मध्य प्रदेश में किसानों के लिए ओलावृष्टि बार-बार होने वाली समस्या बन गई है। ये आमतौर पर फरवरी से अप्रैल के दौरान होती है, जो राज्य में किसानों के लिए फसल का मौसम होता है। ओलावृष्टि की अचानक शुरुआत से गेहूं, चना और सरसों सहित अन्य फसलों पर असर पड़ता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। इसका प्रभाव इतना गंभीर होता है कि ये पूरी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के एक किसान जयराम गायकवाड़ ने किसान ऑफ़ इंडिया टीम के साथ बातचीत में खुद को भाग्यशाली महसूस किया कि राज्य में हाल ही में हुई ओलावृष्टि ने उनके खेतों और उपज को ज़्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया है। लेकिन बेशक वो उपज से मिलने वाले फ़ायदे को लेकर चिंतित हैं। हालांकि, ओलावृष्टि से फसलों को ज्यादा सीधा नुकसान नहीं हुआ लेकिन फसलों की गुणवत्ता पर असर हुआ है। इस साल लाभ मार्जिन कम होने जा रहा है, जिससे आर्थिक नुकसान होगा। उन्हें आस-पास के ज़िलों में अपने साथी किसानों की भी चिंता है क्योंकि उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र राज्य के मध्य और उत्तरी भाग हैं, जहां किसान अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। ये क्षेत्र अपनी अच्छी उत्पादकता के लिए जाने जाते हैं और इन्हें राज्य के लिए रोटी की टोकरी माना जाता है। शहडोल-पंडरिया स्टेट हाईवे पर बेर के आकार के ओले गिरे, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। स्टेट हाइवे से सटे खेत ओलों से पट गए। मध्य प्रदेश के खरगोन में भी कई इलाकों में भारी ओलावृष्टि हुई, जिससे फसलों को नुकसान हुआ। खरगोन की झिरनिया और भगवानपुरा तहसील में बेमौसम बारिश से उपज को भारी नुकसान हुआ है।

कैसे कम कर सकते हैं किसानों की परेशानी?
समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि सरकार को इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राज्य सरकार ने किसानों को सब्सिडी, ऋण और अन्य वित्तीय सहायता देने के लिए सब्सिडी, लोन और आर्थिक मदद का रास्ता अपनाया है। ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सरकार को एक व्यापक योजना बनाने की ज़रूरत है। इसमें किसानों को फसल बीमा, क्लाउड सीडिंग और ऐसे अन्य उपायों के महत्व पर शिक्षित करना शामिल होगा जो ओलावृष्टि के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
किसानों को ओलावृष्टि के बारे में सचेत करने और उन्हें समय रहते उपाय करने में सक्षम बनाने के लिए एक पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करना भी ज़रूरी होगा। सरकार को भी ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार करने और ओलावृष्टि जैसी चरम मौसम की घटनाओं के खिलाफ फसलों के लचीलेपन में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक में निवेश करने की ज़रूरत है। राज्य को उन फसलों के उत्पादन को बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए जो ओलावृष्टि से ख़राब हो सकते हैं।
नई तकनीक और कृषि पद्धतियों में निवेश करना जो होने वाले नुकसान को बेहतर ढंग से झेल सकें, एक अच्छी शुरुआत होगी। हालांकि, सरकार को ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों के समर्थन में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

मध्य प्रदेश में ओलावृष्टि क्यों हो रही है?
