देश में खेती के बाद, बागवानी ही किसानों की आय का सबसे बड़ा ज़रिया है। इसमें भी फल उत्पादन के तहत आने वाले क्षेत्र के तक़रीबन एक तिहाई भाग में आम की बागवानी (Mango Cultivation) है। आपको किसी भी राज्य के, किसी भी हिस्से में, आम के छोटे-बड़े बाग ज़रूर मिल जाएंगे, जिनमें आम की अलग-अलग किस्मों की खेती होती है। अभी इसमें मंजर (बौर) लग रहा है। ऐसे में आम के पेड़ों का सही प्रबंधन, उपज में बढ़ोत्तरी कर सकता है। ध्यान न देने पर पेड़ कीट-रोगों की चपेट में आ सकते हैं। बाहर के देशों से लेकर देसी बाज़ार में चमकदार, मीठे और रसीले यानी बढ़िया क्वालिटी के आमों के अच्छे दाम मिलते हैं। तो क्यों न अभी से किसान अपने बगीचे में ऐसा प्रबंधन करें, ताकि आपको आम के बंपर पैदावार के साथ ही बेहतरीन क्वालिटी भी मिले। अक्सर देखा गया है कि अगर किसान खाद, पानी, कीट और रोगों का ठीक से प्रबंधन नहीं कर पाते तो इससे फलों को नुकसान पहुंचता है। फलों की क्वालिटी बिगड़ती है। इसके लिए कुछ तकनीकी जानकारी ज़रूरी है। फल चमकदार हों, उनका आकार बड़ा हो, इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दें। किसान ऑफ़ इंडिया ने केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी लखनऊ (ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture) के रिसर्च एसोसिएट डॉ. मनोज कुमार सोनी से आम के बागों के प्रबंधन पर विशेष बातचीत की।
आम की बेहतर क्वालिटी के लिए बाग का प्रंबधन
डॉ. मनोज कुमार सोनी ने कहा कि आम की क्वालिटी उपज के लिए ये वक़्त काफ़ी महत्वपूर्ण है। इसकी वजह ये है कि मंजर निकलने से लेकर फल बनने तक की अवस्था बेहद संवेदनशील होती है। आम की बागवानी में सिंचाई की अहम भूमिका है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है कि पेड़ों के मंजर के समय पर सिंचाई नहीं की जानी चाहिए। इससे मंजर अवस्था ठीक से पूरी नहीं हो पाएगी यानी फूल गिर सकते हैं। जब फल सरसों के दाने के बराबर हो जाएं, तब जाकर पेड़ों को सिंचाई देनी चाहिए।
पोषक तत्वो का प्रबंधन
डॉ. मनोज कुमार सोनी ने आगे बताया कि जब फल, मटर के दाने के बराबर हो जाएं, तो पेड़ों की हल्की सिंचाई के बाद अप्रैल के दुसरे सप्ताह में डीएपी आधा किलो और पोटाश 200 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए। इसके बाद, 0:0:50 सल्फेट ऑफ़ पोटाश (एसओपी) का आम के पौधों पर मई के पहले हफ़्ते में और तीसरे हफ़्ते में दो ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। इससे फल गुणवता बेहतर होती है। अगर ड्रीप सिंचाई की सुविधा हो तो उससे सिंचाई करें। पौधे की थाला को पुआल या फसल अवशेष से मल्चिग करना चाहिए, जिससे थालों में नमी बनी रहें। इसके अलावा, मधुमक्खियां आम की पैदावार के लिए काफ़ी अहम हैं। इनके मधु बक्से अपने बाग के पास रखें या प्राकृतिक तौर पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा हो तो उसकी देखरेख करें। इनसे फ्रूट सेटिंग में बहुत मदद मिलती है।
मंजर की अवस्था में कीट-रोगों से बचाव
डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि बौर खिलने के पहले फसल को रोग से बचाने के लिए 1 लीटर पानी में 2 ग्राम सल्फर का घोल बनाकर पेड़ पर उगने से पहले छिड़काव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर बारिश, हवा, तूफान और पत्थरों से फसल को नुकसान नहीं हुआ तो उत्पादन बेहतर होगा।
