किसानों को अच्छी उपज मिले और उन्हें फ़ायदा हो, इसके लिए देश के कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर फसलों की उन्नत किस्में विकसित करते रहते हैं। हाल ही में कृषि वैज्ञानिकों ने सूखा प्रतिरोधी और अधिक उपज देने वाली चने की उन्नत किस्म विकसित की है।
इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर, राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर और ICRISAT, पटानचेरु हैदराबाद के वैज्ञानिकों के सहयोग से ईज़ाद किया है। काबुली चने की सूखा प्रतिरोधी ये किस्म फ्यूजेरियम विल्ट और स्टंट जैसे रोगों के प्रति सहनशील है। आईए आपको बताते हैं इस किस्म के बारे में।
किस्म का नाम और ख़ासियतें
चने की उन्नत किस्म को पूसा जेजी 16 (chickpea variety Pusa JG 16) नाम दिया गया है। इस किस्म को जीनोम-समर्थित प्रजनन तकनीकों (Genomic-assisted breeding techniques) का प्रयोग करके विकसित किया गया है।
ICAR-IARI के निर्देशक डॉ. ए.के. सिंह ने कहा कि चने की पूसा जेजी 16 किस्म देश के मध्य इलाके के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित होगी। इस किस्म को ICAR-IARI के वैज्ञानिक डॉ. सी. भारद्धाज के नेतृत्व में ICRISAT से डॉ. राजीव वार्ष्णेय और डॉ. मनीष रुड़कीवाल, जेएनकेवीवी से डॉ. अनीता बब्बर और आरवीएसकेवीवी से डॉ. इंदु स्वरूप के सहयोग से विकसित की गई।
डॉ. भारद्धाज के मुताबिक, चने की उन्नत किस्म सूखा प्रतिरोधी के अलावा फ्यूजेरियम विल्ट और स्टंट रोगों के लिए भी प्रतिरोधी है और यह कम अवधि में मात्र 110 दिन में पक कर तैयार हो जाएगी। वहीं इसकी उत्पादन क्षमता 2 टन प्रति हेक्टेयर के आसपास रहेगी।
किन क्षेत्रों के लिए है उपयोगी चने की उन्नत किस्म?
जिन क्षेत्रों में सूखा एक बड़ी समस्या रही है, जहां पर कभी-कभी उपज 50 से 100 प्रतिशत तक नष्ट हो जाती है, जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए उपयोगी साबित होगी।
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