कुछ अपना और अलग करने की चाह ने हिमाचल प्रदेश के पालमपुर ज़िले की भारती भूरिया को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेरित किया। एग्रीकल्चर में मास्टर्स करने वाली भारती ने किस तरह और कब शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती और इसमें उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, साथ ही स्ट्रॉबेरी की कौन-कौन सी किस्में वो उगा रही हैं, इन सभी के बारे में उन्होंने विस्तार से बात की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता पंकज शुक्ल के साथ।
कोरोना काल में शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती
पालमपुर ज़िले की भारती भूरिया पढ़ाई पूरी करने के बाद सभी की तरह एक नौकरी की तलाश में जुट गईं। उन्हें सरकारी नौकरी मिल भी गई, मगर कुछ समय तक नौकरी करने के बाद ही उनके मन में अपना कुछ अलग काम करने का मन हुआ। फिर क्या था, उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती का आइडिया आया। कोरोना काल में उन्होंने घर पर शौकिया तौर पर ही स्ट्रॉबेरी उगाना शुरू किया।
भारती कहती हैं, मैंने तो बस शौक के लिए घर पर 4 लेयर का स्ट्रक्चर तैयार करके स्ट्रॉबेरी उगानी शुरू की, मगर कोरोना काल में पौधों की अच्छी देखभाल होने से फल इतने अधिक आए कि हमें बेचने पड़ें। सिर्फ़ एक दीवार से ही, उन्होंने 70 हज़ार के स्ट्रॉबेरी बेची। उम्मीद से अधिक उत्पादन देखकर हम लोग बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेरित हुए।

पॉलीहाउस में स्ट्रॉबेरी
पॉलीहाउस के लिए 20-30 डिग्री का ही तापमान चाहिए। ज़्यादा गर्मी ये सहन नहीं कर पाता है। इसलिए पॉलीहाउस में इसकी खेती करना अच्छा होता है। भारती कहती हैं, 2 अन्य लोगों के साथ मिलकर पॉलीहाउस में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए लेयरिंग वाला स्ट्रक्चर तैयार किया, जिस पर 50 लाख से भी अधिक का खर्च आया। दरअसल, हमने 10 लेयर वाला स्ट्रक्चर तैयार किया, मगर लिफ़्ट की सुविधा न होने की वजह से 9 लेयर तक ही गमले रखते हैं ताकि ठीक से उनका प्रबंधन हो सकें।
उनका कहना है कि पॉलीहाउस में खेती के लिए किसानों को पहले तो स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानकारी होनी चाहिए और पॉलीहाउस का प्रबंधन किस तरह से किया जाता है, उसके बारे में पता होना चाहिए। इसके अलावा, स्ट्रॉबेरी की अच्छी पौध के बारे में पता होना चाहिए। भारती ने मदर प्लांट से ही सारे पौध तैयार किए हैं।

किस महीने में लगाए जाते हैं पौधे?
भारती बताती हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सितंबर से लेकर नवंबर तक पौध लगाए जा सकते हैं। फिर जनवरी में फ्लावरिंग आने लगती हैं। पौध लगाने के करीब डेढ़ महीने बाद फल आने लगते हैं। चूंकि स्ट्रॉबेरी जल्दी खराब हो जाती है, इसलिए भारती का कहना है कि वो पूरी जगह पर एक साथ रोपाई नहीं करतीं, बल्कि 15 दिन का अंतराल रखती हैं ताकि सभी फसल एक साथ तैयार न हों। इससे फसल को बेचने में आसानी होती है। उत्पादन अधिक समय तक प्राप्त होता है।
उनका कहना है कि आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की फसल अप्रैल तक ही होती है, लेकिन पॉलीहाउस में तापमान नियंत्रित करके वो जुलाई तक स्ट्रॉबेरी प्राप्त करती हैं। सिंचाई के लिए वो ड्रिप सिंचाई विधि का इस्तेमाल करती हैं।
उगा रही हैं तीन किस्में
वैसे तो स्ट्रॉबेरी की कई किस्में होती हैं, लेकिन भारती अपने पॉलीहाउस में स्ट्रॉबेरी की तीन किस्में उगा रही हैं। नाबिला, कामारोजा और विंटर डाउन। भारती का कहना है कि नाबिला की कीमत सबसे अच्छी मिलती है, क्योंकि ये साइज़ में बड़ा होता है और मीठा होता है।

सब्ज़ियां भी उगा रहीं
स्ट्रॉबेरी के अलावा, वो रंगीन शिमला मिर्च, मटर, बीज रहित खीरा, लेट्यूस, फ्रेंच बीन्स भी उगा रही हैं। भारती स्ट्रॉबेरी की पौध तैयार करके पूरे देश के किसानों को सप्लाई कर रही हैं। भारती का कहना है कि लोगों को खेती के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि अगर हम उगाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या। उनका कहना है कि पॉलीहाउस बनाकर कम जगह में किसान आसानी से खेती करके अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। हल्दी, लहसुन को भी स्ट्रॉबेरी की तर्ज पर उगाया जा सकता है।
