Vetiver Farming: खस की खेती में कितनी लागत और कमाई? कहां से लें ट्रेनिंग?

खस की खेती के लिए किसी ख़ास तरह की ज़मीन की ज़रूरत नहीं होती। आमतौर पर खस की खेती में प्रति एकड़ लागत करीब 60-65 हज़ार रुपये बैठती है। प्रति एकड़ खस की उपज से करीब 10 किलो तक तेल निकल जाता है। बाज़ार में इस तेल का दाम करीब 20 हज़ार रुपये प्रति किलो तक मिल जाता है।

खस की खेती से शानदार कमाई

भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर खस की खेती होती है। खस की फसल झाड़ीनुमा दिखती है। ये व्यावसायिक फसल है। इसके हर हिस्से से कोई न कोई उपयोगी चीज़ बनती है। खस को फरवरी से अप्रैल के दौरान बोया जाता है और दिसम्बर से इसकी तैयार फसल की कटाई करते हैं।

खस को किसी ख़ास तरह की ज़मीन की ज़रूरत नहीं होती। पहाड़ी इलाकों के सिवाय बाकी कहीं भी इसकी खेती की जा सकती है। खस को ज़्यादा सिंचाई की भी बहुत ज़रूरत नहीं पड़ती। इसे जैविक खेती के तहत पैदा करना बहुत फ़ायदेमन्द साबित होता है। खस से अनेक उत्पाद बनाये जाते हैं। इसके तेल, शर्बत और औषधीय उत्पादों की खूब माँग है।

कहाँ मिलेगी खस की खेती की ट्रेनिंग?

केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) की ओर से एरोमा मिशन के ज़रिये किसानों को खस की खेती के लिए ख़ास प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि किसानों का मुनाफ़ा बढ़ सके। एरोमा मिशन की ज़िम्मेदारी लखनऊ स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट (CIMAP) के हवाले है, जो खस की खेती के सिलसिले में किसानों को बीज के चुनाव से लेकर कटाई तक की बारीकियों के अलावा मार्केटिंग और प्रोसेसिंग के बारे में प्रशिक्षित करता है। ट्रेनिंग के लिए https://www.cimap.res.in/english/index.php पर सम्पर्क किया जा सकता है।

खस की खेती में कितनी लागत और कमाई?

आमतौर पर खस की खेती में प्रति एकड़ लागत करीब 60-65 हज़ार रुपये बैठती है। प्रति एकड़ खस की उपज से करीब 10 किलो तक तेल निकल जाता है। बाज़ार में इस तेल का दाम करीब 20 हज़ार रुपये प्रति किलो तक मिल जाता है। यानी लागत निकालकर खस की खेती से प्रति एकड़ सवा लाख रुपये सालाना से ज़्यादा की कमाई हो सकती है। इसका मतलब ये है कि यदि किसान प्रोसेसिंग का काम भी ख़ुद करें तो खस की खेती में लागत के मुकाबले 200 फ़ीसदी का मुनाफ़ा हो सकता है।

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खस का इस्तेमाल

खस के इस्तेमाल से शरबत, जूस, खुशबूदार स्प्रे और कई किस्म के तेल बनाये जाते हैं। गर्मियों में घरों को ठंडा रखने के लिए भी खस का उपयोग करते हैं। कूलर में भी खस का इस्तेमाल बेहतरीन माना जाता है, क्योंकि इसकी भीनी-भीनी खुशबू से घर महका रहता है। खस से बड़े लेवल पर मेडिसिनल प्रोडक्ट भी बनाये जाते हैं।

खस के किसान का अनुभव

केरल में मलप्पुरम के निवासी शलजी करूतेडत और उनकी पत्नी सिन्धु बीते दो दशकों से 10 एकड़ पर खस की खेती कर रहे हैं। उनके इलाके में ज़्यादातर लोग खस की खेती करते हैं। इसलिए इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही शलजी और उनकी पत्नी ने खस की खेती की बारीकियों को सीखना-समझना शुरू कर दिया और इसकी प्रोसेंसिंग को लेकर जानकारियाँ हासिल कीं। पढ़ाई पूरी करते ही उन्होंने खस की खेती करने का फैसला लिया। शादी के बाद उनके जैसी ही शिक्षित पत्नी भी इसी काम में रम गयीं।

अभी शलजी और सिन्धु अपनी प्रोसेसिंग यूनिट में खस से बने दो दर्जन से ज़्यादा उत्पाद तैयार करते हैं। इससे उन्हें सालाना 10 लाख रुपये की कमाई हो रही है। शलजी बताते हैं कि पहले कम लोग ही कॉमर्शियल खेती करते थे। खस की फसल को सीधे बाज़ार में बेचते थे। इससे कम दाम मिलता था और कई बार तो बिक्री भी नहीं हो पाती थी। दुकानदार मनमानी करते थे। इससे वो समझ गये कि ज़्यादा मुनाफ़े के लिए उन्हें खुद ही प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर उत्पाद तैयार करने पड़ेंगे।

कैसे लगायें अपनी खस की प्रोसेसिंग यूनिट?

अपनी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने से पहले इन्होंने कई एक्सपर्ट्स से ज़रूर गुर सीखे। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अपने खेत पर ही प्रोसेसिंग यूनिट लगवाई और पति-पत्नी साथ मिलकर नये प्रोडक्ट तैयार करने लगे। वे शरबत, पाउडर, मेडिसिनल ऑयल, हेल्थ ड्रिंक, टूथ पाउडर, बाथ पाउडर और बाथ स्क्रबर जैसे उत्पाद बना रहे हैं। उन्होंने पाँच महिलाओं को रोज़गार भी दिया और अब अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं।

अभी वो अन्य किसानों की भी फसल खरीद लेते हैं। इससे वो अपनी कम्पनी के अलावा कई बड़ी कम्पनियों के लिए भी खस से बने प्रोडक्ट तैयार करते हैं और इंटरनेट मार्केटिंग भी करते हैं। खस के अलावा शलजी और सिन्धु की यूनिट में हल्दी पाउडर, एलोवेरा पाउडर, गुलाब की पत्तियों का पाउडर, मेंहदी पाउडर, इंडिगो पाउडर, आँवला पाउडर, आँवला शरबत जैसे उत्पाद भी बनाये जाते हैं। दोनों व्यक्ति खस उत्पादों को लेकर मार्केट ट्रेंड्स का अध्ययन करते हैं और ज़रूरी रिसर्च करके नये  प्रोडक्ट विकसित करते रहते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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