कृषि कानूनों (Agricultural Law) के विरोध को लेकर शुरु हुए किसान आंदोलन (Farmer Protest) को आज 30 दिन पूरे हो रहे हैं। एक तरफ जहां किसान इन कानूनों को पूरी तरह से निरस्त कराने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार भी अपने निर्णय पर दृढ़ बनी हुई है।
किसान नेताओं ने कहा है कि जब तक सरकार जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की गारंटी के साथ-साथ उनकी अन्य मांगें नहीं मानेगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी कहते हैं कि सरकार को MSP की गांरटी देने के लिए कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एमएसपी पूरे देश के किसानों का मसला है और इस पर कानून बनना चाहिए क्योंकि किसी फसल की पैदावार होने पर किसानों को औने-पौने भाव पर अपनी फसल बेचने को मजबूत होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसलिए तीनों कानूनों की वापसी से भी बड़ा मसला एमएसपी का है जिस पर सरकार को विचार करना चाहिए।
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उत्तर प्रदेश के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी कहते हैं कि एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी किसानों की बड़ी मांग है और सरकार को इस पर कानून बनाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को MSP पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था आगे भी जारी रखने का लिखित आश्वासन देने की बात कही है। परन्तु किसान नेता इस पर नया कानून बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं।इसके साथ ही किसान पराली दहन समेत कुछ अन्य मसले का भी त्वरित समाधान चाहते हैं।
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केन्द्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों से मांगी थी वार्ता की तारीख और समय
गुरुवार को केंद्र सरकार ने फिर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को अगले दौर की वार्ता के लिए पत्र भेजकर उनसे वार्ता की तारीख व समय बताने का आग्रह किया। पत्र में कहा गया है कि आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाए गए सभी मौखिक और लिखित मुद्दों पर सरकार सकारात्मक रुख अपनाते हुए वार्ता करने के लिए तैयार है।
संसद के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीनों अध्यादेशों से संबंधित तीन अहम विधेयकों संसद में पेश किए गए और दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के रूप सितंबर में लागू किए गए। इन्हीं कानूनों के विरोध में किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन छेड़े हुए हैं।