केन्द्र सरकार ने मसूर की दाल के दाम में आ रहे उछाल को थामने और घरेलू बाज़ार में इसकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए मसूर की दाल पर आयात शुल्क (Custom duty) को घटाकर शून्य करने और इस पर लागू एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) को भी घटाकर आधा किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 जुलाई को राज्यसभा को बताया कि अमेरिका के अलावा अन्य देशों से आयातित मसूर दाल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है। जबकि अमेरिका से आयातित मसूर दाल के लिए इसे 30 से घटाकर 20 फ़ीसदी किया गया है। इसके अलावा मसूर दाल पर एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस को 20 फ़ीसदी की मौजूदा दर से घटाकर 10 फ़ीसदी कर दिया गया है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल 2021 को मसूर दाल की कीमत 70 रुपये प्रति किलोग्राम थी, लेकिन अब मसूर दाल का भाव 100 रुपये प्रति किलोग्राम के ऊपर है। दाम में आयी ये तेज़ी करीब 45 फ़ीसदी की है। ऐसी तेज़ी को देखते हुए ही 2 जुलाई को दालों पर स्टॉक होल्डिंग लिमिट के प्रावधान लागू किये लेकिन फिर 19 जुलाई को ही इसे वापस भी ले लिया।
बता दें कि एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) एक ऐसा टैक्स है जिसकी शुरुआत चालू वित्त वर्ष में ही हुई है। अधिभार (Cess) होने की वजह से इस टैक्स पर केन्द्र सरकार का पूरा अधिकार होता है और इस रकम को उसे राज्यों के साथ वैसे नहीं बाँटना पड़ता है, जैसी व्यवस्था संविधान ने अन्य केन्द्रीय कर-राजस्व के मामले में की है। अधिभार लगाते वक़्त वित्त मंत्रालय की दलील थी कि कृषि क्षेत्र में बुनियादी विकास को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल, डीज़ल, सोना और चुनिन्दा कृषि उत्पादों के आयात पर एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस लगाया गया है।