अब तक कश्मीर केसर की खेती के लिए प्रसिद्ध रहा है लेकिन जल्दी ही भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में भी केसर की खेती देखने को मिल सकती है। देश के नॉर्थ ईस्ट क्षेत्रों में केसर की खेती के लिए एक पायलट योजना शुरु की गई है। इस योजना के तहत पंपोर (कश्मीर) और यांगयांग (सिक्किम) के बीच जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों की समानता को देखते हुए केसर की खेती करने की प्लानिंग तैयार की जा रही है।
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खेती के लिए की गई खासी रिसर्च
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने के लिए सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बॉटनी और हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ने सिक्किम के यंगयांग की मिट्टी और वास्तविक पीएच स्थितियों को समझने के लिए परीक्षण किए। इन टेस्ट्स में पाया गया कि सिक्किम की जलवायु तथा मृदा परिस्थितिकी पूरी तरह से कश्मीर के ही समान है और वहां पर केसर की खेती की जा सकती है।
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कश्मीर से पौधे ले जाकर सिक्किम में रोंपे गए
परीक्षण के बाद विभाग द्वारा कश्मीर से केसर के बीज तथा पौधे ले जाकर सिक्किम की यंगयांग साइट पर रोंपे गए और उनका परीक्षण किया गया। पौधों का ध्यान रखने के लिए यूनिवर्सिटी की फैकल्टी के साथ ही एक केसर की खेती करने वाले जानकारी कृषक को भी रखा गया। सितंबर और अक्टूबर माह में इन पौधों की सिंचाई की गई, जिसके बाद पौधों में फूल आने लगे और वहां भी हाई क्वालिटी का केसर पैदा हुआ।
इस योजना की सफलता से उत्साहित टीम ने फसल कटाई के बाद केसर की फसल के प्रबंधन तथा बेचने पर भी प्लानिंग की ताकि यहां के किसानों को ज्यादा फायदा हो सके।