धान की खेती (Paddy Farming): चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक और निर्यातक देश है। देश में सालाना क़रीब 900 लाख टन धान की पैदावार होती है। हरित क्रांति के दौर से अब तक देश के कृषि वैज्ञानिकों ने कई धान की उन्नत किस्में विकसित की हैं। मौजूदा समय में कृषि वैज्ञानिक खाने की वस्तुओं में पोषक तत्वों को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
उनका लक्ष्य है कि फसलों में पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जाए। इस लेख में हम आपको धान की 5 ऐसी ही उन्नत किस्मों (Paddy Varieties) के बारे में बताने जा रहे हैं।
राइस- डीआरआर धान 48 (Rice- DRR Dhan 48)
इसके दाने मध्यम पतले होते हैं। धान की इस किस्म में जिंक की मात्रा 24.0 पीपीएम है। इसकी प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता 52 क्विंटल है। ये किस्म 135 से 140 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। ये किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी है। इस रोग से ग्रसित धान के पत्ते पीले पड़ जाते हैं और सूखने लगते हैं। पौधे का विकास रुक जाता है। ये संक्रमक बीमारी एक खेत से दूसरे खेत में फैलने लगती है।
इसलिए इस किस्म की खेती बैक्टीरियल ब्लाइट प्रभावित क्षेत्रों में की जा सकती है। खरीफ़ सीज़न में सिंचित परिस्थितियों के लिए ये किस्म उपयुक्त है। ये किस्म आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के लिए उपयुक्त मानी गई है। इस किस्म को ICAR-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने विकसित किया है।
राइस- डीआरआर धान 45 (Rice- DRR Dhan 45)
रक्षात्मक प्रणाली को ठीक से काम करने के लिए शरीर में जिंक की ज़रूरत होती है। धान की राइस डीआरआर धान 45 किस्म में 22.6 पीपीएम जिंक की मात्रा है। 125 से 130 दिन में तैयार होने वाली ये किस्म प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल तक की पैदावार देती है। कर्नाटक, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए किस्म सबसे उपयुक्त है। इस किस्म को विकसित करने का श्रेय भी ICAR-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद को ही जाता है।
राइस डीआरआर धान 49 (Rice- DRR Dhan 49)
डीआरआर धान 49 उच्च जिंक के साथ अच्छी उपज क्षमता वाली किस्म है। इस किस्म में 25.2 पीपीएम जिंक की मात्रा है। इसकी प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता 50 क्विंटल है। इसकी फसल करीबन 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती खरीफ़ और रबी दोनों ही सीज़न में की जा सकती है। इस किस्म पर बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग, आरटीडी, शीथ रॉट, नेक ब्लास्ट और ब्राउन स्पॉट रोगों का असर नहीं होता। इस किस्म को भी ICAR-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने विकसित किया है।
राइस सीआर धान 310 (Rice- CR Dhan 310)
धान की अन्य किस्मों में प्रोटीन की मात्रा तकरीबन 6 से 8 फ़ीसदी होती है। वहीं सीआर धान 310 में 10.3 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा है। करीबन 125 दिनों में तैयार होने वाली इस फसल की प्रति हेक्टेयर पैदावार 45 क्विंटल है। उड़ीसा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लिए ये किस्म उपयुक्त मानी गई है। इस किस्म को ICAR- राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने विकसित किया है।
इन किस्मों की बुवाई करने से किसानों को अच्छी पैदावार मिलेगी। ये किस्म कुपोषण दूर करने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने में भी मददगार साबित हो सकती है। अगर कोई किसान इन किस्मों की बुवाई करना चाहता है, तो इन संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं।