई?
इस यंत्र को एक स्टेंड के सहारे 45 से 180 डिग्री के कोण पर खेत की सिंचाई वाले हिस्से में खड़ा कर दिया जाता है। इसका दूसरा सिरा पंपसेट की पाइप से जुड़ा होता है जहां से इसे पानी मिलता है। इसके बाद रेनगन में पानी का दबाव बढ़ता है और इसके ऊपरी भाग में एक फव्वारा लगा होता है जहां से पानी निकलता है और 100 मीटर की दूरी में चारों ओर बारिश की बूंदों की तरह पानी बरसता है।
रेनगन के इस्तेमाल से पानी और बिजली दोनों की बचत होती है। जानकारी के मुताबिक एक सबमर्सिबल पंप से तीन रेनगन को एक साथ चलाया जा सकता है।