मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation): हिमाचल प्रदेश के यूसुफ़ ख़ान हैं मशरूम के ‘मास्टर’, जानिए कैसे तैयार करते हैं कम्पोस्ट

यूसुफ़ ख़ान ने 2000 में अपनी मशरूम यूनिट लगाई और मशरूम की खेती और उत्पादन में ऐसी सफलता पाई कि उनके ट्रेनिंग सेंटर से हजारों की संख्या में युवक और किसान ट्रेनिंग लेने आते हैं।

मशरूम की खेती mushroom farming himachal yusuf khan

पूरी लगन से यदि कोई काम किया जाए तो सफलता ज़रूर मिलती है। इस बात को सच कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के प्रगतिशील किसान यूसुफ़ ख़ान ने। पहाड़ी क्षेत्रों के कई किसान बेहतर अवसर की तलाश में अक्सर शहरों का रूख करते हैं। उन्हें मजबूरन पलायन करना पड़ता है। इन चुनौती भरी परिस्थियों में ऊना ज़िले के नंगल सालंगरी गाँव के यूसुफ़ ख़ान ने अपने किसान साथियों के सामने मिसाल पेश की। उन्होंने मशरूम की खेती में न सिर्फ़ सफलता हासिल की, बल्कि दूसरे किसानों को इसमें आगे बढ़ाने के लिए वह उन्हें ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।

मशरूम की खेती mushroom farming himachal yusuf khan
तस्वीर साभार: Khan Mushroom (Facebook)

ख़ान मशरूम फ़ार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर खोला  

यूसुफ़ ख़ान को बचपन से ही खेती और इससे जुड़ी गतिविशियों से लगाव था और कृषि विश्वविद्यालय में जाने के बाद यह दिलचस्पी और बढ़ गई। उन्होंने 2000 में अपने गाँव नांगल सालंगरी में खुद की मशरूम उत्पादन यूनिट लगाई। इसमें सफल होने के बाद उन्होंने प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की। उनकी इस ट्रेनिंग सेंटर का नाम ख़ान मशरूम फ़ार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर है। 

मशरूम की खेती mushroom farming himachal yusuf khan
तस्वीर साभार: khanmushroom

हज़ार से ऊपर किसानों को दे चुके हैं मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग

ये ट्रेनिंग सेंटर हिमाचल प्रदेश के साथ ही पूरे देश में मशरूम के उत्पादन को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। इसके अलावा, उन्होंने संरक्षित सब्ज़ी की खेती, स्ट्रॉबेरी की खेती और एरोपोनिक्स तकनीक से टमाटर और ककड़ी की खेती भी की हुई है। अब तक वह देश के हज़ार से अधिक किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं।

बड़ी मात्रा में होता है बटन मशरूम का उत्पादन

उनकी मशरूम उत्पादन इकाई में स्पॉन लैब, कंपोस्टिंग इकाई, ग्रोइंग इकाई और ट्रेनिंग सेंटर बना हुआ है। वह मिल्की और बटन मशरूम का उत्पादन करते हैं। वह करीब 1.36 हेक्टेयर में मशरूम का उत्पादन करते हैं, जिसके लिए हर महीने 20,000 बैग कम्पोस्ट तैयार करते हैं। 

मशरूम की खेती mushroom farming himachal yusuf khan
तस्वीर साभार: khanmushroom

मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation): हिमाचल प्रदेश के यूसुफ़ ख़ान हैं मशरूम के ‘मास्टर’, जानिए कैसे तैयार करते हैं कम्पोस्टऐसी बनती है खाद

 कच्चे माल के रूप में गेहूं के भूसे के साथ पोल्ट्री खाद और सप्लीमेंट (सूरजमुखी केक और कपास के बीज) का इस्तेमाल किया जाता है। ये नाइट्रोजन और जिप्सम जैसे पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं। 1 किलो गेहूं के भूसे को बनाने के लिए 5 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। पानी को कम से कम 12 दिनों के लिए गेहूं के भूसे के ऊपर छिड़का जाता है। इसके लिए 75-800 सेल्सियस तापमान की ज़रूरत होती है। 12 दिनों के बाद इसे कंपोस्टिंग तापमान में ट्रांसफर किया जाता है और फिर एक पॉश्चराइजेशन चेंबर में ले जाया जाता है। 58-600 सेल्सियस पर 8 से 10 घंटे के लिए पॉश्चराइजेशन किया जाता है। इस दौरान सारा नाइट्रोजन अमोनिया में बदल जाता है, जो मशरूम के लिए पोषक तत्व का काम करता है। जब खाद स्पॉनिंग के लिए तैयार हो जाती है, तो 220 सेल्सियस तापमान की ज़रूरत होती है। 10 किलो खाद के लिए 50-80 ग्राम स्पॉन की ज़रूरत होती है।

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तस्वीर साभार: Manage

पॉलीहाउस में उगाते हैं सब्ज़ियां

यूसुफ़ ख़ान मशरूम की खेती के साथ ही सब्ज़ियों की सरंक्षित खेती भी करते हैं, जिसमें वह टमाटर, आलू, शिमला मिर्च, धनिया, लेट्यूस और स्ट्रॉबेरी उगाते हैं। उन्होंने 1000 स्क्वायर मीटर में 2 पॉलीहाउस बना रखे हैं, जिसमें टमाटर और खीरे जैसी सब्ज़ियां उगाते हैं। उन्होंने बीजरहित खीरे की नर्सरी भी विकसित की, जिसे बाद में हाइड्रोपोनिक तकनीक में तब्दील कर दिया गया। मशरूम के सफल उत्पादक का दर्जा प्राप्त कर चुके यूसुफ़ ख़ान की मशरूम इकाई का सालाना टर्नओवर 70 से 80 लाख रुपये है। 

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तस्वीर साभार: Manage & Khan Mushroom (Facebook)

मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation): हिमाचल प्रदेश के यूसुफ़ ख़ान हैं मशरूम के ‘मास्टर’, जानिए कैसे तैयार करते हैं कम्पोस्टमिल चुके हैं कई अवॉर्डस

2006 में उन्हें दिव्य हिमाचल द्वारा ‘प्रगतिशील किसान’ अवॉर्ड और 2010 में CSKHP पालमपुर यूनिवर्सिटी द्वारा ‘कृषि उद्यमी पुरस्कार’ मिल चुका है। ऑल इंडिया मशरूम एसोशियन द्वारा उन्हें ‘एक्सीलेंट मशरूम ग्रोअर’का अवॉर्ड मिल चुका है। यूसुफ़ ख़ान का मानना है कि उपलब्ध संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल करके ही सफलता पाई जा सकती है। यूसुफ़ ख़ान कहते हैं कि एग्रीकल्चर ग्रेजुएटस कृषि से जुड़े व्यवसाय को अपनाएं। इससे वो ग्रामीण क्षेत्र में हज़ारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेंगे। 

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तस्वीर साभार: Khan Mushroom (Facebook)

ये भी पढ़ें- Mushroom Processing: कैसे होती है मशरूम की व्यावसायिक प्रोसेसिंग? जानिए, घर में मशरूम कैसे होगी तैयार?

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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