ये भी पढ़ें- Strawberry Farming: नई तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं बशीर डांगे
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- PM Krishi Dhan Dhanya Yojana: उत्तर प्रदेश के 12 पिछड़े ज़िलों के लिए कृषि क्रांति का ऐलान, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर Focusप्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM Krishi Dhan Dhanya Yojana) के तहत उत्तर प्रदेश के 12 जिलों को चुना गया है, जिन्हें कृषि के हर पहलू में आत्मनिर्भर बनाने का टारगेट है।
- बागवानी से किसानों को मिला नया रास्ता, अमरूद की खेती बनी तरक्क़ी की मिसालअमरूद की खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म बाज़ार में लोकप्रिय होकर किसानों के लिए वरदान बनी।
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेशप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यक्रम में 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का शुभारंभ, लोकार्पण और शिलान्यास किया। ये कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित हुआ, जिसमें दो बड़ी योजनाओं- पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की गई।… Read more: प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश
- सिमरता देवी की मेहनत ने बदली खेती की परंपरा प्राकृतिक खेती से मिली नई राहसिमरता देवी ने प्राकृतिक खेती अपनाकर ख़र्च घटाया, आमदनी बढ़ाई और गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखाई।
- योगी सरकार की सख्ती : उत्तर प्रदेश में अब सैटेलाइट से ट्रैक होगी पराली, Digital Crop Survey में लापरवाही बर्दाश्त नहीं !योगी सरकार ने पराली जलाने की समस्या (Problem of stubble burning) से निपटने के लिए इस बार ‘Zero tolerance’ का रुख अपनाया है।पराली प्रबंधन (stubble management) के साथ-साथ योगी सरकार डिजिटल क्रॉप सर्वे अभियान को लेकर भी पूरी तरह सक्रिय है। इस अभियान का उद्देश्य खेत स्तर तक वास्तविक फसल की जानकारी जुटाना है
- खाद्य सुरक्षा से आत्मनिर्भरता तक: 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी लॉन्च करेंगे कृषि क्रांति के दो महाअस्त्रप्रधानमंत्री मोदी किसानों की ख़ुशहाली और देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) को नई दिशा देने वाली दो बड़ी स्कीम- ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (PM Dhan-Dhaanya Yojana and Self-Reliance in Pulses Mission) की शुरुआत करेंगे।
- Bhavantar Yojana: भावांतर योजना में सोयाबीन रजिस्ट्रेशन शुरू, 5328 रुपये MSP का वादा, बागवानी किसानों को भी फ़ायदामध्य प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसानों (soybean producing farmers) के लिए भावांतर योजना (Bhavantar Yojana) के तहत MSP पर फसल बिक्री के रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू हो चुका है।
- Chatbot In Punjabi Language: धुंए में घिरे पंजाब में पराली प्रबंधन की चुनौती और नई उम्मीद बना पंजाबी भाषा का Chatbot‘सांझ पंजाब’ (‘Sanjh Punjab’) नामक एक गठबंधन ने एक ऐसी रिपोर्ट और टेक्नोलॉजी पेश (stubble management) की है, जो इस समस्या के समाधान (Chatbot in Punjabi Language) की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकती है।
- Stubble Management: केंद्र और राज्यों ने कसी कमर, अब पराली प्रबंधन पर जोर, लिया जाएगा सख़्त एक्शनधान की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष (stubble management) को जलाने के पीछे किसानों की मजबूरी है। अगली फसल (गेहूं) की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है और पराली हटाने की पारंपरिक विधियां महंगी और वक्त लेने वाली हैं। इससे निपटने के लिए अब सरकार ने जो रणनीति बनाई है