मध्य प्रदेश में हाल के वर्षों में ओलावृष्टि बढ़ी है। ओलावृष्टि मौसम की ऐसी घटना है जिसमें बर्फ आसमान से गिरती है। ये छर्रे आकार में छोटे मटर से लेकर बड़े अंगूर तक हो सकते हैं और अक्सर गरज और तेज हवाओं के साथ होते हैं। मध्य प्रदेश में ओलावृष्टि ज़्यादा होने के पीछे जलवायु परिवर्तन और राज्य की भौगोलिक स्थिति सहित कई कारण हो सकते हैं। जैसे ये राज्य भारत के मध्य भाग में स्थित है, जो अपने पहाड़ी इलाकों और ऊंचाई के लिए जाना जाता है। ये कारक ओलावृष्टि के लिए एकदम सही स्थिति बनाते हैं, क्योंकि ऊंचाई पर कम तापमान पानी की बूंदों को बर्फ के छर्रों में जमने का कारण बनता है। साथ ही राज्य में आंधी-तूफान का खतरा रहता है, जो ओलावृष्टि के बनने में मदद कर सकते हैं।
हाल के वर्षों में, राज्य में तापमान बढ़ रहा है। बढ़ता तापमान, वर्षा के पैटर्न में बदलाव और अनियमित मौसम की स्थिति, सभी मिलकर ओलावृष्टि बढ़ा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ओलावृष्टि की आवृत्ति भी बढ़ रही है और किसानों को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है। अनिश्चित मौसम के पैटर्न ने किसानों के लिए मौसम की भविष्यवाणी करना और उसके अनुसार अपनी खेती के तरीकों को अपनाना मुश्किल बना दिया है। इसके अतिरिक्त, ओलावृष्टि ने कृषक समुदाय के बीच लगातार डर पैदा कर दिया है कि उनकी मेहनत का फल मिलेगा या नहीं। इसके प्रभाव को कम करने के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और क्षेत्र में फसलों और आजीविका की रक्षा के लिए रणनीति बनाने की सख़्त ज़रूरत होगी।
ये भी पढ़ें: मोटे अनाज की खेती के ज़रिये करें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुक़ाबला
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Agricultural Research Institutes In India And Abroad: भारत और विश्व के संगठन मिलकर बदल रहे दुनियाकृषि को फायदे का सौदा बनाने में देश और विदेश के कृषि अनुसंधान संस्थानों (Agricultural Research Institutes In India And Abroad) की भूमिका अहम हो गई है। ये संस्थान अब सिर्फ अनाज पैदा करने की बात नहीं करते, बल्कि एक स्मार्ट, टिकाऊ और मुनाफे वाली कृषि का सपना संजोए हैं।
- भारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक से खुले सहयोग के नए रास्तेभारत और श्रीलंका के बीच कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक से दोनों देशों में कृषि सहयोग और नवाचार को नई दिशा मिली।
- दिल्ली में National FPO Conclave 2025 ने रची नई इबारत, 24 राज्यों के किसानों और संगठनों ने की शिरकतकेंद्रीय कृषि शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय एफपीओ सम्मेलन 2025 (National FPO Conclave 2025) का शुभारंभ किया। इसके साथ ही ऐतिहासिक घोषणाएं कीं, जो भारतीय किसान के भविष्य की दिशा तय करने वाली हैं।
- Natural Farming: प्राकृतिक तरीके से ड्रैगन फ्रूट और सब्ज़ियों की खेती कर रहे जीवन सिंह राणाहिमाचल के किसान जीवन सिंह राणा ने प्राकृतिक खेती अपनाकर ड्रैगन फ्रूट व सब्जियों से आमदनी बढ़ाई और रासायनिक खेती छोड़ दी।
- पंजाब के किसान अंग्रेज सिंह भुल्लर की सफलता की कहानी: Organic Farming और Vermicompost से मिल रहा तगड़ा मुनाफाअंग्रेज सिंह भुल्लर ने साल 2006 में पारंपरिक खेती से हटकर बेहतर सुधार के लिए जैविक खेती (Organic Farming) की शुरूआत की। जैविक खेती करने से उनको वक्त के साथ अच्छे रिज़ल्ट भी मिले। अंग्रेज सिंह भुल्लर का कहना है कि इंसान की पहली ज़रूरत हवा, पानी और भोजन है और वो इसी पर काम करते हैं। वो जैविक खेती के ज़रिए मिट्टी को बचाने की बात करते हैं।
- National FPO Samagam 2025: भारतीय कृषि की नई इबारत लिखने दिल्ली में जुट रहे हैं 10,000 किसान संगठन30 और 31 अक्टूबर 2025 को देश की राजधानी नई दिल्ली के NCDC और NCUI परिसर में होने वाला ये दो दिवसीय महाकुंभ National FPO Samagam 2025, 24 राज्यों और 140 ज़िलों के 500 से ज़्यादा किसानों, एफपीओ और एक्सपर्ट्स को एक स्टेज पर लाएगा।
- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय सब्ज़ियों की उन्नत खेती में कैसे कर रहा किसानों की मदद, जानिए डॉ. रुमा देवी सेपंजाब कृषि विश्वविद्यालय की डॉ. रुमा देवी किसानों को सब्ज़ियों की उन्नत खेती और उच्च उत्पादक क़िस्मों की वैज्ञानिक जानकारी देकर आधुनिक कृषि को बढ़ावा दे रही हैं।
- भारत की सशक्त अर्थव्यवस्था के लिए Renewable Energy Revolution से बदल रही किसानों की तकदीरअक्षय ऊर्जा क्रांति (Renewable Energy Revolution) किसानों की आमदनी दोगुनी करने और कृषि को टिकाऊ बनाने की चाभी बनकर उभर रही है। आज़ादी के बाद से अब तक, भारत की कृषि ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन सौर, बायोमास और दूसरे नवीकरणीय सोर्स (Solar, biomass and other renewable sources) ने इसमें एक ऐसा नया चैप्टर जोड़ा है, जो खेतों को ऊर्जा के आत्मनिर्भर केद्रों में बदल रहा है।