मंजर काफ़ी लगते हैं, लेकिन जैसे-जैसे फल तैयार होते हैं, 50 फीसदी फल खत्म हो जाते हैं। इसके पीछे का कारण पेड़ों की उचित देखभाल नहीं करना है। डॉ. मनोज बताते हैं कि आम में जब बौर खिल जाएं या 50 प्रतिशत तक फूल आ जाएं, तब दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नहीं तो फ़ायदे की जगह नुक़सान की आशंका रहती है।
जब फल सरसों के दाने के बराबर दिख रहे हों, तभी कीट-रोगों से बचाव का इंतज़ाम करें। फफूंद रोग के उभरने के बाद नियंत्रण के लिए डाइथीन एम-45 का छिड़काव करना चाहिए। इससे फसलों को काफ़ी लाभ होता है। इसके लिए 1 ग्राम डाईथीन एम-45 प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जब फल सरसों के दाने जैसा दिखने लगे, तो आधा ग्राम इमीडाक्लोप्रिड का प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। अगर इन उपायों के बावजूद भी आम के पेड़ से कीटों की परेशानी न जाए और मंजर आने में देर हो तो किसी परसिस्टेंट इनसेक्टीसाइड की 2 मीलीलीटर दवा का एक लीटर पानी में घोल बना कर नीचे तने से लेकर पत्तियों तक छिड़काव करें। इसे आम भाषा में पेड़ों की धुलाई कहते हैं। इससे आम के बाग रोग-कीट मुक्त होंगे और फलों का अच्छा विकास होगा।
आम के बाग पर मिली बग यानी दहिया कीट मंजर और उसके आसपास की कोमल टहनियों पर आक्रमण करते हैं। इसके उपचार के लिए 2 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से सल्फेस दवा का छिडकाव करना चाहिए। इस कीट को मंजर आने के पहले नियंत्रण की बात करें तो इस कीट से बचने के लिए इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट यानी IPM अपनाएं। इसके लिए नीम की खली या करंज की खली का उपयोग पेड़ के एक मीटर दायरे की मिट्टी में करें। इससे ज़मीन में रहने वाले कीट दहिया यानी मिली बग आक्रमण नहीं कर पाते। इसके अलावा, पेड़ पर चढ़ने वाले कीट को रोकने के लिए जले हुए ग्रीस या डीज़ल में इनसेक्टीसाइड का भुरकाव कर चिपचिपी पेस्ट का एक लेयर तने के चारों ओर लगा दें। इस तरह की कई विधियों को ज़रूरत के मुताबिक अपनाकर आप अपने आम के बगीचे को कीट मुक्त कर सकते हैं। इससे फलत तो बढ़ेगी ही बल्कि फलों की क्वालिटी भी बेहतर होगी। इससे आपको बाज़ार में अच्छे दाम मिल पाएंगे।
फलों को फटने से बचाएं
कृषि विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि अपने विकास क्रम में फल तेजी से बढ़ते हैं, जबकि फलों को सही नमी न मिलने पर, उसके छिलके फटने लगते हैं। इससे आपके फलों को नुकसान पहुंचता है, जिससे उचित मूल्य नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति से बचने के लिए कुछ-कुछ दिनों पर फलों को हल्की फुहार देते रहें। इसमें कई बार बोरेक्स चार प्रतिशत घोल का छिड़काव दो बार 15 अप्रैल से लेकर 15 मई के बीच करना बेहतर होता है। इस तरह आप विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार अपने आम के बगीचे को कीट मुक्त कर सकते हैं। इससे आपको बाज़ार में अच्छे दाम मिल पाएंगे। इसलिए आम के बागों का बेहतर प्रबंधन अभी से शुरू कर दें।
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