- Shepherd Community: भारत की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक ताने-बाने में ग्रामीण जीवन की धड़कन है चरवाहा समुदायचरवाहा समुदाय (shepherd community) की भूमिका सिर्फ पशुपालन (animal husbandry) तक सीमित नहीं है। वे एक पुल की तरह काम करते हैं। जो हमारी परंपरा को आज के वक्त के साथ जोड़ते हैं, प्रकृति के साथ coexistence बढ़ाते हैं। देश की खाद्य सुरक्षा की नींव मजबूत करते हैं।
- खेत से बाज़ार तक बस एक क्लिक! Kapas Kisan App लाया क्रांति, लंबी कतारों और भ्रष्टाचार से मुक्तिकेंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘कपास किसान’ (Kapas Kisan App) मोबाइल ऐप लॉन्च करके देश की कपास खरीद प्रोसेस में एक डिजिटल क्रांति (digital revolution )की शुरूआत की
- प्राकृतिक खेती और सेब की बागवानी से शिमला के किसान सूरत राम को मिली नई पहचानप्राकृतिक खेती से शिमला के किसान सूरत राम ने सेब की खेती में कम लागत और अधिक मुनाफे के साथ अपनी पहचान बनाई है।
- 1962 Mobile App: पशुपालकों का स्मार्ट साथी,Animal Husbandry Revolution का डिजिटल सूत्रधार!Digital India के इस युग में, पशुपालन (animal husbandry) के क्षेत्र में एक ऐसी स्मार्ट क्रांति की शुरुआत हुई है, जो किसानों और पशुपालकों की हर समस्या का समाधान उनकी उंगलियों के इशारे पर ला देना चाहती है। इस क्रांति का नाम है-1962 Mobile App- पशुपालन का स्मार्ट साथी।
- Pulses Atmanirbharta Mission: 11,440 करोड़ रुपये का दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, भारत की आत्मनिर्भरता की ओर ऐतिहासिक छलांगकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (Pulses Atmanirbharta Mission) को मंजूरी दे दी है। ये मिशन, जो 2025-26 से 2030-31 तक चलेगा, देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
- Makhana Revolution In Bihar: बिहार में शुरू हुई मखाना क्रांति, गरीब का ‘Superfood’ बन रहा है वैश्विक धरोहरमखाना महोत्सव 2025 (Makhana Festival 2025) का मंच सिर्फ एक उत्सव का प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि बिहार की अर्थव्यवस्था (Economy of Bihar) के एक नए युग का सूत्रपात (Makhana Revolution In Bihar) बन गया।
- Natural Farming: बीर सिंह ने प्राकृतिक खेती से घटाया ख़र्च और बढ़ाई अपनी आमदनी, जानिए उनकी कहानीविदेश से लौटकर बीर सिंह ने संतरे की खेती में नुक़सान के बाद प्राकृतिक खेती शुरू की और अब कमा रहे हैं बढ़िया मुनाफ़ा।
- हरियाणा के रोहतक में खुला साबर डेयरी प्लांट पशुपालकों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मज़बूतीरोहतक में शुरू हुआ साबर डेयरी प्लांट जो देश का सबसे बड़ा डेयरी प्लांट है किसानों की आय और दिल्ली एनसीआर की जरूरतों को पूरा करेगा।
- Cluster Development Programme: भारत का क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम है किसानों की आमदनी बढ़ाने की एक क्रांतिकारी रणनीतिकृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए भारत सरकार ने क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (Cluster Development Programme – CDP) की शुरुआत की है। ये केवल एक योजना नहीं, बल्कि कृषि व्यवस्था में एक अहम परिवर्तन लाने का एक सशक्त मॉडल है।
- Mushroom Farming In Bihar: बिहार में महिला किसानों के लिए ‘सोना’ उगाने का मौका! मशरूम योजना से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भरबिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य में जहां जोत छोटी है और संसाधन सीमित, मशरूम की खेती एक वरदान साबित हो सकती है। ये एक ऐसी कृषि तकनीक है जिसे छोटे से घर के आंगन या खेत के एक कोने में भी शुरू किया जा सकता है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि मशरूम की फसल बेहद कम समय में तैयार हो जाती है।
- कौशल विकास और प्रशिक्षण से किसान हो रहे सशक्त, बढ़ रही है क्षमता और हो रहा है विकासकिसानों को कौशल विकास और प्रशिक्षण के माध्यम से नई तकनीक, आधुनिक खेती और आय बढ़ाने के साधन उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।