हेज लूर्सन- पशुपालकों के हरे चारे की समस्या का हुआ समाधान

पशु अधिक दूध दें, इसके लिए उन्हें पौष्टिक हरा चारा देना ज़रूरी है। हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करना पशुपालकों के लिए काफी मुश्किल होता है। ऐसे मे हेज-लूर्सन उनकी मुश्किल कम कर सकता है जो पशुओं के लिए एक प्रोटीन युक्त चारा है।

हेज लूर्सन

दुधारू पशुओं से अधिक दूध प्राप्त करने के लिए उन्हें पौष्टिक हरा चारा दिया जाना बहुत ज़रूरी है। मगर हर पशुपालक हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कर पाता है। ऐसे में हेज लूर्सन हरा चारा पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि यह पौष्टिकता से भरपूर होता है और पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। वर्षा आधारित इलाके जहां चारागाह कम होते जा रहे हैं, वहां हेज लूर्सन की खेती बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।

हेज लूर्सन

दलहनी चारा है

हेज लूर्सन एक दलहनी चारा है, जिसे गर्म और नमी वाली जलवायु में आसनी से उगाया जा सकता है। इसमें औसत क्रूड प्रोटीन 21 प्रतिशत, एनडीएफ 42 प्रतिशत और एडीएफ 325 प्रतिशत होता है। वर्षा आधारित क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर लगभग 150-250 क्विंटल हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। बगीचा या घर के चारों तरफ हेज के रूप में भी इसे लगाया जा सकता है। यह छाया में आसानी से उग जाता है इसलिए इसे घास और पेड़ों के साथ ही लगाकर किसान आसानी से हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं। यह मिट्टी में नाइट्रोजन को स्थिर रखने में भी मदद करता है।

हेज लूर्सन

हेज लूर्सन

सभी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है

हेज लूर्सन को सभी तरह की मिट्टी में लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं कम समय के लिए यह जल जमाव को भी सहन करने की शक्ति रखता है। यह बंजर भूमि पर भी आसानी से उग जाता है। इसलिए बंजर और खत्म होते चारागाह वाले इलाके में इसे लगाना अच्छा विकल्प है।

हेज लूर्सन

कैसा होता है हेज लूर्सन का पौधा

हेज लूर्सन करीब एक मीटर की ऊंचाई से बार-बार कटाई करते रहने से इनका विकास अच्छी तरह होता है। यह ऊंचाई में बढ़ता है और इसकी लंबाई 2-3 मीटर तक होती है। पत्तियां छोटी व वाइपिनेट होती हैं। 10-20 लीफलेट होते हैं और पिटीओल 5 मीटर लंबा होता है। इसमें छोटे और सफेद रंग के फूल आते हैं और इसकी फलियों की लंबाई 7-8 से.मी. तक होती है।

ये भी पढ़ें: Rabbit Farming: इस महिला ने खरगोश पालन से शुरू किया कुटीर उद्योग, जानिए अंगोरा खरगोश की ख़ासियत

हेज लूर्सन
तस्वीर साभार- feedipedia

कैसे करें बुवाई?

खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें और प्रति हेक्टेयर 6-7 किलो हेज लूर्सन के बीजों की बुवाई करें। पंक्तियों में बुवाई करें और पंक्ति से पंक्ति के बीज 30-50 सें.मी. की दूरी रखें। बीजों को 1.00-1.5 की गहराई में बोयें।  पहले साल इसकी एक-दो बार निराई-गुड़ाई करने की ज़रूरत होती है। अच्छी उपज के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो नाइट्रोन, 30-40 किलो फॉस्फोरस, 25-30 किलो पोटाश डालना चाहिए। साथ ही लंबे समय तक अधिक उपज प्राप्त करने के लिए प्रति हेक्टेयर 5 टन गोबर या सड़ी हुई कंपोस्ट खाद को मिट्टी तैयार करते समय उसमें मिला दें।

हेज लूर्सन

कब करें कटाई?

वर्षा आधारित क्षेत्रों में पहले साल बुवाई के तीन महीने बाद कटाई करें। दूसरे साल से 50-60 दिनों के अंतराल पर 2-3 कटाई कर सकते हैं। कटाई ज़मीन से 15-20 से.मी. ऊपर करें।

हेज लूर्सन की खेती करके किसान पशुओं के लिए पौष्टिक चारे का प्रबंध कर सकते हैं जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top