तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने की माँग पर अड़े किसानों का आन्दोलन अब 100 दिन पूरा कर चुका है। दिल्ली की सीमाओं पर आन्दोलन कर रहे किसान नेताओं ने संकल्प दोहराया है कि चाहे 500 दिनों तक संघर्ष जारी रखना पड़े लेकिन जब तक उनकी माँगें पूरी होंगी, तब तक वो अपने घरों को वापस नहीं लौटने वाले।
इस बीच, करवट ले रहे मौसम को देखते हुए किसानों ने दिल्ली की झुलसा देने वाली गर्मी और लू का सामना करने की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
पंखों और कूलर के अलावा अब मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी और छाँव के लिए ट्रैक्टर ट्रॉलियों को छोटे हवादार टेंट या झोपड़ी की तरह तैयार किया जा रहा है। टेंटों को मज़बूती देने के लिए बाँस की जगह अब लोहे के पाइप लगाये जा रहे हैं।
दिल्ली-सोनीपत सीमा वाले सिंघु बॉर्डर पर लगे टेंटों में पीने के साफ़ पानी की सप्लाई के लिए आरओ प्लांट भी लगाए जा रहे हैं। किसानों और समर्थकों के लिए तैयार अस्पताल और ज़रूरी सामुदायिक सेवाओं के लिए तय जगहों की फ़र्श को पक्का करने के लिए टाइल्स फिट करवाई गयी हैं।
‘हम हटने वाले नहीं’
सिंघु बार्डर डटे हुए किसान अवतार से पूछा गया कि किसान आन्दोलन के 100 दिन पूरे हो रहे हैं। क्या इस मौके पर कोई ख़ास तैयारी भी हो रही है? जवाब में उन्होंने कहा कि ‘हम तारीख़ें या दिन नहीं गिन रहे। किसी का बर्थडे नहीं है। हम तो यहाँ तब तक हैं जब तक कृषि क़ानून वापस नहीं होते। इसमें 100 क्या 500 दिन भी लग जाएँ तो भी हम हटने वाले नहीं हैं।’
किसान मज़दूर एकता अस्पताल
सिंघु बार्डर पर चार तम्बुओं में बनाये गये किसान मज़दूर एकता अस्पताल में ओपीडी है, लैब है, फार्मेसी है, डॉक्टर हैं। गम्भीर मरीज़ों को भर्ती करने की ज़रूरत हो तो 8 बिस्तरों का अस्पताल भी है। अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर अवतार सिंह का कहना है कि नवम्बर में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर किसानों को मामूली दवाएँ देना शुरू किया था। लेकिन अब लाइफ केयर फाउंडेशन के सहयोग से मिनी अस्पताल काम कर रहा है।
इसमें एमबीबीएस डॉक्टर तैनात हैं। ज़्यादातर किसानों को मामूली मौसमी बीमारियों की तकलीफ़ होती है। लेकिन गम्भीर मामलों में प्रतिष्ठित अस्पतालों के विशेषज्ञों से राय ली जाती है।