- Rabi Season 2025-26 Fertilizer Subsidy: केंद्र  सरकार ने मंज़ूर की सस्ती खाद, किसानों के चेहरे खिलेफॉस्फेटिक और पोटाशिक (P&K) उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) की नई दरें (Rabi Season 2025-26 Fertilizer Subsidy) तय कर दी गई हैं। इस फैसले के तहत सरकार लगभग 37,952 करोड़ रुपए की सब्सिडी देगी। ये रकम पिछले खरीफ सीजन की तुलना में करीब 736 करोड़ रूपये ज्यादा है।
- Sugarcane Farmers की झोली में 3000 करोड़ का बोनस, योगी सरकार ने बढ़ाए गन्ना के दाम, अब मिलेंगे 400 रुपयेकिसान (sugarcane farmers) लंबे समय से मूल्य बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे। सरकार के इस कदम से राज्य के गन्ना किसानों को लगभग 3000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त फायदे का अनुमान है। बता दें कि नया पेराई सीजन 1 नवंबर से शुरू होने जा रहा है।
- Colorful Revolutions और Indian Economy: जानिए, कैसे रंगों ने मिलकर बुनी भारत की आर्थिक ताकत की डोरइस आर्टिकल में जानिए कैसे रंगीन क्रांतियों (Colorful Revolutions) ने देश की तकदीर बदल दी। ये क्रांतियां केवल प्रोडक्शन बढ़ाने तक सीमित नहीं थीं, बल्कि इन्होंने राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक बुनियाद को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।
- Kharif Season 2025-26: तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और एमपी के किसानों के लिए बड़ी राहत, दलहन और तिलहन की रिकॉर्ड ख़रीद मंज़ूरीKharif season 2025-26 के लिए सरकार नऐतिहासिक फैसला लिया है।तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दलहन और तिलहन फसलों की रिकॉर्ड खरीद को शिवराज सिंह ने मंजूरी दी है।
- Milk Production In India:  दुनिया का हर चौथा कप दूध और 58 फीसदी मक्खन भारत में, जानें कैसे बना ‘Dairy Super Power’ग्लोबल मिल्क प्रोडक्शन (Global Milk Production) में भारत की हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है। बीते साल देश में 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ, जो लगातार 5-6 फीसदी की सलाना दर से बढ़ रहा है। ये बढ़ोतरी ‘ऑपरेशन फ्लड’ की वजह से रखी गई मजबूत बुनियाद का सीधा रिज़ल्ट है
- उत्तराखंड का चमोली बना मत्स्य पालन से आत्मनिर्भरता की मिसालचमोली में मत्स्य पालन से किसानों की आय बढ़ी, ट्राउट मछली उत्पादन में तेजी, सरकार की योजनाओं से पहाड़ों में आई खुशहाली।
- SMAM स्कीम: यूपी के किसानों को मिल रही आधुनिक कृषि मशीनरी पर भारी सब्सिडी, अप्लाई जल्दी करें बस कुछ ही बचे हैंअप्लाई करने का प्रोसेस 15 अक्टूबर, 2025 से शुरू हो चुका है और 29 अक्टूबर, 2025 को ख़त्म होगा। सबसे अहम बात यह है कि इस योजना में किसानों का चयन ‘पहले आओ, पहले पाओ’ (First Come, First Served) के आधार पर किया जाएगा।
- Agroforestry And Social Forestry: कैसे एग्रोफोरेस्ट्री और सोशल फॉरेस्ट्री बदल रही हैं भारत की तस्वीरAgroforestry (वानिकी कृषि) और Social Forestry (सामाजिक वानिकी) जैसे कॉन्सेप्ट केवल ऑप्शन नहीं, बल्कि एक ज़रूरी ज़रूरत बनकर उभरी हैं। ये वो जादू की छड़ी हैं जो किसान की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ धरती को हरा-भरा बनाने का काम कर रही हैं।
- कैसे WDRA और उसके डिजिटल सारथी – e-NWR, e-Kisan Upaj Nidhi भारतीय किसानों की बदल रहे तकदीरवेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority) यानी WDRA और उसके डिजिटल सारथी – e-NWR (Electronic Negotiable Warehouse Receipt) और e-Kisan Upaj Nidhi (eKUN) – एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव रख रहे हैं।
- कश्मीर में आधुनिक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का शुभारंभ: वैज्ञानिक खेती की दिशा में बड़ा कदमश्रीनगर में शुरू हुई अत्याधुनिक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला से किसानों को मिलेगा मिट्टी परीक्षण, उर्वरक योजना और वैज्ञानिक खेती का लाभ।
- AI Playbooks for Agriculture and SMEs लॉन्च, भारत में एआई के ज़रिए कृषि में क्रांति!भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने देश में AI को बढ़ावा देने के लिए तीन AI Playbooks for Agriculture and SMEs लॉन्च की है।
- प्रति फसल 2000 रुपये, एटा में National Mission on Natural Farming बदल रहा तस्वीरसरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रति फसल 2,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है।























